रति अग्निहोत्री की पहली फिल्म ‘एक दूजे के लिए’ अभी तक चल रही है, इस हिसाब से उसे मुंबई में आए अभी एक साल भी नहीं हुआ है, और इस अर्से में एक ही फिल्म से वह रातों-रात स्टार बन गई है, जब किसी अभिनेत्री को इस प्रकार की अद्वतीय कामयाबी मिल जाती है, तो उसके नाम से जलने वालों की गिनती करना मुश्किल हो जाता हैं, जिन अभिनेत्रियों को पीछे छोड़ जाती हैं, उनका जलना स्वाभाविक होता है, यह इंसानी फितरत है, रति ने आते ही बड़े बैन, बड़ी हीरोज में अपने लिए जगह बनाई है, उसी से वह कुछ की नजरों में खटकने लगी है, और इसी लिए रति नई अफवाहें जन्म लेने लगी हैं, मैंने छायाकार मित्र नागराज के साथ बैठ कर पहले वह अफवाहें जमा की और फिर हमने एक दिन रति के घर धाबा बोल दिया परवेज़ सय्यद
हमने रति आते ही उससे कहा- आज नई अभिनेत्रियों में आप ही एक ऐसी अभिनेत्री हैं, जो देखते ही देखते स्टार बन गई है, और अफवाहें भी उसी तेजी से फैली हुई हैं, आज हम अफवाहों का ही समाधान करने यहाँ आए हैं!
आप कुछ भी पूछिये-मैं बेधड़क बताऊँगी, मैं दूसरों की तरह डरने वाली नहीं हूँ, रति ने कहा-मैं इस बात को मानती हूँ अगर कलाकार के जीवन में अफवाहें जन्म न लें तो जीवन का मज़ा ही नहीं आता.
‘एक दूजे के लिए’ की डबिंग को लेकर जो विवाद खड़ा हुआ था, वह आज भी चल रहा है, आप कहती हैं कि आपने अपनी डबिंग की है, किन्तु युनिट लोग इस बात को नकारते हैं, यह क्या गड़बड़ घोटाला है
आपको या किसी को मेरी बात का विश्वास नहीं हो तो यह मेरी बद किस्मती में निर्माता और निर्देशक भी उन्होंने तो आज तक इस बारे में ही कहा.
आपको यह भी ता सोचना चाहिए...आप की सर्वप्रथम साउथ की फिल्मों मे वही निर्माताओं ने ही ब्रेक दिया, क्या यह अपकी एहसान फरामोश नहीं है, कि हिन्दी फिल्में मिलने के बाद आप उन फिल्में नकारने लगीं हैं?
हर इंसान को अपना जीवन अपने ढ़ग से जीने का अधिकार हासिल है, हर कोई जीवन में अपनी महत्वाकांक्षाओं पूर्ति चाहता है, ओर जीवन उन्नति के पथ पर अग्रसर होना चाहता है, एक उत्तर भारतीय होने के नाते मेरी दिली तमन्ना हिन्दी फिल्मों में काम करने की थी, अगर मुझे मेरी मंजिल मिल गई है, तो मैं पीछे मुड़कर क्यों देखू। मैंने साउथ वालों को धोखा तो नहीं दिया, हिन्दी फिल्मों के लिए मुंबई शिफ्ट होने से पूर्व मैंने अपने निर्णय से उन्हें सूचित कर दिया था, और वहाँ की सारी फिल्में फ्री करने के बाद ही, मैं मुंबई सैटल हुईं, इसमें एहसान फरामोशी की बात कहाँ से आ गई, इसके बावजूद अगर किसी दक्षिण भारतीय फिल्म में मुझे कोइ चैलेंजिंग रोल ऑफर हुआ तो मैं अवश्य ही करूँगी!
रति जी, आज आप मनमोहन देसाई की फिल्म ‘कुली’ में काम कर रही है, उसी मन मोहन देसाई और उस लेवल के कुछ बडे़ फिल्मकारों के बारे में आपने एक बार कहंा था, कि मैं बडे़ फिल्मकारों की परवाह नहीं करती, साउथ के बहुत से मन मोहन देसाई, प्रकाश मेहरा, आदि भरे पड़े है, क्या आपको आज उस पर शर्मिन्दगी होती है?
मैं क्या आपको इतनी बेवकूफ लगती हूँ कि दरिया में रहकर मगरमच्छ से बैर मोल लेने की बात करूँ? अगर मैं ने ऐसा कहंा होता तो मन मोहन देसाई कभी भी अपनी फिल्मों में मुझे काम न देते, इससे ही आप समझ जाईए कि मैंने ऐसा कोई गलत बयान नहीं दिया...मैंने यह जरूर कहा था कि मेरे लिए फिल्मकार नहीं रोल अधिक महत्त्व रखता है...
‘एक दूजे के लिए’ जैसी हिट फिल्म देने के पश्चात के .बालचन्दर ने आपको अपनी किसी फिल्म में रिपीट किया और न ही कमल हासन ने ही आपके साथ कोई फिल्म साईन की, बल्कि कमल हासन ने तो, यहाँ तक कहा है कि रति कभी साउथ में टॉप हीरोइन नहीं रही, के० बालचन्दर और कमल हासन आप से किस बात पर नाराज हैं?
