अनुज शर्मा और दीपक मुकुट के बैनर (शांतकेतन फिल्म्स और सोहम रॉक स्टार इंटरटेनमेन्ट) की संयुक्त रूप से बनाई गई फिल्म है ‘झूठा कहीं का’। ऋषि कपूर, जिमी शेरगिल, ओमकार कपूर और सन्नी सिंह के अभिनय वाली इस फिल्म को निर्देशित किया है पंजाबी फिल्मों के नामचीन डायरेक्टर समीप कंग ने। निर्माता अनुज शर्मा फिल्म निर्माता के सी शर्मा के पुत्र और निर्देशक अनिल शर्मा के भाई हैं। अनुज का नाम कई बड़ी फिल्मों (‘तहलका’, ‘हुकूमत’, ‘श्रद्धांजलि’, ‘मिलिट्री राज’, ‘कत्लेआम’) के साथ जुड़ा रहा है। ‘झूठा कहीं का’ जैसी हल्की फुल्की कहानी वाली फिल्म को बनाने के लिए अपने अंदर सोच कैसे पैदा की? यही सवाल मुझे उनके घर तक ले जाता है।
‘इस समय आदमी तनावपूर्ण जीवन जीने का अभ्यस्त हो रहा है। सुकून या थोड़ा सा पल हंसने- मुस्कुराने के लिए मिले तो क्या बात है! बस, इसी सोच के तहत हम लोगों ने ‘झूठा कहीं का’ बनाने का मन बनाया।’ कहते हैं अनुज शर्मा। ‘बेशक मेरा नाम शांतकेतन बैनर की फिल्मों से जुड़े होने से लोग सोचते होंगे कि मेरी पसंद वैसी ही होगी। लेकिन, मैं वैरायटी वाली सोच रखता हूं। मैंने अपनी सोच के तहत कई दूसरी फिल्में भी तो बनाई है जैसे- ‘ईश्क जुनून’, ‘सिंह साहब द ग्रेट’, ‘नॉटी /40’, ‘जवाब...’ आदि। पर मेरा ख्याल है इस समय यह विषय बहुत टाइमली है। बड़ी-बड़ी फिल्में, सोशल मीडिया, यू-ट्यूब ट्वीटर, फेसबुक, वेब सीरीज देख देख कर दर्शक थकते जा रहे हैं। ऐसे में, हल्के फुल्के मनोरंजन की फिल्में दवा या टॉनिक की तरह साबित हो सकती हैं। इसी सोच को सोचकर यह प्रोजेक्ट बनाया गया और कलाकारों तकनिशियनों के सहयोग से हम जैसा चाहते थे।, वैसी फिल्म बन पायी है।’
‘ऋषि कपूर आपकी फिल्म करते करते ही बिमारी से डायगनोज हुए थे। क्या उनका काम पूरा हो गया था?
- हां जी, वह पूरी शूटिंग करा लिए थे। यहां तक कि डबिंग का थोड़ा सा काम था, वो भी वह जाने के समय जिस दिन फ्लाइट पकड़नी थी उसे पूरा करा कर गये। वह बहुत जेंटलमैन हैं और उम्दा कलाकार तो है ही। इसी तरह जिमी (शेरगिल) ने पूरे मन से साथ दिया और सभी ने मन लगा कर शूटिंग पूरी कराई और आज एक अच्छी फिल्म बन गई। यह भी खुशी की बात है कि ईश्वर की कृपा से फिल्म रिलीज होने तक वह एकदम ठीक हो गये हैं।
भविष्य में बड़ी फिल्में बनाने में जुड़ेंगे या छोटी हल्की-फुल्की..?
- अब इरादा है कि हल्की फुल्की मगर कंटेट वाली तीन-चार फिल्में साल में बनाया करूं। पहले भी सिनेमा इंडस्ट्री में ऐसा रहा है। एक तरफ मनमोहन देसाई प्रकाश मेहरा या मेरे भाई (अनिल शर्मा) के निर्देशन वाली भारी फिल्में बनती थी, वहीं ऋषिकेश मुखर्जी, बासु चटर्जी जैसे मेकर छोटी हल्की फुल्की फिल्में दिया करते थे। मेरा मानना है कि फिल्म कौन से दर्शकों के दिल को भा जाएंगी, महत्व की बात यह है। ‘झूठा कहीं का’ हमने हल्के मूड को ध्यान में रखकर बनाया है और हमें उम्मीद है दर्शक खूब पसंद करेंगे।
अगली प्रोजेक्ट ?
- तीन प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है- जिस पर बाद में चर्चा करेंगे।