भोली का किरदार मेरे ही नसीब में था- रिचा चड्ढा By Lipika Varma 05 Dec 2017 | एडिट 05 Dec 2017 23:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर रिचा चड्ढा ने फिल्म,‘ओये लकी लकी ओये 2008, से अपना फिल्मी सफर शुरू किया था। कुछ सपोर्टिंग रोल्स किये रिचा ने अपने फिल्मी सफर के शुरुआती दौर में। पर फिल्म, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ निर्देशक अनुराग कश्यप की फिल्म में एक अधेड़ उम्र की माँ का किरदार करने पर उनके अभिनय को न केवल इंडस्ट्री वालों ने सराहा किन्तु उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड सपोर्टिंग रोल, से नवाजा भी गया। रिचा ने ,‘मसान’ जैसी फिल्में करके यह साबित कर दिया है की अभिनय में वह किसी कमर्शियल आर्टिस्ट से पीछे नहीं है। रिचा ने ‘फुकरे’ फिल्म में भी बहुत ही बढ़िया अभियनय किया है और अब ‘फुकरे रिटर्नस’ में भी भोली के किरदार में नजर आने वाली है। ‘फुकरे रिटर्नस’ पब्लिक डिमांड की वजह से ही एक्सेल एंटरटेनमेंट प्रोडक्शन हाउस ने दोबारा बनाने की ठानी। ‘ओये लकी लकी ओये’ 2008, करने के बाद आपका क्या रिएक्शन था ? अब आप फिल्मों का चयन कैसे करती है? ‘ओये लकी लकी ओये’ फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर कुछ अच्छा रिस्पांस नहीं मिला तो मुझे काफी दुःख हुआ। मैंने यही सोचा इतना काम करते है हम और जब फिल्म बेहतरीन नहीं करती है सिनेमा घरों पर, तो क्या फायदा ? मैंने अपना रुख वापस थिएटर्स की ओर कर लिया। कम से कम प्लेस करके लोगों की तालियों की गड़गड़हाट से हमे खुशी मिलती है। मेरे लिए क्रिएटिव संतुष्टि मिलना अच्छा लगता है। अब देखिये न फिल्म, ‘मसान’ एक छोटे बजट की फिल्म थी। मैंने इस फिल्म को केवल आर्ट पॉइंट ऑफ व्यू को मध्य नजर रखते हुये किया। इसमें हमे ज्यादा पैसे भी नहीं मिले। लेकिन मुझे इस फिल्म को करने में बेहद आनंद आया केवल इसलिए -क्योंकि मेरे किरदार जैसी कई और भी लड़कियां हो सकती है जिन्होंने ऐसा प्रॉब्लम झेला हो। सो यह किरदार एक तरह से उनको भी प्रेरित करेगा। कुछ अपने अभिनय द्वारा लोगो के लिए कर पाना यह मेरा सौभाग्य होगा। बस जो किरदार मेरे दिल को छू जाये उसे में आसानी से हामी भर देती हूँ। फिर अपने फिल्मों की तरफ रुख भी किया तो एक अधेड़ युवती का किरदार चुना क्यों? सीधी सी बात है ,‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में मैने अपनी उम्र से बड़े अभिनेता की माँ का किरदार निभाया है। पर इस में संकोच नहीं हुयी मुझे। इसकी एक ही वजह थी-मुझे माँ के किरदार में दम लगा और फिल्म की कहानी भी कुछ अनूठी ही थी। नवाजुद्दीन की माँ का किरदार निभाया और इंडस्ट्री के फिल्ममेकर्स ने व्यक्तिगत तौर से देखा नहीं था, तो यही सोच लिया की में अधेड़ उम्र की अभिनेत्री हूँ। खैर, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ मेरे लिए एक अच्छा पैगाम लेकर आयी। इसके बाद मुझे धीरे धीरे लोग समझने लगे। आज में जिस मोड़ पर हूँ अपने टैलेंट के बलबूते पर ही हूँ। मुझे माँ का किरदार करने में कोई दुःख नहीं हुआ उल्टा खुशी ही