बॉलीवुड में हर कलाकार को अपनी प्रतिभा को साबित करने व निखारने के लिए एक नहीं कई मौके मिलते रहे हैं.ऐसे में संजय दत्त की दूसरी पारी की शुरूआत कोई बहुत बड़ी बात नहीं है.लेकिन पांच वर्ष जेल में बिताने के बाद जिस नए उत्साह के साथ वह फिल्म ‘भूमि’ से अपने करियर की षुरूआत कर रहे हैं,वह वास्तव में काबिले तारीफ है.
वापसी करते हुए पहली फिल्म ‘भूमि’ ही क्यां?
हकीकत यह है कि पहले मैं विधु विनोद चोपड़ा के साथ एक फिल्म करने वाला था.पर उसकी पटकथा पर काम चल रहा था.इसी दौरान संदीप सिंह मेरे पास यह कहानी लेकर आ गए.यह कहानी सुनकर मैं बहुत भावुक हो गया.तो मैने सोचा कि पहले यह फिल्म कर लेता हूं.इस फिल्म का विषय बहुत ही ज्यादा समसामायिक और भावना प्रधान है.इसमें नारी सषक्तिकरण की बात की गयी है.इसमें सामाजिक संदेश है. इसमें बेटी के साथ हुए हादसे के बाद जिस तरह से पिता का खून खौलता है, उस पर बात की गयी है.यह रिश्ता की बात करती है।
आपने इसी तरह की एक फिल्म पिता में की थी?
पिता और ‘भूमि’की कहानी, कॉंसेप्ट, ट्रीटमेंट सब कुछ अलग है.दोनो फिल्मां में बहुत फर्क है.
अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगे?
-मैने इसमें आगरा शहर में मोची की छोटी सी दुकान में काम करने वाले अरूण का किरदार निभाया है.जिसकी अपनी एक बेटी भूमि है. दोनो खुशहाल जीवन जी रहे हैं.पर एक दिन बेटी भूमि के साथ एक हादसा हो जाता है और उनकी जिंदगी बदल जाती है.तब अरूण अपनी बेटी भूमि के लिए एक कठोर फैसला लेता है.पर पिता पुत्री के रिश्ते में कड़वाहट आने की बजाय रिश्ता ज्यादा प्रगाढ़ हो जाता है।
फिल्म 'भूमि' में पिता पुत्री के किस रिश्ते की बात की गयी है?
देखिए, हर पिता का अपनी बेटी का रिश्ता किस तरह का होता है,उसी की बात इस फिल्म में की गयी है.संसार चाहे जितना बदल जाए,मगर पिता पुत्री का रिश्ता नहीं बदलेगा।
चर्चाएं रही है कि ‘भूमि’ की कहानी कुछ समय पहले प्रदर्शित फिल्म ‘मातृ’ और ‘मॉम’ से मिलती जुलती है?
सब्जेक्ट शायद वही हो.फिल्म ‘भूमि’ में हमने जिस समस्या पर बात की,वह शायद वही हो, मगर हमारी फिल्म ‘भूमि’ बहुत अलग है. ट्रीटमेंट, कहानी वगैरह सब कुछ बहुत अलग है।
आप अपनी बेटी त्रिशाला को फिल्मों से नहीं जुड़ने देना चाहते थे?
आप लगभग चार साल पहले की बात कर रहे हैं.अब ऐसा कुछ नही है.अब तो वह खुद ही अपना फोरेंसिक साइंस कर चुकी है.अब फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर रही है.देखिए,वास्तव में वह पढ़ने में तेज है.मैं चाहता था कि वह अपने पढ़ाई के टैलेंट को जाया न करे.यह बात वह समझ चुकी है.अब वह जो कुछ कर रही हैं,उससे वह बहुत खुश हैं।
यदि अभी भी त्रिशाला फिल्मां में आना चाहें तो?
-मैं चाहूंगा कि वह अपने अभिनय करियर की शुरूआत लियानार्डो डिकैप्रियो के साथ करें.
सिनेमा में आ रहे बदलाव को आप किस तरह से देखते हैं?
अब जो बदलाव आया है,उसके चलते अब गुणवत्ता वाला और हर तरह का सिनेमा बन रहा है.अब लोगों में प्रोफेशेनालिजम आ गया है.जिसके चलते तयशुदा समय और तयशुदा बजट के अंदर फिल्में बन रही हैं.हर कलाकार अब एक समय में एक ही फिल्म कर रहा है.अन्यथा हमारा तो वह जमाना रहा है,जब हम चार चार शिफ्ट में काम करते थे.पर अब जो सिनेमा में बदलाव आया है,उसके चलते हमें कलाकार के तौर पर आत्म संतुष्टि मिलने के अलावा काम करने में आनंद आ रहा है.हम जब एक फिल्म पर ही पूरा ध्यान लगाते हैं,तो उसके परिणाम भी अच्छे निकलते हैं।
आप कभी ड्ग्स की लत के शिकार रहे हैं?
