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आज की तारीख में पंकज त्रिपाठी को फिल्म तथा ओटीटी प्लेटफॉर्म का बेस्ट, बेहतरीन और प्रखर, तेजस्वी एक्टर माना जाता है।
‘गुंजन सक्सेना’, ‘मिर्जापुर’, ‘मिर्जापुर 2’ ‘लूडो’, ‘एक्सट्रैक्शन’, ‘अंग्रेजी मीडियम’ तथा कई और फिल्म तथा सीरीज में अद्भुत सशक्त भूमिकायें निभा कर उन्होंने सबको मंत्रमुग्ध किया।
इन दिनों उनकी बहुप्रतीक्षित वेब सीरीज, ‘क्रिमिनल जस्टिस, बिहाइंड क्लोस्ड डोर्स’ बेहद चर्चे में हैं जिसमें पंकज ने वकील माधव मिश्रा का किरदार निभाया।
- सुलेना मजुमदार अरोरा
उनसे मेरी इसी विषय पर हुई बातचीत के मुख्य अंश प्रस्तुत करती हूँः-
आज कोरोना काल के न्यू नॉर्मल में शूटिंग करना कैसा लग रहा है?
थोड़ा स्ट्रेसफुल तो है ही सब कुछ, न्यू नॉर्मल के हिसाब से काम करना, सारे प्रोटोकॉल्स को फॉलो करते हुए काम करना।
एक खास दायरे और लिमिटेशंस में काम करना तनावपूर्ण तो होता ही है लेकिन इस मामले में कोई क्या कर सकता है, इसी में काम करना पड़ेगा सबको, तो बस कर रहें हैं।
यह ऐसा वायरस है जो दिखता नहीं है, छुपा हुआ शत्रु है, पर सक्रिय है, तो उसी हिसाब से बचते हुए काम करना है।
आपने टेलीविजन से अपने करियर की शुरुआत की थी और आज आप फिल्म तथा अनेकों प्लैटफॉर्म में लोकप्रिय चेहरा बन गए हैं, कैसी रही आपकी यहां तक की यात्रा?
बेसिकली तो मैं थिएटर का एक्टर हूँ, टेलीविजन में तो मैं बाद में आया, ऑरिजिनली आई बिलॉन्ग टू थियेटर, मेरा बेस ही थिएटर का रहा है, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से हूँ।
जर्नी तो अच्छा ही रहा, मुझे कमर्शियल आर्टिस्ट बनना था तो मीडिया में आया। पहले टीवी किया फिर फिल्में, फिल्मों का एक्सपीरियंस बहुत हम्बलिंग था, ये जो दस बीस सालों का अनुभव रहा वो अच्छा ही था।
इसमें कठिन मेहनत भी लगी, लड़ाई भी लड़नी पड़ी, संघर्ष भी रहा, काफी इंतजार भी रहा। लोग मुझे पसंद भी करने लगे, अच्छा लगता है, कुल मिलाकर काफी फुलफिलमेंट वाली फीलिंग है और अच्छा है।
आपकी बहुचर्चित वेब सीरीज श्क्रिमिनल जस्टिस बिहाइंड क्लोज्ड डोर्स किन परिस्थितियों में पहले से अलग और बेहतरीन है?
‘क्रिमिनल जस्टिस बिहाइंड क्लोज्ड डोर्स’ के पहले सीरीज लोगों को बहुत पसंद आया था, मेरे कैरेक्टर की सबने बहुत तारीफ की थी और कहा कि वो मेरे अब तक के बेस्ट परफॉर्मेंस में से एक है।
अब सीजन 2 आ रही है तो इसकी भी बहुत चर्चा है, क्रिटिक्स में से जिसने भी इसके एक दो एपिसोड्स देखे सबने बहुत पसंद किया।
ये ऐसी कहानी है जो ज्वलंत विषय पर आधारित है और इसे देखना बहुत जरूरी है। बहुत बड़े पैमाने पर बनी है।
कई क्रिटिक्स ने जो फीडबैक दिया उसमें उन्होंने कहा कि इसमें भी उन्हें मेरा परफॉर्मेंस ब्रिलियंट लगा और पहले सीजन की तरह इस बार भी ये सीरीज बहुत पसंद किया जाएगा।
वैसा ही करिश्मा या उससे ज्यादा करिश्मा पैदा करेगा , पहले सीजन की तुलना में इस बार का कास्ट बहुत बड़ा है, युवा बेहतरीन एक्टर भी है और मंजे हुए अनुभवी एक्टर भी है, जैसे अनुप्रिया गोयनका, कीर्ति कुल्हारी, शिल्पा शुक्ल, दीप्ति नवल, मीता वशिष्ठ, आशीष विद्यार्थी सर, जिसशु सेनगुप्ता।
नए पुराने बहुत सारे आर्टिस्ट है। बहुत उम्दा बनी है सीजन टू भी।
पहले की तुलना में इस बार आपका कैरेक्टर माधव मिश्रा में क्या क्या बदलाव देखा जा सकता है?
