करण जौहर की वजह से में अपनी आवज लोगों तक पहुंचा पाई- रानी मुखर्जी By Lipika Varma 07 Mar 2018 | एडिट 07 Mar 2018 23:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर रानी मुख़र्जी सबसे जानी मानी एवं सबसे उत्तम फिल्म प्रोडक्शन हाउस की रानी बन चुकी है। आदित्य चोपड़ा से शादी कर आज वह एक बच्ची जिसका सुंदर सा नाम है आदिरा की माँ बन चुकी है। करीब 2 साल बाद उनकी फिल्मों में वापसी हो रही है। फिल्म 'हिचकी' एक ऐसी कमी को दर्शाती है जिसके साथ जीना इतना आसान नहीं होता है। टोरेट्टेस सिंड्रोम एक बोलचाल में बाधा पैदा करने वाली बीमारी है। इस फिल्म में रानी मुख़र्जी ने कोशिश की है कि इस प्रॉब्लम के साथ भी कोई व्यक्ति चाहे तो काम पा सकता है। और जीवन किसी पर निर्भर न रख सुगमता से अपने बल बुते पर जी सकता है। पेश है रानी मुख़र्जी के साथ लिपिका वर्मा की बातचीत के कुछ अंश - जैसे ही रानी की एंट्री रूम में होती है जीन्स और एक नार्मल काली टी शर्ट में तो वह बहुत ही हेल्थी एवं शारीरक तौर से फिट लग रही होती है सो हमने सबसे पहला प्रश्न उन पर पूछा आप बहुत फिट और हॉट लग रही है, क्या कुछ करती है स्लिम ट्रिम रहने के लिए ? कहां हॉट! ठीक है बोलो बोलो -दरअसल में अपने आप को फिट रखने के लिए हमें अपने मुँह को बंद रखना पड़ता है जो बहुत मुश्किल काम है। सही मायने में कसरत भी नियमित रूप से करनी पड़ती है। मुँह बंद रखने का मतलब यह नहीं है कि आप खाना न खाये आपको समय पर और सही खाना खाने की आदत डालनी चाहिये। और तो और जभी भी आप अंदर से अपने आप को दंदरुस्त पाते है तो आप को स्वयं अच्छा फील होता है। और सही लगते है आप। शारीरिक तौर से फिट रहना अनिवार्य है ताकि आप अपनी तंदुरुस्ती बनाये रखे। आपकी फिल्म 'हिचकी' कुछ 2 वर्षों पश्चात आ रही है। इस बीच आपकी शादी हुई और आदिरा भी हो गयी ? दरअसल में -में इतनी जल्दी फिल्मों में वापसी करुँगी ऐसा कोई विचार नहीं था। आदिरा के पैदा होने के बाद में आदिरा में कुछ ज्यादा इन्वॉल्व हो गयी थी क्योंकि मेरी बेटी असामयिक (प्रेमच्योर) हुई थी। नार्मल बच्चे के साथ इतना डर नहीं लगता है। और तो और यह पहली बेबी थी और मुझे माँ बनने का एहसास भी पहली बारी ही हो रहा था सो कुछ 14 महीने ही में अपनी बेटी के साथ रह पायी। दरअसल में हर माँ की अलग अलग जरूरते होती है। कुछ माँ तीन महीने के बाद ही जॉब ज्वाइन कर लेती है। किन्तु मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं था। मेरे पति मेरे लिए सबकुछ प्लान करते है। जब उन्होंने यह देखा कि मै आदिरा में कुछ ज्यादा ही उलझ रही हूँ तब उन्होंने मुझे कहा कि तुम्हे अपना करियर भी देखना होगा और अपने फैंस के लिए वापसी करनी होगी। बस इसी बीच 'हिचकी' की स्क्रिपट मैंने पढ़ी और फिल्म से जुड़ गयी। फिल्म अपने जन्मदिन पर रिलीज़ करने की ख़ास वजह ? हमने ऐसा कुछ भी प्लान नहीं किया था। अमूमन हम जन्मदिन विदेश में ही मनाया करते है। किन्तु इस बारी बहुत कुछ अलग है। मेरी फिल्म रिलीज़ पर है और मेरे जन्मदिन पर रिलीज़ हो रही है। और भी एक बात यह जन्मदिन मेरा पहला ज्नमदिन होगा जबकि मेरे पापा साथ नही होंगे। इस बात का मुझे बहुत दुःख है क्योंकि हर जन्मदिन पर वो मेरे साथ ही हुआ करते (रो पड़ती है) यह मेरे लिए बहुत ही इमोशनल बात है। पर हाँ जहाँ कही भी होंगे ऊपर से ही हमे और हमारी फिल्म को उनका आशीर्वाद जरूर मिलेगा यह मुझे पक्का मालूम