हम सभी जाने अनजाने तमाम गलतियॉं करते रहते हैं.मैंने भी कई गलतियां की हैं.ड्ग्स हमारी युवा पीढ़ी को खोखला कर रही है.अब मैं देश को ड्ग्स मुक्त करने के लिए श्री श्री रविशंकर जी के साथ मिलकर एक कैम्पेन चलाने वाला हूं, जिसमें वह मेरे साथ रहेंगे.हम ड्ग्स के खिलाफ लोगां को जागरूक करने वाले हैं।
आपने उम्र व वक्त के साथ खुद को बदलते हुए फिल्म ‘भूमि’ में पिता का किरदार निभाना स्वीकार किया?
वक्त के साथ चलना जरुरी है.वैसे हॉलीवुड में पचास साल की उम्र पार करते ही लवर ब्वॉय की बजाय एक्शन फिल्में करने लगते हैं.जबकि बॉलीवुड में ऐसा नही होता है.लेकिन जहॉं तक मेरा सवाल है तो आप अच्छी तरह से जानते है कि मैंने फिल्म ‘‘मिशन कश्मीर’ में रितिक रोशन का पिता बना था.2002 में फिल्म‘पिता’में तनवी हेगड़े का पिता बना था.इतना ही नहीं मेरी मां नरगिस दत्त ने तो 28 साल की उम्र में फिल्म ‘मदर इंडिया’ की थी.मैं तो किरदार की अहमियत देखता हूं।
आपकी जिंदगी पर राज कुमार हिरानी बायोपिक फिल्म बना रहे हैं,जिसमें रणबीर कपूर अभिनय कर रहे हैं.इस फिल्म में आपकी अपनी कितनी दखलंदाजी है?
कोई दखलंदाजी नहीं कर रहा हूं.
क्या इस फिल्म को लेकर आपने रणबीर कपूर से कोई बात की?
जी नहीं..मैने इस फिल्म के संदर्भ में रणबीर कपूर से भी कोई बात नहीं की.पर एक दो बार मुझे फिल्म की शूटिंग के दौरान सेट पर जाने का मौका मिला, तो मैंने पाया कि वह बहुत मेहनत से और बेहतरीन काम कर रहे हैं. सेट पर वह मुझे बिलकुल मेरी ही तरह लग रहे थे।
आखिर इस फिल्म की योजना कैसे बनी थी?
वास्तव में विधु विनोद चोपड़ा ने एक दिन मुझसे अपनी जिंदगी की कथा सुनाने के लिए कहा.तो मैंने उन्हे अपनी यह कथा बिना किसी लाग लपेट के,पूरी सच्चाई के साथ सुनायी.मेरी कहानी सुनने के बाद विधु विनोद चोपड़ा और राजकुमार हीरानी को लगा कि इस पर फिल्म बननी चाहिए,जो कि युवा पीढ़ी के लिए एक सबक हो सकती है.
नई फिल्में?
ओमंग कुमार के साथ एक फिल्म ‘गुड महाराज’ कर रहा हूं,जो कि जामनगर के महाराजा जाम साहेब दिग्विजय सिंह जडेजा के जीवन पर आधारित है,जिन्होने द्वितीय विश्व युद्ध के समय यूरोपीय देश पोलैंड की 640 महिलाओं व बच्चों की जान बचायी थी।
आप आरंभ कुमार के साथ कोई नई फिल्म कर रहे हैं?
जी हां! मैं आरंभ कुमार के साथ एक नई फिल्म ‘मलंग’ कर रहा हॅूं.बतौर निर्देशक यह उसकी पहली फिल्म है.पर बहुत ही बेहतरीन विषयवस्तु वाली फिल्म है.इमसें मेरे साथ रानी मुखर्जी भी होंगी।
फिल्म निर्माण से तोबा?
नही..मैं अपनी प्रोडक्शन कंपनी ‘संजय दत्त प्रोडक्शन’ में कई फिल्में बना रहा हूं.इसके अलावा अपने पिता की प्रोडक्षन कंपनी ‘अजंटा आर्ट्स’ को पुनर्जीवित करने का मन है।
अपने पिता की किस फिल्म का रीमेक करना चाहें?
मुझे जीने दो