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लिपिका वर्मा
राय लक्ष्मी को अगर 'साउथ की सायरन' टाइटल से नवाजा जाये, तो कोई ज्यादती नहीं होगी। अपनी 50वीं फिल्म से राय लक्ष्मी को हिंदी फिल्मी दुनिया में अपना सफर शुरू करना था। सो उन्होंने 'जूली 2' से बॉलीवुड में पदार्पण करने की सोची। क्योंकि जूली-2 बनने में थोड़ा समय लग गया, किन्तु अपनी आखिरी फिल्म ‘सरदार गब्बर सिंह’ पवन कल्याण के साथ करने के बाद वह ‘जूली 2’ का इंतजार करने लगी। ‘जी हाँ, मुझे क्योंकि बॉलीवुड में अपना सफर शुरू करना था, सो मैंने बहुत सोचा 50वीं फिल्म से हिंदी फिल्म ‘जूली-2’ करने की ठानी। आज मैं खुश हूँ ‘जूली -2’ ट्रैलर को भी इतना अच्छा रिस्पांस मिला है।
पेश है राय लक्ष्मी के साथ लिपिका वर्मा की बातचीत के कुछ अंश
आप साउथ में एक जानी मानी हीरोइन है। अब जाकर हिंदी फिल्मों का चयन क्यों किया ?
दरअसल में , मैं हमेशा से यही चाहती थी की जल्द ही हिंदी फिल्मों में काम करने लगूंगी। किन्तु तमिल, तेलुगु, एवं मलायलम फिल्मों के ऑफर मिलते चले गए सो फिर मैंने यही सोचा कि अपनी सिल्वर जुबली फिल्म यहां से शुरू करती हूं। मैंने फिल्म ‘अकीरा’ में एक छोटा सा किरदार निभाया है। किन्तु वो मेरी हिंदी डेब्यू फिल्म नहीं है। ‘जूली 2’ ही मेरी हिंदी डेब्यू फिल्म है। मुझे ‘जूली 2’ फिल्म साईन करने के बाद भी साउथ की फिल्मों से ऑफर मिलते रहे।
किन्तु जब उन सब निर्माता-निर्देशक को मैंने यह बताया की मुझे बॉलीवुड फिल्म ‘जूली 2’ के लिए काम करना है तो उन्होंने मुझे बहुत सपोर्ट किया। यह मेरे लिए एक खास फिल्म है। उस वक्त की जूली भी एक अलग और अपने समय से बहुत बोल्ड सब्जेक्ट पर बनी बेहतरीन फिल्म है। पर मैं आपको यह बता दूँ यह फिल्म उस वाली जूली से बहुत अलग है। निर्माता-निर्देशक यही सोच कर कोई भी किरदार है क्योंकि उस किरदार में हम सटीक बैठते हैं। खैर मुझे आशा और विश्वास है मेरी हिंदी की पहेली फिल्म ‘जूली-2’ बॉक्स ऑफिस पर अपना जलवा जरूर दिखायेगी।
क्या ‘जूली 2’ में सेक्स ज्यादा दिखाया गया है ?
ट्रेलर से ऐसा एहसास जरूर होता है। किन्तु यह फिल्म सेक्स से भी ऊपर है। दरअसल, निर्देशक का मानना है -कि ट्रेलर इतना अच्छा होना चाहिए जिस से बाद में उस फिल्म की चर्चा हो। और ठीक वैसे ही हुआ। और ऐसा उन्होंने किया इस पर मुझे कोई भी आपत्ति नहीं है।
आपने अच्छा खासा अंग प्रदर्शन किया है। ...सेक्स तो अच्छा खासा नजर आ रहा है ? आपकी अंग प्रदर्शन की सीमा क्या है?
हर अंग प्रदर्शन का सीन बहुत ही बेहतरीन ढंग से फिल्माया गया है। कोई भी निर्बल ढंग से सीन में , मैं नजर नहीं आने वाली हूँ। यदि अंग प्रदर्शन सही तरीके से न हो तो बतौर अभिनेत्री हम भी अच्छा फील नहीं करते हैं। अंग प्रदर्शन जितना अनिवार्य है फिल्म की कहानी के मुताबिक उतना दिखाने में मुझे कोई भी तकलीफ नहीं हुई। जी हाँ जब भी अंग दिखाना होता है तो बतौर अभिनेत्री हमारी मनोस्थिति एवं शारीरिक मुद्रा दोनों अपनी बेस्ट स्थिति पर होनी चाहिए।
प्रेशर रहता है बतौर आर्टिस्ट। क्योंकि अपना बेस्ट देना होता है और स्क्रीन पर सब कुछ, यानि दायरे में रह कर ही करना होता है। सो यह सब आसान काम नहीं है। यह हमारा पेशा है। दिल-दिमाग और शारीरिक तौर से यदि अच्छा फील न कर रहे हो तो रिटेक भी होते हैं और सीन भी बेहतरीन नहीं हो पाता है। खैर अभिनेत्री हूँ तो शूटिंग के पहले सब कुछ दिल दिमाग और फिजिकली मैं अपने आप को अच्छा फील ही देती हूँ। साथ ही अंग प्रदर्शन में इमोशंस भी सही मात्रा में आने चाहिए। आप सोच ले कितना मुश्किल है यह सब एक साथ स्क्रीन पर लाना। पर लोगों को सिर्फ सेक्सी कहना है और खुश रहना है।
आपके साउथ फैंस आपकी साउथ की फिल्में मिस करेंगे न?
ऐसा नहीं है। हमरे साउथ के फैंस बहुत ही ईमानदार होते हैं अपने पसंदीदा एक्टर के प्रति वो मेरी ‘जूली- 2’ फिल्म भी देखने सिनेमा घरों में जरूर पधारेंगे। और मेरा उनको आश्वासन है कि वह मुझे इस फिल्म में भी बहुत ही पसंद करेंगे।
अपनी फ्यूचर फिल्मों पर जरा प्रकाश डालें?
मैं एक तेलुगु एवं मलयालम फिल्म करने वाली हूं। किन्तु इन फिल्मों के बारे में अभी कुछ डिटेल्स नहीं दे सकती हूँ। फिल्मकार ही इन फिल्मों को अनाउंस करे तो अच्छा होगा। बहुत जल्द इन फिल्मों के बारे आप से बातचीत भी करुँगी मैं।
साड़ी में भी लोग आपको सेक्सी कहते हैं। क्या कहना चाहेगी आप?
हंस कर बोली -ग्लैमर यदि मैं सर से पैर तक ढकी हूँ तब भी लोगों को मैं सेक्सी नजर आती हूं तो इस में मुझे कोई एतराज नहीं। हॉट एंड सेक्सी का खिताब यदि लोग मुझे देते हैं साड़ी में देख कर तो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है।