श्रद्धा कपूर की दो फिल्में बैक टू बैक रिलीज होने के लिए तैयार हैं। उनकी फिल्म साहो 30 अगस्त को रिलीज हो रही है। इसके बाद सुशांत सिंह राजपूत संग उनकी फिल्म छिछोरे 6 सितम्बर को सिनेमाघरों में आएगी। अपनी दोनों फिल्मों को लेकर श्रद्धा काफी खुश हैं। अपनी फिल्मों को लेकर उन्होंने कहा, मेरी दोनों फिल्में एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं और मैं इन दोनों का हिस्से बनने पर खुद को काफी लकी फील कर रही हूं। उनसे हुई खास मुलाकात :
-साहो एक बड़ी एक्शन फिल्म है। क्या आगे भी एक्शन जोनर करना चाहेंगी?
मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा कि मुझे एक्शन ही करना है। मैं हर फिल्म में अलग तरह का कैरेक्टर करना चाहती हूं। बागी में मेरा कैरेक्टर डिफरेंट था और अब स्ट्रीट डांसर में भी थोड़ा अलग है। मैं डिफरेंट कैरेक्टर्स करने में बिलीव करती हूं।
-आमतौर पर स्थापित हो चुके कलाकार अपना एक अलग घर बनाकर वहां रहने लगते हैं। क्या आपका भी कोई घर है?
जी हां, मैंने भी पैरेंट्स से पूछकर एक घर में इनवेस्टमेंट की थी लेकिन मैं वहां सिर्फ दो दिन ही रह पाई। पापा-मम्मी की मुझे याद आने लगी थी इसलिए वो घर छोड़ आई। पुराने घर में मेरा बचपन बीता है। उसे कैसे भुला या छोड़ सकती हूं।
-कॅरियर में उतार-चढ़ाव आने पर दोस्तों से क्या सलाह मिलती है?
वो जरूरत से ज्यादा सलाह देने लगते हैं इसलिए मैं उनसे बचने लगती हूं। मेरी एक पफ्रेंड है, जो फैशन कॉन्शियस है। वो मेरे हेयरस्टाइल पर कमेंट करती रहती है। वो मुझे बताती रहती है कि तुम्हारा मेकअप सही नहीं है। मेरा दोस्तों का एक ग्रुप है जो जिन्हें मेरी आलोचना करने में मज़ा आता है। वो मुझे सलाह देने की कोशिश करते हैं कि तुमने यह फिल्म क्यों की। कुल मिलाकर वो मेरी अच्छाई कम, बुराई ज्यादा करते हैं।
-क्या साहो में आपने भी एक्शन किया है?
ज्यादा नहीं, थोड़ा-बहुत तो किया है। एक्शन की इंटरनेशनल टीम थी जिन्होंने मुझे एक्शन के बारे में बताया। वे सब कोरियोग्राफी के अंदाज़ में सिखाया करते थे। साहो की शूटिंग के दौरान मेरा ज्यादा समय हैदराबाद में ही बता है। एक तरह से मेरा दूसरा घर बन गया था हैदराबाद।
-साहो की शूटिंग के दौरान क्या हेल्थ प्रोब्लम भी हुई?
शूटिंग के दौरान ही मुझे डेंगू हो गया था जिसने मेरी हालत खराब कर दी थी। मेरे ज्वाइंट्स में दर्द रहने लगा था। अभी तक शरीर के कुछ हिस्से डेंगू से प्रभावित हैं लेकिन मैं सब मैनेज कर रही हूं।
-फैमिली के साथ छुट्टियां मनाने का समय कब मिलेगा?
उसी का तो इंतज़ार कर रही हूं। किसी भी तरह फैमिली के साथ दो-तीन दिन के लिए निकल जाना चाहती हूं। मेरे पापा तो पिकनिक पार्टी के दौरान कार्टून हो जाते हैं। वह काफी जॉकी मूड के हैं। खूब मस्ती करते हैं। मुझसे कहते हैं कि अब कोई शूटिंग नहीं चल रही है इसलिए खूब खाओ।
-तेलुगू में संवाद बोलते समय कोई परेशानी हुई?
साहो के संवाद तेलुगू में थे इसलिए कई बार रात को जागकर पंक्तियां याद करनी पड़ती थीं। शॉट देने से पहले निर्देशक सुजीत के साथ बैठकर संवादों का अर्थ समझती थी। सेट पर एक लैंग्वेज कोच था जो मेरे उच्चारण को लोकल टच देने में मदद करता था। प्रभास ने भी मुझे तेलुगू की पंक्तियां समझाने में मदद की।
-अब किस तरह की फिल्मों का दौर है और कितना फायदेमंद है?
साहो की तरह अब कई भाषाओं में शूट होने वाली फिल्मों का समय आ गया है। ऐसी फिल्मों से आपको अलग अलग विचारधाराओं को जानने, भिन्न भिन्न उद्योग के लोगों से मिलने विभिन्न भाषाओं को सीखने का मौका मिलता है।
-प्रभास और पूरी टीम के साथ काम करने का अनुभव बताएं?
प्रभास बहुत बड़े सुपरस्टार हैं, लेकिन उनका दिल बहुत साफ है। मैं और मेरी टीम उनपर फिदा हो गए थे। हमें उनके साथ काम करके बहुत मजा आया। शूटिंग के एक्सपीरिएंस को मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती। असल में फिल्म की पूरी टीम ने मुझे अपने परिवार के हिस्से की तरह अपनाया था। हमने इस फिल्म की शूटिंग दो साल में की है। इन दो सालों में हैदराबाद मेरा दूसरा घर बन गया था। मैं रोज सेट पर जाने का इंतजार करती थी। मुझे मिलने वाले प्यार और उनके लिए मेरे दिल में प्यार के कारण मैं वहां बार-बार जाना चाहती थी। वो सभी मेरे साथ अच्छे थे। मुझे वहां घर जैसा महसूस होता था।