सीरियल “सिंदूर की कीमत” मेरे हाथ से जाते जाते रह गया- शहजाद  शेख

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By Mayapuri Desk
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सीरियल “सिंदूर की कीमत” मेरे हाथ से जाते जाते रह गया- शहजाद  शेख

सर्वाधिक चर्चित सीरियल “ये रिश्ता क्या कहलाता है” में तीन वर्ष तक नक्ष का किरदार निभाकर जबरदस्त शोहरत बटोरने वाले अभिनेता शहजाद शेख अब 18 अक्टूबर से “दंगल” टीवी पर प्रसारित होने वाले सीरियल “सिंदूर की कीमत“ में अर्जुन अवस्थी का किरदार निभाते हुए नजर आने वाले हैं। नौ वर्ष के अपने अभिनय करियर में पहली बार मेनलीड किरदार निभाने का अवसर पाकर शहजाद शेख काफी उत्साहित हैं।

प्रस्तुत है “मायापुरी”के लिए शहजाद  शेख से हुई बातचीत के अंष...

आपकी पृष्ठभूमि क्या है? आपको अभिनय का चस्का कैसे लगा?

यू तो हम मूलतः गुजरात,भारत के निवासी हैं। मगर हम पले बढ़े जद्दा, सउदी अरब में हैं। वहां हमारे पास फिल्म देखने का कोई साधन नही था। हमारे पास सिर्फ टेलीवीजन था। 18 वर्ष तक मैं वहीं रहा। वहां पर रह रहे हम सभी अप्रवासी भारतीय केवल टीवी से ही जुड़े हुए थे। कोई बहुत बड़ी फिल्म होती थी, तभी हमारे पास पहुँचती थी। हमने ऐसी जगह परवरिष पायी, जहां लोग अभिनेता बनने का सपना ही नही देखते थे। लेकिन मेरे मन में यह विचार जरुर था कि अगर कभी घर यानी कि अपने वतन भारत गए, तो अभिनय करने के बारे में जरुर सोचेंगें। मेरे परदादा, दादा,पिता जी सभी वकलत से जुड़े हुए हैं। मेरे अब्बा भी वकील हैं। मेरे पिताजी हमेषा कहते थे कि यदि आपको अपनी पसंद का कोई काम करना है या कोई आपका पैषन है, तो उसके बारे में सोचने से पहले पढ़ाई अच्छे से पूरी कर लो। 18 वर्ष की उम्र में पहुँचते ही मेरे सभी दोस्त कनाडा या लंदन चले गए। लेकिन मैं ‘मेरा भारत महान’ कहते हुए भारत आ गया।

भारत आकर आपने अभिनेता बनने के लिए संघर्ष शुरू कर दिया था?

जी नहीं। मेरे पिता का आदेष था कि पहले उच्च शिक्षा। इसलिए सउदी अरब से मुंबई पहुंचा और सबसे पहले होटल मैनेजमेंट का काम करने का मन बना लिया। बीए ऑनर्स इन हॉस्पिटलटी मैनेजमेंट में किया और साथ में शाम को बीबीए की पढ़ाई करने जाता था। चार वर्ष बाद मैने औरंगाबाद से होटल मैनेजमेंट पूरा किया। वहां पर मुझे नौकरी मिली और मुंबई से भी संपर्क हुआ। लेकिन मैने ज्यादा समय तक होटल की नौकरी नहीं की। मैं होटल की नौकरी छोड़कर गुजरात चला गया। मेरी मां राजकोट की हैं और मेरे पिता अहमदाबाद के हैं। इसलिए मैं अहमदाबाद, गुजरात चला गया। मैं अहमदाबाद में अभिनय करने की सोच ही रहा था कि मेरे परिवार ने मुझसे व्यवसाय करने के लिए कह दिया। मैने एनर्जी सेविंग कंपनी शुरू की, पर असफलता हाथ लगी। फिर मैने स्टॉक  मार्केट में का काम शुरू किया, वहां भी असफलता ही हाथ लगी। मैं स्टॉक ब्रोकर बना, पर मार्केट क्रैष हो गया। फिर अभिनय के लिए संघर्ष  शुरू किया, पर कुछ ही दिन में मैं संघर्ष से घबराकर किंग फिषर एअरलाइंस में कैबिन क्रू का सदस्य बन गया। मेरे पड़ोस में अभिनेता नवाब षाह रहा करते थे, एक दिन मैंने उनसे निवेदन किया कि मुझे कुछ कास्टिंग डायरेक्टरों के नंबर दे दीजिए, जिनसे मैं बात करके ऑडिशन देना शुरू करुं। फिर 2012 में मैने अभिनय कैरियर की शुरूआत की। काफी दरवाजे खटखटाने के बाद मुझे “सावधान इंडिया” में अभिनय करने का अवसर मिला था। कई एपीसोडिक सीरियल किए। फिर मुझे ‘फोर लायन’ प्रोडक्षन कंपनी का “कुबूल है” मिला, जिसमें मैने रेहान का किरदार निभाया था। इससे मुझे काफी शोहरत मिली। उसके बाद जीनत अमान के साथ फिल्म “बंकस्टर” की, जो कि बीच में ही बंद हो गयी थी। फिर ‘सोनी लिव’ की वेब सीरीज “अवरोध” की। इसके अलावा विक्रम भट्ट के निर्देषन में एक दूसरी वेब सीरीज “अनामिका’ की शूटिंग पूरी कर ली है। बीच में तीन साल तक सीरियल “ये रिष्ता क्या कहलाता है” में नक्ष का किरदार निभाया। अब मुझे बतौर लीड सीरियल “सिंदूर की कीमत” मिला है, जो कि 18 अक्टूबर से “दंगल” टीवी पर प्रसारित होगा।