एक तो यही कि वो शादीशुदा है, पहले वाले सीजन में नहीं था। बाकी तो वैसे ही बहुत बढ़िया रोल है, इस बार वो जो केस लड़ रहा है वो बहुत बड़ा और चुनौतीपूर्ण है।
बाकी उसके स्वभाव में कोई फर्क नहीं है, वैसा ही जुगाड़ू, सेंस ऑफ ह्यूमर से भरा कैरेक्टर है। जिस तरह से वो मामला सुल्टाता है वो बहुत दिलचस्प है।
इस बार जो कठिन केस उसके हाथ में आता है उसे वो कैसे हैंडल करता है वो देखने लायक है।
कीर्ति कुल्हारी के साथ काम करने का आपका अनुभव कैसा रहा?
कीर्ति बहुत ब्रिलियंट आर्टिस्ट है, सभी कलाकार इसमें बहुत ब्रिलियंट हैं और सबके साथ काम करने का बहुत सुखद अनुभव रहा।
कीर्ति बहुत मेहनती और सिंसियर आर्टिस्ट है। उनके साथ काम करते हुए बहुत आनंद आया।
कीर्ति के साथ शूट करते हुए कोई यादगार घटना या वाक्या?
ऐसी तो कोई घटना नहीं घटी लेकिन हां, जब हमारा आखिरी शेड्यूल शूट हो रहा था तब मुझे मालूम पड़ा कि वो भी मेरी तरह एविड ट्रैवलर है।
जिस तरह से मुझे हर नई जगह, नए कल्चर, नई भाषा, संस्कृति एक्सप्लोर करने का शौक है वैसे ही उन्हें भी है।
आखरी शेड्यूल के दौरान जब हम दोनों को हमारे सिमिलर शौक के बारे में पता चला तो हमने इस टॉपिक पर ढेर सारी बातें की।
वैसे तो हम सब आपको काफी समय से डिजिटल प्लैटफॉर्म्स में देखते रहें हैं लेकिन अब सभी कलाकार ओटीटी के प्रति दिलचस्पी दिखाने लगे हैं, इसपर आपका क्या कहना है?
हम्म्म्म, यानी मैं समझदार था पहले से और अच्छी समझदारी दिखाई (मजाक में हँस पड़ते हैं) और बाकी लोग अब समझदारी दिखा रहे हैं न?
खैर, सीरियसली कहूँ तो अब जो ओटीटी के प्रति सबकी दिलचस्पी बढ़ गई है वो कोरोना पेंडमिक की वजह से बढ़ी।
मुझे शुरू से ही इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता था कि मैं किस माध्यम, प्लैटफॉर्म के लिए एक्टिंग कर रहा हूँ, बेसिकली मैं सिर्फ एक एक्टर हूँ और एक्ट करने आया हूँ।
माध्यम चाहे कोई भी हो, थिएटर हो, टीवी हो, सिनेमा हो, डिजिटल हो, चाहे कोई और नया माध्यम आ जाए, मुझसे एक्टिंग करवा लीजिए।
मुझे बस एक्टिंग करना है, रोल बढ़िया हो, चुनौतीपूर्ण हो, जिसे करने में बहुत आनंद आए, कहानी बेहतरीन हो, कंटेंट में दम हो तो मैं किसी भी माध्यम में काम कर सकता हूँ।
इस बार ‘क्रिमिनल जस्टिस ’ में ऐसा क्या है कि दर्शकों को यह देखना ही चाहिए?
