-लिपिका वर्मा
सलमान की फिल्म, ”अंतिम दी फाइनल ट्रुथ“ एस के एफ बैनर तले प्रजेन्ट की जा रही है ,जबकि सलमान खान द्वारा निर्मित यह फिल्म 26 नवंबर को रिलीज के लिए तैयार है। हाल ही में फिल्म,”सुर्यवंशी” कोराना काल के बाद रिलीज हुई है। और सलमान खान के फैंस अब उनकी फिल्म,”अंतिम ...का बेसब्री से रिलीज का इंतजार कर रहे है। अंतिम मराठी फिल्म,”मुलशी पैटर्न” से एडाप्ट की गयी है। महेश मांजरेकर निर्देशित फिल्म अंतिम इस मराठी फिल्म से बहुत ही अलग है। आयुष शर्मा और महिमा मकवाना डेब्यू, भी इस फिल्म के महत्वपूर्ण कास्ट है।
मराठी फिल्म “मुलशी पैटर्न” ऐसा क्या था की आपने इस फिल्म को हिंदी में बनाई?
क्योंकि में एक राइटर का बेटा हूँ सो मैंने इस मराठी की कहानी का प्लाट देखा, किन्तु यह कहानी बहुत अलग है उस मराठी फिल्म से। मुझे उस का किरदार बेहद पसंद आया किन्तु मराठी फिल्म में इसका केवल 6ध्8 सीन्स ही है। हमने इस किरदार/सरदार, को फिर डेवेलोप किया। किन्तु लॉक डाउन के दौरान हम हरियाणा जा कर शूटिंग नहीं पूर्ण कर सकते थे। अमूमन यह कहानी है गांव की कहानी है सो यहाँ मुंबई, में शूटिंग की। अक्सर अपने बच्चो की शादी करने के लिए अमूमन किसान अपनी खेतीबाड़ी बेच कर शहर चले जाते है। या फिर उसी खेत में चैकीदारों की नौकरी करने लगते है। यह प्लाट मुझे बेहद पसंद आया। यह पुलिस ऑफिस एक अच्छा रूट लेता है जबकि दूसरा किसान का बेटा दूसरे रास्ते चल पड़ता है जो फिल्म देखने पर आपको ज्ञात होगा।
जब आप समुदाय से जुड़ा किरदार निभाते है तो लोगों के इमोशंस को चोट पहुँच सकती है, ऐसा न हो इसके लिए आपने क्या एहतियात बरता है?
जब मैंने बजरंगी “भाई जान” की तब भी हमने ऐसा कुछ नहीं दिखाया है। जब आप कोई भी किरदार जिस कल्चर, संस्कृति से पेश करते है, तो आपको वह सही ढंग से पेश करना चाहिए। जब हम, “दिल दे चुके” की या सूरज बरजात्या की फिल्में की तब भी हमने इन सब चीजो पर एहतियात बर्ता है ताकि किसी के इमोशंस को ठेस न पहुंचे। जब आप कोई सिख सरदार का किरदार करते है तब भी आपको उसे सही दिखाना होता है और हमने ऐसा ही किया है। सरदार के किरदार को किंग साइज और सही व्यक्तित्व पेश किया है।
कुछ सोच कर आगे सलमान बोले फिल्म, जंजीर साब शेरखान का था वह भी बहुत बेहतरीन ठंग से पेश किया गया।ऐसे किरदारों आपको बहुत सही ठंग से पेश करना होता है। हमें इस फिल्म की शूटिंग हरयाणा, पंजाब में करना था। किन्तु यही मुम्बई में शूटिंग करनी पड़ी सो पंजाबी किरदार है उस कल्चर से जुड़ा किन्तु यहाँ का है भी है तो मराठी भी बोलता है कुछ कुछ। सभी से ख्याल रख कर हमने फिल्म की है। आशा है जरूर पसंद भी आयेगी।
फिल्म में आपका कोई रोमांटिक एंगल और रोमांटिक सांग भी नहीं है, और आपने कुछ रोमांटिक सीन्स भी निकाल दिए, उस महिला कलाकार को क्या कहा?
