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मेरा अमिताभ बच्चन जैसा बनना नामुमकिन ड्रीम है- अनिल कपूर

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By Lipika Varma
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मेरा अमिताभ बच्चन जैसा बनना नामुमकिन ड्रीम है- अनिल कपूर

- लिपिका वर्मा

अनिल कपूर इन दिनों अपनी रिलीज़ के लिए तैयार फिल्म ’फन्ने खान’ के प्रमोशन में बिजी हैं। एक फनकार पिता जो कभी अपने सपने पूरे नहीं कर पाता, लेकिन अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने की कोशिश में जुटा है और हर मुश्किलों का सामना करते हुए अपनी बिटिया का साथ  देता है। फन्ने खान अनिल कपूर की रियल लाइफ स्ट्रगल से भी उन्हें जोड़ती है। अनिल मुंबई के सायन के एक कोने से फ़िल्मी दुनिया में पैदल चलकर जुहू इत्यादि एरिया में स्ट्रगल करने आया करते थे। इस फिल्म में वो एक फनकार पिता की भूमिका निभा रहे हैं जो कभी अपने सपने पूरे नहीं कर पाता है, लेकिन अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने हेतु जी जान से बिटिया को सपोर्ट कर रहे हैं। अनिल कपूर की बेटी जो इस फिल्म में किरदार निभा रही है कुछ मोटी है। मोटापे को लेकर कितनी सारी दिक्कतों का सामना दोनों पिता और पुत्री को करना पड़ता है यह भी फिल्म में दर्शाया गया है। किन्तु सपने देखने में कोई टैक्स नहीं लगता है तो सपने देख कर किस तरह सफलता मिलती है या नहीं यह फिल्म देख कर  जानिए?

अभिनेता सलमान खान ने हाल ही में अनिल कपूर के काम की तारीफ करते हुए उन्हें सदी के महानायक अमिताभ बच्चन से कम्पेयर किया था। सलमान ने कहा कि अमिताभ बच्चन को अगर आज कोई रिप्लेस कर सकता है तो वह अनिल कपूर हैं। अनिल पिछले कई सालों से जिस तरह का काम कर रहे हैं, उससे उन्होंने साबित कर दिया है कि वह इंडस्ट्री के अगले अमिताभ बच्चन हैं। कमाई के मामले में आज अनिल जितना पैसा कमाते हैं उतना पैसा आज के यंग सुपरस्टार भी नहीं कमाते हैं।

अनिल कपूर के साथ लिपिका वर्मा की बातचीत के कुछ अंश पेश है -

सलमान द्वारा हुई इस तारीफ के जवाब में अनिल कपूर क्या कहना चाहते है ?

’अमिताभ बच्चन एक ऐसे कलाकार हैं, जो वंस इन ए लाइफ टाइम पैदा  होते हैं। मेरा अमिताभ बच्चन जैसा बनना नामुमकिन ड्रीम है। मेरे हिसाब से ऐसा सोचना भी गलत होगा। मेरा नाम उनके नाम के  साथ  लिया जा रहा है, यही मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। मैं कभी भी किसी भी या फिर ऐसी गलतफहमी में नहीं रहा हूं... क्योंकि जब मैंने अपने करियर की शुरुआत में फिल्म ,“ मशाल “ में काम किया था, तब भी लोगों ने मेरी तुलना अमिताभ बच्चन के काम से की थी,फिर 15 साल पहले भी ऐसा ही कहा गया और अभी फिर से उनके साथ मेरा नाम लिया जा रहा है। जब यह तुलना होती है और मेरा नाम उनके नाम के साथ लिया जाता है, तब मैं अंदर से बहुत खुश जरूर हो जाता हूं, लेकिन असलियत मैं जानता हूं, इसलिए गलतफहमी नहीं रखता हूं।’anil kapoor amitabh

आपने दिलीप कुमार एवं अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म ‘शक्ति’ भी की थी उसके कोई किस्से हमसे शेयर करें ?