है। आपका कोई गॉडफादर नहीं था जब आपने फिल्मों में पदार्पण किया। क्या सीखा अपना अनुभव हमसे शेयर करे ? मेरे हिसाब से मैंने हर दिन कुछ न कुछ किसी न किसी से जरूर सीखा है। फिर चाहे वह अच्छा हो या बुरा। मेरा अहोभाग्य है की मुझे बेहतरीन निर्देशकों, निर्माताओं एवं अच्छे अभिनेताओं के साथ काम करने का मौका भी मिला और सीखने को भी बहुत कुछ मिला। दरअसल में उस वक़्त सलीम अख्तर जी मेरे पिताजी के बहुत घनिष्ठ मित्र थे। और वो कोलकत्ता से ही शादी के पहले से ही मुझे पहचानते थे। उनको लगा की मेरे अंदर कोई बात है और में अभिनेत्री बन सकती हूँ। सलीम अंकल जी डिस्ट्रीब्यूटर (वितरक) की वजह से मुझे पहला ब्रेक तो मिल गया पर मैजिक तभी हो पाता है जब आप को ऑडियन्स पसंद करती है। 'राजा की आएगी बारात' देख कर न केवल लोगों ने मुझे पसंद किया अपितु निर्देशक/निर्माताओं ने भी मुझे काम देना शुरू कर दिया। वो कहते है न पहला चांस तो आपको तुके से मिल जाता है किन्तु तीसरा टैलेंट होने पर ही मिल पाता है। बस ऑफर्स उसके बाद मिलते ही चले गए सो फिल्मी सफर अच्छा रहा। आपकी पहली फिल्म, 'गुलाम' में आपकी आवाज़ डब की गयी कोई ख़ास वजह ? देखिये मेरे जीवन में भी मुझे स्टम्मेररिंग (हकलाने) की कमी से जूझना पड़ा। मेरी माँ को भी हकलाने की आदत थी। उसके बाद मेरे भाई भी हकलाया करता और उसके साथ रहकर मुझे भी हकलाने की आदत हो गयी। यह मेरे लिए भी जीवन में एक बड़ा चैलेंज रहा और फिल्मों में भी मुझे पहली फिल्म डब करनी पड़ी। खेर मेरे लिए फिल्म, 'गुलाम' और 'कुछ कुछ होता' है दोनों बहुत ही महत्वपूर्ण रही मेरी करियर के लिए विक्रम और आमिर खान को ऐसा लगा कि मेरी आवाज़ अभिनेत्रियों जैसी हलकी और पतली नहीं है सो उस वक़्त उन्होंने यही तय किया की मेरी वॉयस डब की जाए। किन्तु में करण को मेरी आवाज़ फिल्मों में देने के लिए क्रेडिट करना चाहूँगी उनका विश्वास ही था जिसकी वजह से उन्होंने मुझे 'कुछ कुछ होता है' में अपनी आवाज़ डब करने की अनुमति दी, उसके बाद आमिर खान का भी फ़ोन आया मुझे और उन्होंने मुझे कहा -सॉरी हमने गलती की आपकी आवाज़ फिल्म 'गुलाम' में डब करवाई। सो मेरी खुद की आवाज़ अपने चेहरे पर फिल्मों में लाने के लिए एक चैलेंज ही रहा मेरे लिए। कारण ने मेरी आवाज़ मेरे चेहरे पर लाने की हिम्मत की यह जीत मेरे लिए आगे चल कर मील का पत्थर जैसी ही साबित हुई। जबकि 'कुछ कुछ होता है' एक बहुत बड़ी फिल्म रही मेरे करियर की। यहाँ शाहरुख़ खान जैसे बड़े कलाकार के साथ काम कर रही थी में। ➡ मायापुरी की लेटेस्ट ख़बरों को इंग्लिश में पढ़ने के लिए www.bollyy.com पर क्लिक करें. ➡ अगर आप विडियो देखना ज्यादा पसंद करते हैं तो आप हमारे यूट्यूब चैनल Mayapuri Cut पर जा सकते हैं. ➡ आप हमसे जुड़ने के लिए हमारे पेज width='500' height='283' style='border:none;overflow:hidden' scrolling='no' frameborder='0' allowfullscreen='true' allow='autoplay; clipboard-write; encrypted-media; picture-in-picture; web-share' allowFullScreen='true'> '>Facebook, Twitter और Instagram परa जा सकते हैं. embed/captioned' allowtransparency='true' allowfullscreen='true' frameborder='0' height='879' width='400' data-instgrm-payload-id='instagram-media-payload-3' scrolling='no'> #interview #rani mukherji #HICHKI हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article