मायापुरी के जरिये मैं अपील करता हूं कि इन नालायकों की बातों पर दर्शक यकीन न करें- निर्माता पहलाज निहलानी By Mayapuri Desk 12 Nov 2018 | एडिट 12 Nov 2018 23:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर पहलाज निहलानी एक ऐसा नाम जिसने बॉलीवुड को ढेरों स्टार्स दिये, जिनमें गोविंदा का नाम सबसे ऊपर रखा जा सकता है। फिल्म इल्जाम में गोविंदा को एक डांसिंग स्टार के तौर पर पहलाज जी ने लांच किया। वो लांचिंग बेहद सफल रही । क्योंकि बाद में गोविंदा बहुत बड़े स्टार साबित हुये। एक वक्त ऐसा भी आया जब गोविंदा का कॅरियर डाउन हुआ, तो पहलाज जी ने उन्हें फिल्म शोला और शबनम दी । इस फिल्म के बाद इस जोड़ी की सुपर डुपर फिल्म आंखे आई । एक अरसे बाद एक बार फिर पहलाज निहलानी ने फिल्म ‘रंगीला राजा’ से गोविंदा की बतौर हीरो वापसी करवाई है । फिल्म को लेकर पहलाज जी से हुई एक मुलाकात । आप एक बार फिर से गोविंदा के साथ वापसी करने जा रहे हैं । इस बारे में क्या कहना है ? फिर से तो नहीं कहा जा सकता, हां ये जरूर है कि इन्सान का जब वक्त खराब होता है तो उसे चुपचाप एक तरफ शांत होकर बैठ जाना चाहिये । बुरे वक्त में मैं राजनीति में चला गया, लेकिन वहां भी बाकी सब का साथ था लेकिन वक्त साथ नहीं था । इसलिये मैं एक अरसे तक शात बैठा रहा । एक फिल्म गांविंदा के साथ शुरू की थी लेकिन वो एक शेड्यूल से आगे नहीं बढ़ पाई । कुछ अरसा शांत बैठने के बाद जब मुझे लगा कि अब कुछ करने का वक्त आ गया है तो मैने फिर फिल्म बनाने का विचार किया, पूरी यूनिट एक बार फिर मेरे साथ थी । गोविंदा मेरे घर का लड़का है सबने मेरी हिम्मत बंधाई । इस प्रकार सबके सहयोग से मैं ये फिल्म कंपलीट करने में कामयाब रहा । फिल्म को लेकर सेंसर से आपकी कुछ अनबन चल रही है ? वो कहते है न कि जिसको लेकर नाज होता है वही दुश्मन साबित होता है, या जिन पत्तों पर आप विश्वास करते हैंं वही हवा देने लगते हैं । इन्डस्ट्री में मैने न जाने कितने लोगों की मदद की, जो मेरे पास आता था मैं उसके साथ चल देता था। बाइस सालों तक मैं ऐसोसियेशन का प्रेसिडेंट रहा । उन दिनो जिस प्रोड्यूसर को सेंसर में तकलीफ होती तो मैं उसे साथ लेजाकर उसका प्रॉब्लम साल्व करवा देता था । वो सब करते करते एक दिन उस दौर के मिनिस्टर रवि शकर प्रसाद ने मुझे सेंसर की कुर्सी ऑफर की, लेकिन मैने ये कहते हुये मना कर दिया था, कि ये बहुत थैंक्सलैस जॉब है । इस पर बैठा हुआ आदमी हर किसी को खुश नहीं कर सकता । लेकिन दूसरी बार मैं मना नहीं कर पाया, लिहाजा मैने सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष की कुर्सी संभाल ही ली और बैठते ही कुछ नये काम किये । जैसे मैने सीबीसी को पारदर्शी बनाया जिसके बारे इससे पहले किसी ने नहीं सोचा था । उस वजह से मेरे आफिस के लोग भी मुझसे नाराज थे और इन्डस्ट्री के भी चंद नालायक लोग थे, जिन्होंने मीडिया का साथ लेकर मेरे खिलाफ एक मुहिम छेड़ दी कि मैं एक गलत आदमी हूं और जो कर रहा हूं गलत कर रहा हूं । उदाहरण बतौर उन दिनों एक फिल्म थी उड़ता पंजाब । उस फिल्म को मिनिस्ट्री ने बैन करने के आदेष दे दिये थे बावजूद इसके मैने फिल्म को मोडिफिकेशन करने के बाद पास करने की सिफारिश की जबकि जीतेन्द्र सर्टीफिकेट लेने के लिये तैयार थे लेकिन अनुराग कश्यप को पता नहीं क्या कीड़ा उठा कि उसने भांजीं मार दी। अनुराग की बात की जाये तो उसकी फिल्म बांबे वैलवेट को अगर ए की जगह यूए सर्टीफिकेट न मिलता तो शायद वो फिल्म रिलीज ही न हो पाती। अगर