जी फिल्म में रोमांटिक ट्रैक जरूर रखा था। किन्तु रश देखने के बाद लगा की इस किरदार को रोमांटिक ट्रैक के बिना पेश किया जाना अच्छा होगा। जी उन महिला कलाकार को हमने कुछ आगे साथ में करेंगे ऐसा कहा है। हीरोइन नहीं है साइड में निकाल कर रख दी है।
थिएटर में सूर्यवंशी सफलतापूर्वक चल रही है, आपकी फिल्म से क्या उमीदे है?
थिएटर्स कभी भी बंद नहीं होंगे। हमारे देश में थिएटर का कोई भी विकल्प नहीं है। लोग फिल्म देखने थिएटर ही जाते है और एन्जॉय भी करते है। अन्य देशो में और बहुत ढेरो एंटरटेनमेंट के साधन है। जब भी हमारा परिवार बाहर एन्जॉय करने एवं फिल्म देखने जाता है तो फिल्म बड़े पर्दे पर देख कर, और अपने हीरो के करतब देख बहुत खुश होता है। फिल्म बड़े पर्दे पर देखना और मोबाइल फोन्स पर देखना बहुत अंतर है। बड़े पर्दे की बात ही अलग अलग होती है ।
कुछ सोच कर फैंस की तारीफ में आगे बोले, जब फैंस फिल्म देखने पैसे खर्च कर थिएटर में आते है तो जाहिर सी बात है खराब फिल्म देखने नहीं आते। फिल्म एन्जॉय करने ही आते है। उनके हिसाब से कभी फिल्म ऊपर और अच्छी लगती है तो कभी उन्हें अच्छी नहीं लगती। पर यह जाहिर है वह टिकट खरीदते है क्यूंकि फिल्म देखना चाहते है।
सूर्यवंशी फिल्म के टिकट की कीमत बहुत महंगी रही, आप अपनी फिल्म अंतिम की टिकट तय कीजियेगा?
शायद सिंगल स्क्रीन के टिकट के रेट नहीं बढ़े है। मल्टीप्लेक्सेज के शायद बढ़े है। पर थिएटर मालिकों को भी अपने एम्पलाई की पगार देनी होती है। और थिएटर को मेन्टेन भी करना है। और क्या पता 50 प्रतिशित ऑक्यूपेंसी से कभी करवा के वापस आ जाने से 30 प्रतिशित ऑक्यूपेंसी कर दी जाये। हमने ,”जय हो” के समय 650 रुपए से काम कर 250 टिकट दर कर दी थी लेकिन किसी ने इसकी तारीफ नहीं नुक्सान उठाना पड़ा। अब हमने कुछ सिनेमा मालिक पर छोड़ दिया है अब वही टिकट की दर निश्चित करेंगे।
फिल्म करते समय आप निर्देशक या राइटर को कितना क्रिएटिव सलाह?
मैं निर्देशक के विजन पर हस्तक्षेप। लेकिन इतने वर्षों का अनुभव है तो सलाह मशवरा कर लेते है। यह किरदार बहुत शांत प्रवृति का है। अपने सीनियर्स से आर्डर लेता है। और उनकी रिस्पेक्ट भी करता है। किन्तु करता ही है।
फिल्म “राधे” की जम के पायरेसी हुई थी इस फिल्म को पायरेसी से कैसे बचाएंगे?
‘राधे’ की जम के पायरेसी हुई थी। बहुत से लोग देख पाते लेकिन पायरेसी की वजह से ऐसा मुमकिन नहीं हो पाया। हमने बहुत मेहनत फिल्म पर। पायरेसी रुकनी चाहिए। बस अब जो भी एजेंसी है उससे इस काम पर लग जाना चाहिए.हम सब का बहुत नुकसान होता है।