अपने समय के मशहूर अभिनेता स्व.विनोद मेहरा के पुत्र रोहन मेहरा ने भी अंततः निखिल आडवाणी निर्मित और गौरव के चावला निर्देशित फिल्म ‘‘बाजार’ ’से बॉलीवुड में कदम रख ही दिया.इस फिल्म में रोहन मेहरा ने सैफ अली खान,चित्रांगदा सिंह और राधिका आप्टे जैसे कलाकारों के साथ अभिनय किया है.मजेदार बात यह है कि अभिनेता स्व.विनोद मेहरा का पुत्र होने का गर्व होने के बावजूद वह मानते हैं कि उनकी परवरिश गैर फिल्मी माहौल में हुई है।
आपने अभिनय में काफी देर से प्रवेश किया?
-मेरे पिता स्व.विनोद मेहरा के देहांत के बाद हम अपनी मॉं व बहन के साथ मुंबई से केन्या के मुंबासा शहर अपने नाना नानी के पास चले गए थे.तो मेरी परवरिष मुंबई से बहुत दूर गैर फिल्मी माहौल में आम बालको की तरह हुई.वहां पर रहते हुए मैं अभिनय करने की कल्पना तक नहीं करता था.वहां लोग इंजीनियर,डाक्टर या बिजनेसमैन बनने की सोचते हैं.वहां पर मैं मैथ्स व इकोनॉक्सि पढ़ने का षौक था.तो मैं इंवेस्टमेंट बैंकर बनना चाहता था.लेकिन जब मैं उच्च षिक्षा के लिए इंग्लैंड पहुंचा,तो बहुत कुछ बदल गया।
मतलब..?
-इंग्लैंड में मेरी मुलाकात तमाम लोगो से हुई.तब काफी सोचने के बाद मेरी समझ में आया कि मेरा पैशन अभिनय है.मेरा पैशन फिल्म के माध्यम से कहानी सुनाना है.तब मैंने पहले स्टिल फोटोग्राफी,फिर संगीत, गिटार बजाना, निर्देशन, फिल्म मेकिंग, म्यूजिक कम्पोजिंग से होते हुए अभिनय तक पहुंचा।
अपनी यात्रा को विस्तार से बताएंगे?
-2013 में पढ़ाई पूरी कर मैं मुंबई आ गया.पहले कुछ लेखन का काम किया.कुछ फोटोग्राफी की.कुछ निर्देषक के साथ बतौर सहायक निर्देशक काम किया.फिल्म एक्टिंग स्कूल गया.डांस सीखा.फिल्म ‘‘द मंकीमैन’’में कैमरामैन की हैसियत से काम किया.एक लघु फिल्म ‘‘आफ्टरवर्ड’’का लेखन व निर्देशन किया.मेरे लिए महत्वपूर्ण यही था कि मैं आर्ट व क्राफ्ट पर काम कर रहा था.जिसके चलते काफी समय लगा.फिर ऑडीशन देता रहा,रिजेक्ट होता रहा.पर हर बार कुछ सीख रहा था. क्रीटीसिजम को मैं पॉजीटिबली ले रहा था.मैं मानता हूं कि मेरे यहां तक पहुंचने में समय काफी लगा,मगर मेरी यह यात्रा काफी रोचक रही.पर मैं दूसरे काम करते हुए भी अभिनय के लिए ऑडीशन दे रहा था.और जैसे ही ‘‘बाजार’’मिली,सब कुछ भूलकर अभिनेता बन गया।
बतौर अभिनेता पहली फिल्म ‘‘बाजार’’ कैसे मिली?
-ऑडीशन देकर..मैंने ढेर सारे ऑडीशन देने के बाद यह फिल्म पायी है.मेरे लिए फिल्म ‘बाजार’ एक ड्रीम लांच है.सेट पर निर्देशक गौरव सर का मैंने जो कमिटमेंट देखा,वह काबिले तारीफ है.मैं अपने आपको लक्की मानता हूं कि मुझे फिल्म ‘‘बाजार’’मिली.जिसमें मुझे सैफ अली,चिंत्रागदा सिंह व राधिका आप्टे जैसे कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला।
आपने करियर की शुरूआत ‘‘बाजार’’जैसी फिल्म से करने की क्यों सोची?
-जब मैंने फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ी,तो मुझे लगा कि यह फिल्म मुझे ही करनी चाहिए.मुझे लगा कि इस फिल्म का रिजवान का किरदार मुझे कलाकार के तौर पर स्थापित कर सकता है.मैंने कई ऑडीशन दिए,पर बात जम नहीं रही थी.फिर मैंने अपनी तरफ से दाढ़ी वगैरह बनाकर ऑडीशन दिया,तब कहीं मेरा सिलेक्शन हुआ.इत्तफाक से फिल्म ‘‘बाजार’’में षेयर बाजार और इकोनॉमिक्स का मुद्दा है.इकोनॉमिक्स मेरा प्रिय विषय रहा है.
आपके अनुसार फिल्म ‘‘बाजार’’क्या है?
-मेरे लिए फिल्म बाजार यह है कि आप अपने सपने को पूरा करने या किसी मुकाम को पाने के लिए किस हद तक जा सकते है.कहां तक जा सकते हैं.आपके लिए क्या जरूरी हैं?फिल्म में रिजवान को बड़ा आदमी बनना है.इसके लिए वह काफी कुछ करता है.पर सवाल वही है कि बड़ा आदमी बनने या एक अमीर इंसान बनने के लिए आप किस हद तक जा सकते हैं।
फिल्म ‘‘बाजार’’ के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगे?
