सैफ अली खान ने फिल्मों में काम करना सिर्फ इसलिए शुरू किया था क्योंकि उन्हें पढ़ाई लिखाई में दिलचस्पी कतई नहीं थी। सैफ अली खान फ़िल्में, 'लव आजकल','परिणीता' एवं ओमकारा जैसी फिल्मों में अपना दमदार अभिनय दिखला चुके है। सैफ ने भले ही यह साबित कर दिया हो कि-वह एक बेहतरीन एवं बेमिसाल अभिनेता है तो वही उनकी पिछली दो फ़िल्में, 'रंगून' और 'शेफ' ने बॉक्स ऑफिस पर अपना जलवा दिखलाने में असमर्थ रही। लेकिन सैफ हमेशा से यही मानते है की पिछली फ़िल्में भले ही न चली हो, लेकिन हमें तो आगे काम करना ही होता है। सो अब लीग से अलग हट कर एक फिल्म,'कालकांडी' को इस हफ्तें ले कर आ रहे है सैफ। कलाकाण्डी के प्रोमोशंस के तहत हमने सैफ से भेंट की और ढेर सारी बातचीत भी की
प्रोमोशंस को आप कितना महत्व देते है ?
देखिये, मेरे विचार में यदि हम अपनी आने वाली फिल्म को कुछ मंच पर प्रमोट करते है, तो जाहिर सी बात है इससे हमारी फिल्म के बारे में लोगों को जानकारी होती है। और यदि लोगों को ट्रेलर, गाने इत्यादि पसंद आ जाये तो वह हमारी फिल्म को देखने जरूर सिनेमा घरों तक पहुँचते है। सो यह हमारी फिल्म के लिए फयदेमंद होता है। कई बारी कुछ फ़िल्में, 'माउथ पब्लिसिटी' से भी लोगों में उत्सुकता पैदा कर देती है। जहाँ तक निर्माताओं का सवाल है, कभी-कभी वह असुरक्षित महसूस करने लगते है। और चाहते है कि - अभिनेता हर मंच पर जाकर फिल्म को प्रमोट करे। सो हमे वैसा भी करना पड़ता है। पर यह रेपिटिटिव सा लगता है। पहले के समय में ट्रेलर लॉन्च से ही लोगों में उत्सुकता जग जाया करती थी फलहा - फलहा फिल्म देखने की। किन्तु आज मनोरंजन के बहुत साधन हो गए है इसलिए सब कुछ बंट गया है। अतः प्रोमोशंस करना भी जरुरी हो गया है।
जाहिर सी बात है फिर आप अपने परिवार और बच्चे तैमूर को समय नहीं दे पाते होंगे ?
ऐसा नहीं है। अब देखिये ना, अक्षय कुमार भी समय पर आते है और समय से घर चले जाते है। सो मैंने भी अपने करियर के इस मुकाम पर यह तय कर लिया है कि अपने परिवार का समय में किसी और के साथ शेयर नहीं करूँगा। और काम के समय काम ही करूँगा। अभी पिछली फिल्म 'शेफ' के समय ही अचानक मुझे प्रोमोशंस के लिए चलने के लिए कहा गया। किन्तु उस समय मुझे तैमूर को तैराकी के लिए ले जाना था। सो मैंने उन्हे यह बात बतलायी और यह भी कहा की अपने निर्धारित समय अनुसार अगले दिन मैं प्रोमशंस जरूर पहुँचुंगा।
आपका पुत्र तैमूर तो सब का चहेता बन गया है, क्या कहना चाहेंगे आप ?
हंस कर बोले। ...जी बिलकुल। सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम है जो किसी को भी फेमस कर देता है। और मेरा ऐसा भी मानना ही कि न्यूज़ पेपर पर मीडिया की जबाबदारी भी होती है, उन्हें सब कुछ पेश करना होता है। कुछ लोगों को सीरियस (गंभीर) विषय पढ़ने में दिलचस्पी होती है। और कुछ को गॉसिप्स, सो पब्लिकेशन्स को भी ऐसे पन्ने अपने पेपर में रखने होते है। फिर फैंस भी अपने पसंदीता हीरो /हीरोइन की पर्सनल जिंदगी के बारे में जानना पसंद होता है। सो यह सब तो चलता ही रहेगा। मेरे हिसाब से स्टार किड्स में हमें सही मायने में मान मर्यादा की रेखा और वैल्यूज उनको सीखनी चाहिए। आगे चलकर, ताकि वह स्टार किड्स होने का प्रेशर ठीक तरह से झेल पाये। हंस कर सैफ बोले -बड़े होकर तैमूर प्रिंस हैरी की तरह कभी न फंसे। '
कलाकाण्डी किरदार करके आप ने क्या समझा जीवन के बारे में ?
