रीयलस्टिक फिल्मों के अलावा राजकुमार राव ने मेनस्ट्रीम की फिल्में भी की हैं। उनमें कुछ फिल्में ऐसी भी थी, जिनमें कॉमडी और नाच गाने थे। राज कुमार, हंसल मेहता की फिल्म ‘अमेर्टा ’ में देने वाले हैं, जो एक आतंकवादी की सच्ची कहानी पर आधारित है। फिल्म को लेकर राजकुमार राव से एक बातचीत।
आपका किरदार क्या है ?
ये एक रीयल आदमी की कहानी है, जिसका नाम ओमार शहीद शेख है और जो लंदन में पला बढ़ा पाकिस्तानी है लिहाजा वहीं का नागरिक भी है। एक समय कंधार में हुये लड़ाई झगड़ा के बाद किस तरह उसके दिमाग में तब्दीलीयां आनी शुरू हुई, जिसकी बदौलत उसका दिमाग पूरी तरह चेंज हो गया और वो आतंकवाद के रास्ते पर चल निकला, लिहाजा आगे वो आतंकवादी गतिविधियों के तहत कंधार हाइजैक में शामिल हुआ था, 26/11 में भी उसकी मौजूदगी पाई गई, यही नहीं 9/11 में भी वह इन्वॉल्व था। इसके अलावा डेनियल पॉल के अपहरण में भी उसका हाथ था। इस प्रकार वो बड़ी बड़ी वारदातों का मास्टर माइंड बनकर सामने आया।
किरदार के लिये क्या आपको कुछ तैयारी करनी पड़ी ?
यस, क्योंकि ये ब्रिटिश नागरिक था इसलिये मैं लंदन गया। वहां उसके लुक के अलावा संबधित किताबों द्धारा ढेर सारी जानकारियां जमा की। वहीं पर ये भी पता लगाया कि ये लोग क्या सोचते हैं किस तरह किस प्रकार किसी वारदात को अजांम देते हैं। इसके बाद उसके जैसा दिखाई देने के लिये मुझे अपने शरीर पर भी काम करना पड़ा, जिसमें दाढ़ी बढ़ाना भी शामिल था।
ओमेर्टा यानि ?
ये एक ऐसा शब्द है जिसे सांकेतिक भाषा के तौर पर यूज किया जाता है यानि दो लोगों के बीच ये साइलेंस कोड है। क्योंकि ये गैंगेस्टर टर्म भी है जो खासकर इटली के अंडवर्ल्ड में यूज होता है। फिल्म का मुख्य किरदार भी टेरिज्म से जुड़ा एक पड़ा लिखा बंदा है।
क्या इसे बायोपिक भी कहा जा सकता हैं ?
क्यों नहीं। कह सकते हैं। लेकिन यह पहली ऐसी बायोपिक फिल्म है, जिसमें बहुत ज्यादा ठहराव है। दूसरे ये पहली बायोपिक थ्रिलर है।
फिल्म में फिल्मी लिबर्टी ली गई है ?
बेशक बायोपिक फिल्मों में लिबर्टी के चांस कम ही होते हैं, लेकिन चूंकि ये एक आंतकवादी की कहानी है, ऐसा शख्स, जिसके बारे में हम जानते हैं, लेकिन उससे कभी मिले नहीं, इसलिये उसके द्धारा किये गये रीयल इंसीडेन्ट्स को देखते हुये उतनी ही फिल्मी लिबर्टी ली जितनी जरूरी है।
फिल्म के निर्देशक हंसल मेहता का कहना है कि इसकी स्क्रीनिंग के दौरान किरदार के कार्यकलापों को देख कुछ मेहमान काफी उत्तेजित दिखाई दिये थे ?
अगर आप दर्शक के गुस्से की बात कर रहे हैं तो वो गुस्सा फिल्म देखकर नहीं बल्कि गलत काम करते कॅरेक्टर पर आता है। जिस तरह आप जब किसी फिल्म में खलनायक को किसी मजबूर आदमी पर जुल्म करते देखते हैं तो जो गुस्सा आपका वहां आता है, बिलकुल वही गुस्सा यहां इस किरदार को देख कर आता है ।
आजकल किसी भी फिल्म के रिलीज से कुछ समय पहले कुछ लोग उसके विरोध में उठ खड़े होते हैं ?
जी हां। इसलिये मैं या हंसल मेहता ऐसा कोई काम करने से हमेशा बचते हैं जिससे इन कथित विरोध करने वालों को कोई मौका मिले। चूंकि ये पाकिस्तानी ब्रिटिश नागरिक को लेकर फिल्म है। इसके अलावा पब्लिक डोमेन में भी उसके बारे में लिखा है। एक बात और हमने कहानी को वास्तविक जामा पहनाने के लिये उसे जरा भी ग्लोरीफाइव किये बिना, उसके जीवन में झांकने की कोशिश न करते हुये यह बताया है कि वह अगर कोई वारदात कर रहा है, उसकी वजह क्या है। इसके अलावा आजकल बहुत सारे यंगस्टर्स क्यों आतंकवाद के रास्ते पर चल रहे हैं। उसकी क्या वजह है। फिल्म में यही सब बताने की कोशिश की है।
और कौन कौन से प्रोडक्ट्स हैं ?
कुछ फिल्में हैं जिसमें कुछ फ्लौर पर हैं, कुछ कंपलीट हैं जैसे, मेंटल है क्या, लव सोनिया, एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा, फन्ने खान, 5 वेडिंग्स, शिमला मिर्ची तथा बंगाली फिल्म आमी सायरा बानो है आदि।
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