कमल हासन के साथ मैंने अभी हाल ही में वीरेन्द्र भल्ला की एक फिल्म साइन की है, अगर कमल हासन को मुझ से नाराजगी होती तो वह फिल्म कभी साइन न करते, इससे नाराजगी की बात तो साफ हो गई किन्तु उसने इस प्रकार का स्टेटमेंट क्यों दिया यह मेरी समझ में नहीं आया. मैंने तो कभी भी उसके खिलाफ एक शब्द नहीं कहा, उसका क्या उद्देश्य है, यह मैं नहीं समझ पाई, रही बात के० बालचन्दर की तो यह जरूरी तो नहीं कि हिट फिल्म देने के बाद मैं उनकी हर फिल्म में काम करूँ? साउथ में वह स्टार्ट टू फिनिश फिल्म बनाने के आदि है, हिन्दी फिल्मों में काम करते हुए आज यह संभव नहीं कि मैं ढेर सारी डेट्स एक ही निर्माता-निर्देशक को दे सके. हमारे बीच कोई रंजिश नहीं है. वक्त ने साथ दिया तो भविष्य में जरूर उनके साथ काम करूंगी.
“आपके बारे में यह भी कहा जाता है कि, आप डेट्स देकर शूटिंग नहीं करती हैं. और कपड़ो पर भी एतराज करती है, जिसके कारण ‘भरोसा’ आदि कई एक फिल्मों की शूटिंग कैंसल हुई है....!
मैंने डेट्स देकर खुद कभी किसी की शूटिग कैंसल नहीं की अगर कोई कहता है, तो झूठ कहता है, लोग बिना वजह पब्लिसिटी लेने के लिए किसी के बारे में कुछ भी कह देते हैं, मैनंे कपड़े के बारे में केवल बिना कारण बिकनी पहनने के लिए इन्कार किया है, वक्त के ‘शहजादे’ और ‘शौकीन’ में जरूरत के हिसाब से मैंने उनके दिए हुए सीन की माँग को पूरा किया है, किन्तु ‘भरोसा’ में केवल ग्लैमर पैदा करने के लिए मैंने जरूर बिकनी पहनने से इन्कार कर दिया था, वन पीस बिकनी पर मुझे कोई एतराज नहीं है, लेकिन हर कोई चाहे तो मैं नहीं पहनूंगी, रही बात डेट्स की तो मैंने ‘भरोसा’ साइन करते समय यह बात साफ कर दी थी, कि मैं उन्हें वही डेट्स दे सकूगी जो कोई अन्य निर्माता कैंसल करेगा क्यों मैं ओर बिजी हूँ.”
“ओवर बिजी होने के कारण आप को शायद इसी लिए घमंड आ गया है, आपने फिल्म ‘त्रिवेणी’ के सैट पर राज बब्बर के बारे में यह कहा कि राज बब्बर कौन है? मैं उससे अधिक बिजी हूं और वहाँ शूटिग में बहुत शोर मचाया. इस सारे हंगामे का कारण क्या था ?”
मैं अपने सीनियर कलाकारों की सदा इज्जत करती हूँ, जिसने भी यह बात आप से कहीं है गलत कहीं है, यहाँ पता नहीं लोगों की यह क्या आदत है, कि वह दो कलाकारों के बीच सदा गलत फहमी पैदा कराने की कोशिश करते रहते हैं, मैंने ऐसा बिल्कुल नहीं कहा कि राज बब्बर कौन है, और न ही मैंने वहाँ कोई हंगामा खड़ा किया, वहाँ जो कुछ भी हुआ उसका जिम्मेदार निर्माता का ड्राईवर है, मेरा पैकअप होने के बाद मैनें ड्राईवर से कहा कि वह अपनी कार से मुझे मेरी कार तक छोड़ दे क्योंकि मेरी कार फिल्मसिटी से थोड़ी दूरी पर खड़ी हुई थी, ड्राईवर ने मेरे साथ मिस बिहेव किया और अपमान जनक भाषा इस्तेमाल की जिससे मुझे दुःख हुआ मैंने उसकी शिकायत की किन्तु कोई हंगामा नहीं किया, चाहती तो कर सकती थी, किन्तु मेरा स्वभाव ऐसा नहीं है. इस जरा सी बात का लोगों ने इतना बतंगड़ बना दिया कि मैंने कल्पना भी नहीं कर सकती. अगर राज बब्बर समझदार न होता तो हमारे संबंधों में दरार पड़ जाती, किन्तु ऐसा नहीं हुआ. हम आज ‘उल्टा सीधा” और ‘रिश्ता के कागज’ में बड़े रिलैक्स मूड में भाग लेते हैं कोई टेन्शन नहीं हुई....!
(यह लेख दिनांक 23-05-1982 मायापुरी के पुराने अंक 400 से लिया गया है)