’साल 1980-81 जब मैं अपने करियर की शुरुआत कर रहा था, तब मेरे पास काम तो था नहीं, ऐसे में मुझे शक्ति फिल्म में एक छोटा सा रोल ऑफर हुआ था। उस फिल्म में मैंने सिर्फ इसलिए काम किया क्योंकि मुझे अमिताभ बच्चन और दिलीप कुमार की फिल्म से जुड़ने का मौका मिल रहा था। हालांकि फिल्म में मेरे सिर्फ 2 सीन हैं, एक शुरू में, जो शायद लोग ध्यान नहीं दे पाते और एक लास्ट में जब फिल्म खत्म हो रही होती है और लोग थिएटर से बाहर निकलने लगते हैं। मैंने अमितजी और दिलीप कुमार के साथ अपने नाम को देखने के लालच में शक्ति में काम कर लिया था। सपने देखने में कोई टैक्स तो लगता नहीं तो खूब सपने देखो।’

अपनी स्ट्रगल के दौर की कुछ बातें हमसे शेयर करें ?

किसी भी किरदार को निभाने का तरीका हर एक्टर का अलग ही होता है।  मैंने उन दिनों  अपने लुक पर भी ढेर सारे एक्सपेरिंमेंट किये थे। लेकिन उन दिनों मीडिया इस बारे में ज्यादा तवज्जो नहीं देती थी। ’वो सात दिन’ फिल्म में मैं पटियाला से आता हूँ मुंबई, म्यूज़िक डायरेक्टर बनने के लिए और रियल लाइफ में भी मैंने अपने आपको वैसे ही ढाल लिया था। मुझे याद है मेरी माँ ने तब भी मुझसे यह पूछा था- ये कैसी शक्ल बना ली है तूने? एकदम हीरो लगता था अब कैरेक्टर लग रहा है ? मैंने एक छोटे से बाबा  के यहाँ से अपने बाल कटवा लिए ताकि वो मुझे कोई स्टाइलिश कट ना दे पाए जो कि पटियाला के एक छोटे से गाँव के लड़के की तरह लगे। इसके बाद मैंने हारमोनियम खरीदा और जो जैकेट मैंने पहनी वो मैंने चोर बाज़ार से ली थी। ताकि वो रियल लगे। उस किरदार में दिखाया गया था कि जब उसे भूख लगती है तो वो गीला कपड़ा लेता है और उसे अपने पेट पर बाँध लेता  है ताकि उसे भूख ना लगे। मैं ऐसा इसलिए कर पाता हूँ क्योंकि मैं भी इसी दौर से गुज़रा हूँ। ऐसा लुक मैंने इसीलिए अपनाया ताकि मेरा किरदार पर्दे पर सबको वही स्ट्रग्लिंग म्यूजिशियन लगे। fanney-khan

फिल्म ‘मशाल’ में भी आपने स्लम भाषा बोली है, इसके लिए क्या होम वर्क किया था आपने ?

मैंने ’मशाल’ में काम किया, यह फिल्म 1984 में आई थी। जिसके लिए मैंने  स्लम एरिया की रेक्की की थी।  मैंने इन्ही स्लम अफरा में उनकी ही भाषा सीखी भी। मुझे याद है मैंने जो रुमाल बांधा था  मैंने जो टी-शर्ट पहनी थी वो किसी से उधार लेकर पहनी  थी। इसके बाद मैंने एक खाकी शर्ट पहनी और पैंट जो पहनी थी, वो मेरी बहुत ही पुरानी पैंट थी।

अन्य कौन-सी फिल्मों में आपने अपने खुद के कपड़े पहने होंगे ?

फिल्म ’रामलखन’ के  गाने ’ए जी ओ जी’ में मैंने जो शर्ट पहनी है वो मेरी बहुत पुरानी शर्ट थी। जो कपडे उन्होंने बनाये थे मुझे लगा कि ये बहुत ही मैन्युफैक्चर लग रहे है। यहाँ तक कि ’मिस्टर इंडिया’ के दौरान, मैंने स्वयं चोर बाज़ार जा कर अपने किरदार के लिए कपड़े खरीदे थे क्योंकि उस दौर में मुझे लोग पहचानते नहीं थे।  ’मिस्टर इंडिया’ का जैकेट जो  ऊन से बुना  हुआ है उसे आज भी संभाल कर रखा  हुआ है मैंने।

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