मिली। आपने ,‘फुकरे’ फिल्म पहले रिजेकट क्यों कर दी थी? अरे बाबा मुझे किसी ने बहका दिया था। एक एक्टर दोस्त है जो की असुरक्षित महसूस कर रहा था अपनी एक गर्ल फ्रेंड को लेकर। उसने मेरे कान भर दिए -कहा ‘फुकरे’ में भी तुम्हारा किरदार एक बूढ़ी औरत जैसा ही है। सो मैंने स्क्रिप्ट बिना पढ़े ही रिजेक्ट कर दिया। पर यह भोली का किरदार मेरे ही नसीब में था। फिर एक दिन जब मैंने यह स्क्रिप्ट सुना तो मुझे इस बात का एहसास हो गया की वह एक्टर कितना झूठा है !! मैं उसे आपके माध्यम से यही कहूँगी। ..‘सुन रहा है न तू?’ बस वह समझ जायेगा! वह एक्टर सोचा रहा था एक्सेल प्रोडक्शन में उसकी गर्ल फ्रेंड की एंट्री हो जाये। फिल्म ,‘फुकरे रिटर्न्स’ के लिए आप लोग तिहाड़ जेल भी गए थे। वहाँ जेल के बारे में क्या कुछ बतलाना चाहेंगी हमें? वहां जितने भी कैदी है वो जेल को अपना घर समझ कर खुशी खुशी जीते है। मैंने देखा है माँ जब अपने बच्चों के लिए खाना लाती है तो सब बहुत खुश दिखते है। पर मुझे एक बात पसंद नहीं आयी वो यह कि जूवेनिल कैदी भी मर्डर इत्यादि के साथ रहते है। उनकी कहानियाँ सुनते है। और एक दूसरे को नाम से नहीं अपितु उन्होंने जो क्राइम किये होते है उस नाम से बुलाया जाता है। फिर ऐसे जवान पीढ़ी के लोग कैसे सुधर सकते है? यही मुझे खराब बात लगी। जेल की और कौन सी बात अच्छी लगी आपको ? हाँ ! एक बात बहुत अच्छी लगी जेल में यह लोग गायन और नाच इत्यादि के प्रतियोगिता भी रखते है। बाकायदा इनके कोस्टार दोस्त भी प्रोग्राम करते है। प्रतियोगियों को जेल में म्यूजिक की जानकारी रखनेवाले कैदी अपने इंस्टरूमेंट्स भी बजाते है। यह एक अच्छी बात है कि कल्चरल प्रोग्रेमस द्वारा उन्हें जीने की सीख भी मिलती है। रात में हमें जेल के अंदर तक जाने की परमिशन नहीं थी। आपको लगता है टैलेंट से काम जल्दी मिल जाता है या फिर भाई भतीजेवाद से काम आसानी से मिल पाता है ? देखिये यदि कल को मेरा लड़का या लड़की फिल्मी दुनिया का हिस्सा बनने मांगे तो क्या मै उनको सपोर्ट नहीं करुँगी क्या? जरूर करुँगी। किसी की सिफारिश से परिचय होना हो तो थोड़ा काम आसान हो जाता है। पर यदि आप में टैलेंट है किन्तु आप इस फिल्मी दुनिया में अनजान है-तो थोड़ा समय लग ही जाता है। काम मिलने में मुश्किलात का सामना तो करना ही पड़ता है। पर टैलेंट है और यदि एक मौका मिल गया तो आप कमर्शियल एक्टर्स को भी टक्कर दे सकते है। मैं आपको यह बतला दूँ भाई भतीजावाद किस प्रोफेशन में नजर नहीं आता है। यह सब जगह होता है। फिल्मी दुनिया लाइम लाईट में रहने की वजह से इसकी ज्यादा चर्चा हो जाती है। टैलेंटेड व्यक्ति अपना मुकाम खुदबखुद बना ही लेता है। आपका नाम एक एक्टर के साथ जुड़ा है कितनी सच्चाई है इसमें? आप सिंगल है क्या? हंस कर बोली-आपको नहीं पता? वह है न अली फजल ! फिर हंस कर बोली नहीं भाई पता नहीं कहाँ से मीडिया को खबर मिल जाती है? मेरा और अली का केवल और केवल एक साधारण दोस्ती का रिश्ता है। वी आर गुड फ्रैंड्स। #interview #Richa chadda #Fukrey Returns हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article