दरअसल में जीवन के बारे में मैंने यही सोचा कि कई मर्तबा कुछ लोग अपने आप को बहुत समझदार समझते है। दुनिया में होशियार बनने की कोशिश करते है। सब कोई कुछ अलग करना चाहते है। अपनी ऊर्जा स्तर को अलग तरीके से इस्तेमाल करना चाहते है। पर जब कोई बुरी चीज़ सामने आती है तब एहसास होता कि जीवन कुछ नहीं है। बस फिर यह लगता आप कल तक जीवन जीयेंगे .... पर कुछ ऐसा भी हो जाता है कि आप को लगता है कि 30 साल तक भी जी सकते है। बस जीवन में एक बैलेंस रखना बहुत अनिवर्य होता है। यही मैंने जीवन के अनुभव से जाना और समझा। जीवन को ऐसा भी नहीं जीओ कि लगे कल के लिए बैंक में पैसे बचाते बचाते अपने जीवन का सुख भी नहीं देखा। अभी छुट्टियों में भी में यही सोच रहा था कि यदि वाइन भी पीना हो तो उसे कंट्रोल में ही पियो, ताकि अगले दिन आप पर वो वाइन भारी न पड़े। जब आप जवान होते है तो यह बात समझ नहीं पाते है। अब मैंने भी 40 वर्ष से ऊपर का जीवन जी लिया है तो यह सब समझ मुझ में भी आ गयी है।
ड्रग्स का सेवन करते है आज के युवा उन्हे इस सब से कैसे छुटकारा दिलवाना चाहिए ? किसे जिम्मेदार मानते है आप ?
दरअसल में, आज की युवा की ऊर्जा को सही दिशा में ले जाना उनके पेरेंट्स (माता -पिता) एवं अध्यापको के जिम्मेदारी है। लेकिन आजकल युवा पीढ़ी को पेरेंट्स भी नहीं समझा पाते है। न ही वह अध्यापको की सीख का अनुसरण करना चाहते है। मुझे समझ नहीं आ रहा है क्या बोलूं? लेकिन हाँ कोई ऐसा ग्रुप या दोस्त हो जिनकी बात वह समझ पाए तो शायद गलत चीज़ का सेवन न करे। अब यह कहाँ और कौन सा ग्रुप हो सकता है यह भी नहीं बता सकता हूँ मै आपको। युवा पीढ़ी को अपनी ऊर्जा को सही दिशा में ले जाने की इच्छा खुद में होनी चाहिए। जो कुछ स्कूल में और माता-पिता सिखाते है उसे अपने जीवन में अनुसरण करे तो गलत चीज़ के सेवन से दूर रहेंगे हमारे युवा।
आपके बच्चों को आप कंट्रोल कर पाते है क्या ?
वैसे आजकल की पीढ़ी को कंट्रोल करना तो मुश्किल ही है। अब्राहम के दोस्त भी हमारी फिल्म इंडस्ट्री के बच्चे ही है नाडियाडवाला के बच्चे उनके दोस्त है। अब्राहम अपने दोस्तों के साथ सलमान खान के फार्म हाउस में भी जाते है। सब एक परिवार की तरह है तो विश्वास सा रहता है हमें। बच्चों की ऊर्जा खेल कूद में लगे तो भी अच्छा रहता है।
आपने कभी ड्रग्स का सेवन किया है ?
दरअसल में जब में 25 वर्ष का रहा होंगा तब मैंने, एसिड का सेवन किया था। उस समय मुझे अंधेरे से डर लगता था। हम बहुत बड़े घरों में रहते थे और हमारा बाथरूम बहुत अंदर को जाके उसका दरवाजा खुला करता था। मुझे उस समय बाथरूम जाने में भी डर लगता था। कई बारी ड्रग्स का सेवन करने से उल्टा असर भी हो जाता है। मैंने और अक्षत ने ड्रग्स का सेवन किया हुआ है। इस फिल्म में ऐसा किरदार करना चैलेंजिंग तो था ही। किन्तु कुछ अक्लमंदी से यह किरदार निभाना था ताकि देखने वालों को सही मायने में यह किरदार सही लगे। इसके लिए हमने स्क्रिप्ट की रीडिंग बहुत बारिकी से की है हम सबने ।