Advertisment

बतौर प्रोड्यूसर खुद को साबित करना है- स्वाति सिंह

author-image
By Mayapuri Desk
New Update
बतौर प्रोड्यूसर खुद को साबित करना है- स्वाति सिंह

बॉलीवुड में आमतौर पर यही देखा गया है कि यहां महिलाओं ने एक्टिंग या फिर डायरेक्शन में ही खुद को साबित किया है, प्रोडक्शन में बहुत कम लड़कियां नज़र आती हैं, पर स्वाति सिंह शुरू से ही सोचकर आई थी कि उन्हें प्रोड्यूसर के तौर पर ही अपनी पहचान कायम करनी है जिसकी शुरूआत फिल्म ’वन डे जस्टिस डिलिवर्ड’ से हो चुकी है। बॉलीवुड में स्वाति की जर्नी ज्यादा लंबी नहीं है। उन्होंने यहां 2014 में कदम रखा था लेकिन लक्ष्य तय था कि उन्हें फिल्में बनानी है जिसमें उनका नाम प्रोड्यूसर के तौर पर जुड़ा हो। हालांकि वन डे उनकी डेब्यू फिल्म है लेकिन फिल्ममेकिंग सीखने का अनुभव वह साजिद नाडियाडवाला के प्रोडक्शन में ले चुकी हैं। बता दें कि स्वाति नाडियाडवाला के साथ बतौर प्रोडक्शन मैनेजर और प्रोडक्शन सुपरवाइजर के तौर पर कई फिल्में कर चुकी हैं लेकिन जब उन्हें लगने लगा कि किसी के प्रोडक्शन में अधीन रहकर काम करने से सिर्फ पैसा तो मिल सकता है लेकिन खुद की पहचान नहीं बन सकती। तब उन्होंने कंपनी छोड़ दी।

बतौर प्रोड्यूसर खुद को साबित करना है- स्वाति सिंह

स्वाति मध्य प्रदेश से हैं। उन्होंने पुणे की एक आईटी कंपनी में भी काम किया है। खुद की भी कंपनी खोली लेकिन विश्व भर में जब आर्थिक तंगी का दौर आया, तो इसका प्रभाव स्वाति की कंपनी पर भी पड़ा जिसकी वजह से उनकी कंपनी बंद हो गई और तब स्वाति ने मुंबई की तरफ अपने कदम बढ़ाए। यहां उन्होंने कुछ टीवी प्रोजेक्ट्स बनाए लेकिन फाइनल नहीं हो पाए। इसके बाद एक दिन यहां उनकी मुलाकात डायरेक्टर अशोक नंदा से हुई जिनके साथ मिलकर उन्होंने काम शुरू किया लेकिन छह महीने तक काम करने के बाद स्वाति अचानक नंदा के संपर्क से दूर हो गई। जब अशोक नंदा एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे तो उन्होंने फेस बुक के जरिए स्वाति को मैसेज किया कि क्या वह उनके प्रोजेक्ट का हिस्सा बनना चाहेंगी। तब स्वाति का मैसेज आया कि वह तो शुरू से ही उनके साथ काम करना चाहती थीं लेकिन हालात ऐसे हुए कि वह किसी कारण वश उनके संपर्क से कट गई। मुलाकातों का दौर दोबारा शुरू हुआ और इस तरह स्वाति और अशोक नंदा के बीच अच्छी बॉडिंग हो गई। आमतौर पर दो लोगों के बीच लंबे समय तक पार्टनरशिप चल नहीं पाती। ऐसे में अशोक नंदा के साथ उनकी ट्यूनिंग कितनी कामयाब रह पाएगी, इस सवाल पर स्वाति कहती हैं कि अशोक जी और मैं अच्छा बैलेंस करके चलते हैं और उनके विज़न का मुझे पता रहता है।

फिल्म ’वन डे’ के राइटर कौन हैं? पूछने पर स्वाति कहती हैं कि स्टोरी आलौकिक राय की है जो अशोक जी के ही दोस्त हैं। उन्होंने मुझे भी नेरेशन दिया था जो मुझे पसंद आया। हमने प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया। कास्टिंग से जुड़े सवाल पर स्वाति कहती हैं कि अशोक जी की प्राथमिकता अनुपम खेर, अमिताभ बच्चन या ऋषि कपूर थे। अनुपम खेर जी को जब स्टोरी सुनाई तो उन्होंने हां कह दिया। 70 प्रतिशत कलाकारों ने कहानी को पसंद किया लेकिन समस्या एक्ट्रेस को लेकर थी। मैंने कम से कम 14 एक्ट्रेसेस से संपर्क किया। उन्हें कहानी सुनाई। सभी ने मना कर दिया। इसका कारण हरियाणवी लैंग्वेज हो सकती है। कुछ का कहना था कि यह मेल ओरिएंटेड मूवी नहीं है इसलिए इसका भार एक्ट्रेस को ही उठाना होगा। इसलिए भी कोई आगे नहीं आई। इसके बाद ईशा गुप्ता से संपर्क किया। उन्होंने बेहतरीन परफॉर्मेंस दी है। हरियाणवी लैग्वेज पर उन्होंने अपनी मज़बूत पकड़ दिखाई। पहली बार उन्होंने कोई ऐसा कैरेक्टर किया है जो ग्लैमर से हटकर है।

बतौर प्रोड्यूसर खुद को साबित करना है- स्वाति सिंह

स्वाति कहती हैं कि हमने अपनी फिल्म 33 दिनों में कंपलीट की है जिसमें चार गीत हैं। इसमें इंस्पैक्टर का किरदार कुमुद मिश्रा ने निभाया है। मुरली शर्मा डॉक्टर बने हैं और ज़ाकिर हुसैन ने एक सांसद का रोल निभाया है। अपकमिंग प्रोजेक्ट्स को लेकर स्वाति कहती हैं कि हमारे चार प्रोजेक्ट हैं जिनमें तीन फाइनल हो चुके हैं। एक इंडो कैनेडियन इंग्लिश फिल्म जो डिले चल रही है जैसे ही वन डे का काम खत्म होगा, हम उसका प्री प्रोडक्शन शुरू कर देंगे। हमारी एक फिल्म कैनेडा में शूट होगी। सिनेमा फ्राइडे उसे प्रोड्यूस कर रहा है। गुजराती और मराठी फिल्म है जो वन डे की वजह से शुरू नहीं हो पाई। हिंदी कॉमेडी फिल्म है जिसे अशोक नंदा जी डायरेक्ट कर रहे हैं। कुल मिलाकर अशोक नंदा जी के साथ काम करते हुए मुझे भी बतौर प्रोड्यूसर खुद को साबित करना है।

Advertisment
Latest Stories