-इसमे मैने इलाहाबाद के एक युवक रिजवान अहमद का किरदार निभाया है,जिसे लोग इलहाबाद यूनिवर्सिटी का लौंडा कहते हैं.पर रिजवान एक छोटे से षहर का साधारण युवक है.उसे बड़ा इंसान बनना है.इसलिए वह मुंबई आता है.वह कॉमोडिटी बाजार में काम करते हुए शेयर बाजार तक की छलांग लगा लेता है.मुंबई में उसकी तमन्ना डायमंड बाजार शेयर मार्केट के महारथी शकुन कोठारी (सैफ अली खान) का स्थान लेना है.उसकी तमन्ना है कि शकुन की ही तरह उसकी भी तस्वीर मैगजीन के कवर पर छपे.अपनी इस महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए वह किस तरह की यात्रा करता है,वह किन लाइन को क्रास करता है,वह सब फिल्म का हिस्सा है।
फिल्म ‘‘बाजार’’ की शूटिंग करते समय आपको अपनी पढ़ाई के वक्त की कोई बात याद आ रही थी?
-आपने एकदम सही कहा.जब मैं ‘‘बाजार’’की शूटिंग कर रहा था,उस वक्त कई बार ऐसा हुआ कि रिजवान के कंप्यूटर पर समाने बैठे दृष्य देते हुए मुझे लगा कि कि यदि मैं इंवेंस्टमेंट बैंकर होता,तो मेरी भी जिंदगी इसी तरह होती.फिर मैं मन ही मन अपने आपको धन्यवाद करता था कि अच्छा हुआ मैं फिल्मों में आ गया.और रिजवान वाली जिंदगी नही जी रहा हूं।
रिजवान अहमद बड़ा बनने के चक्कर में गलत कहां साबित होता हैं?
-बड़ा बनने के लिए लाइन तो क्रास करनी ही पड़ेगी.पर रिजवान अहमद हो या रोहन मेहरा, उसे यह याद रखना होगा कि वह कहां से आया है,उसके अपने संस्कार क्या है? डीएनए क्या है?आप किसका प्रतिनिधित्व कर रहे हो.यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए और इस बात को याद रखते हुए ही आपको लाइन क्रास करनी पडेगी. क्योंकि एक बार यदि आपने लाइन क्रास कर दी,तो फिर आप पीछे मुड़कर नही देख सकते.क्योंकि हर दूसरी पर आपको एक लाइन मिलेगी.अंततः आपको ही तय करना हैं कि आपको किस लाइन को क्रास नही करना है.इसलिए आपको यह याद रखना पड़ेगा कि आप हैं कौन?
सैफ अली खान व चित्रांगदा सिंह के साथ काम करने के अनुभव क्या रहे?
-वह बहुत बेहतरीन इंसान व कलाकार हैं.उन्होंने मुझे कभी इस बात का अहसास नहीं कराया कि मैं एक नया कलाकार हूं.यह एक बड़ी बात है.क्योंकि वह स्टार कलाकार हैं.वह सेट पर खुद आते ही कहते थे कि चलो रिहर्सल कर लेते हैं. चित्रागंदा सिंह के साथ मेरे सीन बहुत कम हैं.पर मैं यह कह सकता हूं कि वह बहुत प्रतिभाषाली कलाकार हैं.राधिका भी ब्रिलियंट कलाकार हैं. वह अपने इंस्टंट पर काम करती हैं. बहुत नैच्युरल कलाकार हैं.जब आप किसी अच्छे कलाकार के साथ काम करते हैं,तो आप ना सिर्फ सीखते हैं ,बल्कि आपके अभिनय में भी निखार आता है.यही मेरे साथ हुआ।
तारा सुतारिया के संग आपके रिश्ते की काफी चर्चा रहती हैं,जिसे आप छिपाते हैं?
-छिपाता नही हॅूं.हम दोनो बहुत अच्छे दोस्त थे और आज भी हैं.जब वह मुंबई पहुंची,तो हमारी बेस्ट फ्रेंड बनी.वह मेरी अच्छी दोस्त हैं.हम कई दोस्त अक्सर मिलते रहते हैं.दोस्त के रूप में हम अपनी तस्वीरे भी इंस्टाग्राम पर डालते रहते हैं.इसके अलावा कोई दूसरा रिश्ता नहीं है.हमारे बीच अच्छी बॉंडिंग है.वह प्रतिभावान अभिनेत्री हैं.मैं इमोशनल इंसान हॅूं.इसलिए भी मैं अपने दोस्तों के साथ फोटो डालता रहता हूं.आप मेरे इंस्टाग्राम पर गौर करेंगें,तो पाएंगे कि मैं दूसरे लड़के व लड़कियों के साथ जो मेरे दोस्त है.उनकी भी तस्वीरें डालता रहता हूं.देखिए,जब कोई रिश्ता होगा,तो मैं खुलकर बोलूंगा।
आपको गिटार बजाने का भी शौक है?
-जी हॉ! यह मेरा सिर्फ शौक ही नहीं प्रोफेशन भी है.भविष्य में इस दिशा में कुछ करना चाहूंगा.संगीत व गायन भी मेरा शौक है.लेकिन लोगो के सामने नही गाता.गिटार बजाने का इरादा है.कुछ संगीत की रचना करने का इरादा है.मैंने बीच में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में कुछ समय तक बच्चों को संगीत सिखाया करता था.
किस तरह के किरदार निभाना चाहते हैं?
-कुछ फिल्मों की बात चल रही है.ऐेस किरदार निभाना है,जो रोचक हों