उस वक्त मीडिया उसका साथ न देता तो उसकी दुकान तो वैसे ही बंद हो जानी थी लेकिन मैने उसका साथ दिया और उसकी दुकान बंद नहीं होने दी। लेकिन उसने हमेशा खिलाफ लहर उगला और आज भी उगल रहा है। यानि सेंसर बोर्ड अध्यक्ष बनाना वाकई थैंक्सलैस जॉब साबित हुआ ? बिलकुल क्योंकि आप सब को खुश नहीं रख सकते और हर आदमी आपसे खुश नही रह सकता। फिर भी मैं लकी रहा, क्योंकि 98 प्रतिशत लोग मुझसे खुश थे। दो प्रतिशत कुछ नालायक लोग थे जो हर इन्डस्ट्री में होते हैं । उन दो प्रतिशत नालायक लोगों को मैं खुश नहीं कर पाया, मुझे इस बात का कोई दुख नहीं है। क्या उन लोगों की खिलाफत का असर फिल्म पर पड़ा है ? बिलकुल पड़ा है क्योंकि सोशल मीडिया में कुछ मीडिया के लोग जो उनके शुरू से ही चमचे बने हुये हैं, वे आजकल सोशल मीडिया पर मुझे लेकर लिख रहे है जैसी करनी वैसी भरनी’ । अब उन लोगों से कोई पूछे कि इन नालायकों के अलावा उन लोगों से भी मिलों,जिनके लिये मैने काफी कुछ किया । लिहाजा मायापुरी के जरिये मैं दर्शकों से अपील करता हूं कि वे इन नालायकों की लिखी बातों पर यकीन न करें । आपने सेंसर बोर्ड के खिलाफ कोर्ट में केस दायर किया है ? मैने वैकेशन कोर्ट में रिट दाखिल की थी लेकिन फिल्म को कोई गंभीरता से नहीं लेता । वैसे वैकेशन कोर्ट में इतना काम होता है ऐसे में फिल्म पर कौन देता है। उन्होंने मुझे सोलह तारीख दे दी । लेकिन बारह तारीख को दूसरी बैंच बैठेगी मैं वहां एक नई उम्मीद के साथ एफिडेविड के साथ रिट दाखिल करूंगा । मेरे नसीब में जो होगा वो सामने आ जायेगा । बीच में कुछ अरसा गोविंदा और आपके बीच कुछ तनातनी भी रही थी ? एक परिवार के लोगों के बीच कहा सुनी भी होती रहती है, रिश्ते टूटते हैं लेकिन फिर जुड़ जाते हैं । बस परिवार बना रहे। गोविंदा मेरे घर का लड़का है, कल भी था और आज भी है । पहले और अब के बदलाव को आप कैसे लेते हैं ? अगर आपको पता हो कि नासिर हुसैन ऐसे मेकर थी जिन्होंने एक ही कहानी पर कई फिल्में बनाई वे सभी हिट रही, लेकिन मैंने गोविंदा के साथ जितनी भी फिल्में की वे सभी एक दूसरे से अलग थी । मैने तो अपनी फिल्मों की भी कॉपी नहीं की। मैने हमेशा कुछ नया या अलग देने की कोशिश की है। जैसे फिल्म ‘आंधियां’ में मैने मुमताज की वापसी और प्रसनजीत का डेब्यू करवाया था । फिल्म नहीं चली वो दूसरी बात है। इसी प्रकार उन दिनों मिथुन चक्रबर्ती को डांसिंग स्टार कहा जाता था । मैने उसके तौड़ के रूप में फिल्म ‘इल्जाम’ में नये लड़के गोविंदा को पेश किया, क्योंकि मुझे लगा था कि गोविंदा मिथुन से कहीं अच्छा डांसर साबित हो सकता है और ऐसा ही हुआ भी । बाद में गोविंदा एक जबरदस्त डांसिंग स्टार बनकर उभरा । इसके बाद मैने कुछ और नया करने के लिये डांस, कॉमेडी और एक्शन मिलाकर फिल्में बनाई जो काफी हिट साबित हुई । कहने के मतलब दौर कोइ भी हो, बस फिल्में ऐसी हो जो दर्शक की पंसद पर खरी साबित हों । रंगीला राजा को लेकर क्या कहना है ? इस बार मैने गोविंदा को एक अलग अंदाज में पेश किया है । इससे पहल जैसे शत्रुघ्न सिन्हा या रजनीकांत किया करते थे यानि उनका चलने का अंदाज, बात करने का स्टाइल या फिर हाथ पैरों का स्टाईल, रजनीकांत कैसे सिगरेट पीते हैं, कैसे फाइट करते हैं वगैरह वगैरह वैसा ही कुछ यहां गोविंदा करता दिखाई देगा । फिल्म में तीन लड़कियां हैं, उनके बीच रंगीला राजा बहुत कुछ करता दिखाई देने वाला है । #interview #govinda #Pehlaaj Nihalani हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article