सीरियल “सिंदूर की कीमत” मेरे हाथ से जाते जाते रह गया- शहजाद  शेख

कुबूल है’ सफल था। आपको भी लोकप्रियता मिली थी। फिर भी “सिंदूर की कीमत” में मेन लीड पाने में इतना लंबा समय क्यों लग गया?

मैंने कभी भी लीड किरदार के लिए ऑडिशन नही दिया। मैने हमेषा अपनी अप्रोच प्रैक्टिकल ही रखी। मुझे अपना घर भी चलाना था और काम भी करना था। पैरलल मिला तो भी यह सोच कर करता रहा कि जब अवसर होगा, तब मुझे लीड रोल मिल जाएगा और अंततः अब मिल गया। दूसरी बात पहले सीरियल के बाद फिल्म में मेनलीड करके हकीकत पता चल गयी थी। लीड और पैरलल लीड की दुनिया ही बहुत अलग होती है।

नक्ष के रूप में शोहरत के चलते सीरियल “सिंदूर की कीमत” में आपका चयन हुआ?

मुझे लगता है कि मेरी प्रतिभा के आधार पर ही इस सीरियल में मेन लीड के लिए मेरा चयन हुआ है। महामारी के दौरान जब मैं सीरियल “ये रिष्ता क्या कहलाता है” में नक्ष के किरदार की शूटिंग कर रहा था, तब मुझे पहली बार अहसास हुआ था कि मैं मेन लीड करने के लिए तैयार हॅूं। तब मैने कास्टिंग डायरेक्टर विषाल गुप्ता से फोन करके अपनी मंषा जाहिर की। कुछ दिन बाद उन्होने मुझे इसके लिए ऑडिशन देने बुलाया। उस वक्त मैं जूनागढ़ के डीप फारेस्ट में अपने परिवार के साथ घूम रहा था। मैने हामी भरी। मगर मेरा चयन इतनी आसानी से नही हुआ। तीन माह तक मुझे कई बार ऑडिशन देना पड़ा। फिर मुझे बताया गया था कि अर्जुन का किरदार किसी अन्य कलाकार को जा रहा है। क्योंकि मैं किरदार में फिट नही बैठ रहा हॅूं। मुझे अहसास हुआ कि अब मेन लीड नही मिला,तो फिर कभी नही मिल पाएगा। मैने पंद्रह दिनों के अंदर अपना साढ़े आठ किलो वजन कम किया। खुद को चुस्त दुरूस्त किया। उसके बाद पुनः मिला। तो तीन बार ऑडिशन के बाद मेरा चयन हुआ। आप यह समझ लें कि “सिंदूर की कीमत” मेरे हाथ से जाते जाते रह गया।

सिंदूर की कीमत” किस तरह का सीरियल है?

यह तमिल सीरियल “रोजा” का हिंदी रीमेक है, जिसमें कुछ बदलाव किए गए हैं। यह बहुत ही खूबसूरत कहानी है। कहानी के केंद्र एक वकील अर्जुन अवस्थी ,एक लड़की मिश्री और परिवार की कहानी है। इसमें बच्चे बचपन में बिछुड़ जाते हैं, फिर उनके मिलने की एक यात्रा है। बचपन का प्यार भी मिलता है। इसके साथ ही बड़ा ड्रामा है। यह कहानी युनिवर्स की है, जो दो इंसानो को मिलाता है। इसमें पारिवारिक मुद्दे भी उठाए जा रहे हैं।

आपका अपना किरदार क्या है?