बहुत ज्वलंत विषय की कहानी पर बनी है ये सीजन 2, एंटरटेनमेंट से भरपूर है, देखने बैठेंगे तो कुर्सी छोड़ ही नहीं पाएंगे।
बिहाइंड क्लोस्ड डोर्स के पीछे क्या क्या चलता है, ये देखेंगे तो हैरान रह जाएंगे। बहुत एंटरटेनिंग, थ्रिल्लिंग, मजेदार कहानी है जिसमें कठिन चुनौतीपूर्ण रहस्य रोमांच है।
इसमें दरवाजे के पीछे, सबकी नजरों से छिपकर, चारदीवारी के अंदर क्या चलता है ये नई दुनिया लोग देखेंगे।
जिन्होंने सीजन वन देखी है और पसंद की है उन्हें यह सीजन 2 और भी अच्छी, नई और मनोरंजक लगेगी। बल्कि उससे कई गुना ज्यादा थ्रिल और रहस्य है।
आपने इसमें जिस तरह के वकील का रोल किया है वो अब तक फिल्मों या सीरीज में देखे गए वकील से एकदम अलग है, ऐसा वकील पहले किसी माध्यम में नहीं देखा गया?
फिल्मों के वकील अलग दिखाए जाते हैं, वे बहुत ज्यादा तेज तर्रार फर्राटेदार दिखाए जाते है जो रियेलिटी से अलग है।
फिल्मी कमर्शियल वकील अक्सर विलन को ही हायर करते हैं (हँस पड़ते हैं) लेकिन इसमें मेरा कैरेक्टर ऐसे वकील का नहीं है।
वो स्मार्ट नहीं, स्टाइलिश नहीं है लेकिन स्ट्रीट स्मार्ट है, काइयाँ है, चतुर है लालची है लेकिन धीरे धीरे जब वो एक अनोखे केस की पैरवी में घुसता है तो उसके चरित्र का एक अलग पहलू चरितार्थ होता है जो उसके अंतर्मन के मानवता वाले पहलू को बाहर लाता है।
आपके अप कमिंग प्रोजेक्ट्स क्या है?
शकीला, कागज, 83, मिमी, लाली, अनटाइटल्ड फिल्म विद वाई आर एफ, बच्चन पांडे, और भी बहुत सारे प्रोजेक्ट्स है जो वर्ष 2021 में बनकर रिलीज होने वाली हैं।
हमारी पत्रिका ‘मायापुरी’ को लेकर आपकी कुछ यादें हैं?
बहुत सारी यादें हैं, यह फिल्म पत्रिका अब तक कि सबसे लोकप्रिय , सबसे पुरानी, रंगीन हिंदी फिल्म पत्रिका है।
जब मैं पटना में रहता था और फिल्मों में नहीं आया था तब से मायापुरी पढ़ता रहा हूँ, यह उस जमाने से रंगीन कवर पेज वाली एकमात्र हिंदी फिल्म पत्रिका थी,
मुझे फिल्म इंडस्ट्री के बारे में जानकारियां चाहिए होती थी तो मैं इसे एक रुपया रेंट पर लेकर आता था, ये उस समय भी काफी कम कीमत पर पैसा वसूल पत्रिका मानी जाती थी और गाँव, शहर यहां तक कि विदेश में भी उपलब्ध थी।
जो लोग फिल्म इंडस्ट्री के बारे में जेनुइन खबर जानना चाहते हैं या फिल्म दुनिया में आने के लिए संघर्ष करते हैं वे इसे जरूर पढ़ते हैं। इस पत्रिका के लिए इंटरव्यू देना शान की बात है।
आप मायापुरी के जरिये अपने फैन्स को कोई मेसेज देना चाहेंगे?
मैं मायापुरी के पाठकों और मेरे फैन्स को यही मेसेज देना चाहूँगा कि खुश रहिये, स्वस्थ रहिये, प्रोटेक्टेड रहिये, प्रेम से रहिए।
मैं आप सबके लिए आने वाले नव वर्ष के उपलक्ष में मंगल कामनाएं करता हूँ। मेरा बहुत बहुत प्यार और शुभकामनाएं। हैप्पी क्रिसमस एंड हैपी न्यू ईयर।