सलमान खान निर्माता के तौर पर खुद को स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं। अपने प्रोडक्षन हाउस से फिल्में ला रहे हैं। खासतौर पर नए चेहरों को परदे पर ला रहे हैं। सलमान खान ने सबसे पहले आदित्य पंचोली के बेटे सूरज और सुनील शेट्टी की बेटी आथिया को फिल्म हीरो में लॉन्च किया था। पिछले साल अपनी फिल्म लवयात्री में अपने बहनोई आयुष शर्मा और मॉडल वरीना हुसैन को लॉन्च कर चुके सलमान फिल्म नोटबुक में नए चेहरों प्रनूतन बहल (मोहनीश बहल की बेटी) और जहीर इकबाल को ग्लैमर वर्ल्ड में उतार चुके हैं। इस तरह सलमान अपने ही बैनर तले तीसरी बार एक नई जोड़ी को फिल्म नोटबुक के जरिए परदे पर लाए हैं। उनसे हुई खास मुलाकात:
-‘नोटबुक’ बनाने का आइडिया दिमाग में कैसे आया?
नोटबुक की कहानी काफी समय पहले मेरे लिए आयी थी लेकिन ऐसा लगा कि मुझपर पर यह कहानी सूट नहीं करेगी। अब मेरी इमेज बदल गयी है तो मैं ये फिल्म नहीं कर सकता था। फिल्म की स्क्रिप्ट मुझे पसंद आयी थी और इसलिए मैंने इस फिल्म को बनाने का निर्णय लिया। सुभाष घई मेरे पास जब युवराज लेकर आये थे तो मैंने उनसे कहा था कि मुझे हीरो में काम करना है, लेकिन वे नहीं मानें। मैंने बाद में हीरो सूरज को लेकर बनायी।
-मोहनीश बहल की बेटी प्रनुतन में ऐसी क्या खास बात है कि आपने उन्हें हीरोइन के तौर पर पेश किया?
दरअसल, मैंने प्रनूतन का बाहर में एक ऑडिशन देखा था. जिसमें वे मुझे बहुत अच्छी लगी थीं। मैंने तुरंत मोहनिश को फोन किया कि तुम्हारी बेटी लॉ कर रही थी न। उसने बोला हां पढ़ाई पूरी कर ली अब वो एक्टिंग करना चाहती है। उसकी दादी बहुत बड़ी एक्ट्रेस थी। मां और पिता भी एक्ट्रेस हैं। ऐसे में मैं उसे एक्टिंग करने से रोक सकता हूं?
-एक्टर और प्रोड्यूसर में क्या फर्क देखते हैं ?
मैं दोनों को इंज्वॉय करता हूं। निर्माता के तौर पर ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। प्रोडक्शन और पैसे का तो पूरी टीम देख लेते हैं, लेकिन स्क्रिप्टिंग और म्यूजिक सहित दूसरे डिपार्टमेंट में बहुत मेहनत लगती है। जब आप खुद एक्टिंग करते हैं ऐसे में निर्माता के तौर पर ये सब डिपार्टमेंट देखना बहुत मुश्किल हो जाता है. बहुत एनर्जी लगती है।
-क्या आपने भी नोटबुक लिखी हैं?
मैंने एक बार मेरी डायरी लिखनी शुरू की थी तो पहले तो मैंने बहुत सच लिखा. जो मेरा सच होता है न उसमें दूसरे तकलीफ में आ जाते हैं। फिर मैंने झूठ लिखना शुरू किया लेकिन ये सब ज्यादा दिन नहीं चल पाया।
-आपके फेवरेट टीचर कौन रहे हैं ?
फादर हेनरी हैं। उन्हें अब आंखों से दिखता नहीं है। पादरी हैं। मझगांव में रहते हैं। अभी भी मैं उनके संपर्क में हूं। एक डिसूजा टीचर हुआ करती थीं। पांडे सर जो हमारे पीटी टीचर हुआ करते थे। सभी से संपर्क में हूं। मेरी पंसदीदा टीचर वो हैं. जो मुझे बहुत पीटते थे। उन्हीं से सीखा है किस तरह से सिचुएशन को हैंडल करें। चौथी कक्षा से पीटने का सिलसिला शुरू हुआ था तो कॉलेज तक खत्म नहीं हुआ क्योंकि फादर एलवु हमेशा ही मेरे संपर्क में थे। वे मेरे स्कूल के प्रिंसिपल थे। बोर्ड एग्जाम पास होने के बाद उन्होंने मुझसे पूछा कि अब आप क्या करेंगे बेटे। मैंने कहा कि मैं जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स ज्वॉइन करुंगा। उन्होंने कहा कि बहुत अच्छे। गया था एडमिशन लेने जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स में लेकिन वहां गया तो क्राउड की वजह से पास वाला जेवियर ज्यादा अच्छा लग गया। वहां आर्ट और साइंस था। आर्ट्स लेने का मन था, फिर दिमाग लगाया कि लोगों को समझ आ जायेगा कि यहां पढ़ने नहीं चिल करने आया है। फिर मैंने साइंस ले लिया। घर पर आया तो मां खुश कि बेटा डॉक्टर बनेगा। पापा ने कहा कि दो महीने भी साइंस पढ़ लिया तो मैं अपना नाम बदल दूंगा। एक दिन फादर एलवु मुझसे मिले और पूछा कि क्या कर रहे हो। मैंने बताया कि साइंस कर रहा हूं। उन्होंने एक तमाचा जड़ दिया कि डॉक्टर बनोगे! हाल ही में कैंसर की वजह से उनकी मौत हो गयी। फादर एलवु और फादर हेनरी की मार की वजह से ही मैं जो हूं आज हूं।
-अगर आपकी बायोपिक बनाई जाए तो?
मेरी बायोपिक! अरे यार मेरी लाइफ लार्जर दैन लाइफ होती तो मैं कटघरे में नहीं होता। आपकी अदालत नहीं, असली अदालत की बात कर रहा हूं। इतनी लार्जर दैन लाइफ होती थी तो वहां जाने की जरूरत नहीं होती थी।
-क्या वेब सीरिज से जुड़ना चाहेंगे?
मुझे वेब सीरिज वाहियात लगते हैं। मुझे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काफी ऑफर आ चुके हैं, लेकिन मैं नहीं कर सकता हूं। बहुत तहजीब और तमीज वाला रोमांस मुझे पसंद है जैसा हम आपके हैं कौन में था।