मैने इसमें अर्जुन अवस्थी का किरदार निभाया है। जो कि वकील है। अवस्थी परिवार का हेड है। बहुत ही व्यावहारिक है। ओवर द टॉप नही है,बहुत ही शटल है। वह अपनी दुनिया में उस मुकाम पर पहुँच गया है, जहां उसके लिए उसका कैरियर मायने रखता है। इसके अलावा कुछ नहीं। जब कोई अर्जुन से षादी के बारे में सवाल करता है, तो वह कहता है कि मेरे पास काम इतना है कि षादी के लिए सोच ही नहीं सकता। अर्जुन अवस्थी 2021 का एक प्रैक्टिकल इंसान है।

शहजाद और अर्जुन में कितना अंतर है?

व्यावहारिकता में दोनों एक जैसे हैं। मेरे लिए मेरा कैरियर ही प्राथमिकता है। इसीलिए निजी जीवन में मेरी कोई गर्लफ्रेंड भी नही है। मगर मूड़ में दोनों अलग हैं। निजी जीवन में मुझे लोगों के साथ बातचीत करना पसंद है। अर्जुन की चाल ढाल वगैरह भी मेरे निजी जीवन से काफी अलग है।

सीरियल “सिंदूर की कीमत” मेरे हाथ से जाते जाते रह गया- शहजाद  शेख

शूटिंग के अनुभव?

बहुत अच्छे अनुभव हो रहे हैं।

टीवी सीरियल में एक ही किरदार को लंबे समय तक निभाने से कलाकार स्टीरियो टाइप हो जाता है?

मैंने लगातार तीन वर्ष तक ‘ये रिष्ता क्या कहलाता है’ में नक्ष का किरदार निभाया, तो बीच मैंने समय निकालकर वेब सीरीज ‘अवरोध’ किया। फिर कुछ समय बाद विक्रम भट्ट की दूसरी वेब सीरीज की शूटिंग की थी। मैं एक ऐसा इंसान हूँ, जो समझता हूँ कि यह मेरा हर दिन का काम है। मैं अपने किरदार को पूरी तरह से निभाता हॅूं, जिसके चलते हमारे अंदर एक स्किल आ जाती है। यह स्किल ऐसी है कि आप सुबह स्क्रिप्ट दें और मैं शाम तक उसे खत्म कर चल दॅूं। मेरी यह स्किल बढ़ती गयी। दूसरी बात मैने सब्र रखा। मैने हमेषा इस बात पर ध्यान दिया कि अच्छे लोगों के साथ काम करो। अवसर आपके पास आते रहेंगे। इंसान हॅूं, तो बीच में कई बार टूटा भी था। पर फिर खुद को संभाला। मैं मुंबई में अकेले ही रहता हॅूं। पर अपने आपको किसी न किसी तरह से संभालते हुए आगे बढ़ता जा रहा हूँ। मेरी प्रेमिका भी नही है। पैषन व विष्वास के साथ आगे बढ़ रहा हॅूं। मैं तो ईष्वर का षुक्रगुजार हॅूं कि मुझे पिछले चार वर्ष से लगातार काम मिल रहा है। ‘बेपनाह’ के बाद ‘ये रिष्ता क्या कहलाता है’ किया। अब ‘सिंदूर की कीमत कर रहा हूं।

इसके अलावा क्या कर रहे हैं?

मैंने विक्रम भट्ट के निर्देषन में वेब सीरीज “अनामिका “ की है। मेन लीड किया है। मेरे साथ इसमें सनी लियोन हैं।

भविष्य में किस तरह के किरदार करने की इच्छा है?

मुझे फिल्म व वेब सीरीज करनी है। मुझे अंग्रेजी भाषा में काम करना है। अंग्रेजी तो मेरी पहली भाषा रही है। हॉलीवुड व इंटरनेषनल फिल्में व वेब सीरीज करनी हैं।

शॉक?

मेरी रूचि खेलों में है। मैं क्रिकेट को छोड़कर फुटबाल,बास्केट बाल सहित सारे खेल खेलता हूं। घुड़सवारी करता हॅं। मार्शल आर्ट करता हूं। स्कूबा डायविंग करता हॅूं। एडवेंचरस काम करना पसंद है।

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