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‘शादी का मुझ पर परिवार का कोई प्रेशर (दबाव) नहीं है’- सिद्धार्थ मल्होत्रा

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By Mayapuri Desk
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‘शादी का मुझ पर परिवार का कोई प्रेशर (दबाव) नहीं है’- सिद्धार्थ मल्होत्रा

लिपिका वर्मा

सिद्धार्थ मल्होत्रा जिस किसी भी फिल्म में, जिस किसी भी हीरोइन के साथ काम करते हैं, उनका नाम उस हीरोइन के साथ लिंक अप हो -ही जाता है। अपनी पहली फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ़ दी ईयर’ में आलिया के साथ काम कर, उनके साथ नाम जुड़ा रहा, काफी वर्षों तक सुर्खि़यों में रहा। फिर उनका नाम जैकलीन फर्नाडीज़ के साथ जुड़ गया। ‘कॉफी विद करण’ जब आलिया ने यह जवाब दिया कि, ’सिद्धार्थ का नाम कियारा से जोड़ा जा सकता है  तब सिद्धार्थ का नाम कियारा के साथ भी जोड़ा जाने लगा। कई बार दोनों  एक दूसरे के साथ स्पॉट भी किये गए। खैर, फ़िलहाल सिद्धार्थ मल्होत्रा अपनी आने वाली फिल्म ‘जबरिया जोड़ी’ में जुटे हैं। फिल्म में दूसरी मर्तबा परिणीति भी सिद्धार्थ का साथ निभा रही है।

पेश है सिद्दार्थ मल्होत्रा के साथ लिपिका वर्मा की बातचीत के कुछ अंश -

आप बहुत सिंपल (सरल) व्यक्तित्व के धनी लगते हैं। लेकिन इतनी लड़कियों के साथ आपका नाम क्यों कर जुड़ जाता है?

- क्योंकि मैं दिलकश लगता हूँ. (लाईकेबल -लेवबल) दरअसल में जब भी मैं किसी के साथ बातचीत करता हूँ या कभी उनके साथ दिख जाता हूँ तो लोग मेरा नाम उनके साथ जोड़ देते हैं। पर ऐसा  होता है।

‘शादी का मुझ पर परिवार का कोई प्रेशर (दबाव) नहीं है’- सिद्धार्थ मल्होत्रा

आप क्या अरेंज्ड मैरिज या लव मैरिज करना चाहेंगे ?

- देखिये, मेरे माता-पिता की शादी को आज 40 वर्ष हो चले हैं। मेरे भाई भाभी को भी कुछ वर्ष हो गए है। शादी के बंधन में वह दोनों भी अत्यंत खुश है। मैंने अपने परिवार में चाचा-चाची इत्यादि को भी सुखी शादी -शुदा जीवन व्यतीत करते हुए देखा है। सो शादी के बंधन में मेरा अटूट विश्वास है। हाँ, यह जरूर है हम पंजाबी परिवार में माँ खासकर अपने बेटे पर पूरा ध्यान केंद्रित करके रहती है। यदि मुझे घर  पहुँचने में देर हो जाये तब भी वह मेरी खोज खबर रखती थी। इमोशनल ब्लैक मेल किया करती, किन्तु अब क्योंकि मुंबई में हूँ, तो यही कह देती है -कि अब तो तुम बहुत बिजी होंगे? और हमें मिलने नहीं आ पाओगे। शादी का मुझ पर परिवार का कोई प्रेशर (दबाव) नहीं है। फिर चाहे मैं लव या फिर अरेंज्ड मैरिज करूँ ? यह तो समय ही बतायेगा ? हाँ यह जरूर है कि - मैं मैरिज इंस्टीटूशन (शादी संस्था) में विश्वास रखता हूँ।

सुना है फिल्म का टाइटल “जबरिया जोड़ी“ भी आपने ही सुझाया है ?

- हाँ! इस फिल्म की तैयारी के समय में काफी रीडिंग की। और कवितायें भी पढ़ा करता। मुझे जबरन शब्द मिला, तो मैंने सोचा “जबरिया जोड़ी  “टाइटल अच्छा रहेगा। मैंने निर्देशक/निर्माता से यह टाइटल रखने हेतु सजेस्ट किया, उन्हें यह टाइटल अच्छा लगा अतः यह टाइटल रख लिया गया।

परिणीति चोपड़ा के साथ, “हंसी तो फंसी“ के बाद दोबारा, ’जबरिया जोड़ी’ में नजर आ रहे हैं, क्या कहना चाहेंगे आप?

- परिणीति के साथ काम करने में न केवल एक कम्फर्ट लेवल लगा अपितु उनके साथ रहा काम करने में मजा भी आया। मुझे उनसे ज्यादा पटनाईया भाषा बोलनी थी। क्योंकि उन्हें मॉडर्न दिखाया गया है, तो उन्हें ज्यादा पटनाईया भाषा का प्रयोग नहीं करना था। इस फिल्म में हम दोनों की जोड़ी द्वारा एक बहुत ही गंभीर मुद्दा उठाया है निर्देशक ने किन्तु इसमें हमारा रोमांस भी नजर आएगा। इस सीरियस मुद्दे को निर्देशक ने बहुत ही सरलता से पेश भी किया है। आशा है सभी को एक अच्छा संदेश जायेगा इस फिल्म द्वारा।

‘शादी का मुझ पर परिवार का कोई प्रेशर (दबाव) नहीं है’- सिद्धार्थ मल्होत्रा

 सभी नहीं जानते सिद्धार्थ को जूते जमा करने का बहुत शौक हो। कितने जूते जमा कर लिए हैं अभी तक/और शूज कहां से शोपिंग करते हैं आप?

- जी हाँ! मुझे जूतों का बहुत शौक है। अभी मेरे पास तीन कप्बोर्ड शूज जमा हो गए है। मुझे हर कलर के शूज पसंद हैं। किन्तु अब मैं शूज से ज्यादा संलग्नता नहीं रखता हूँ। जब कभी हो चैरिटी (दान) में जिस किसी को जरूरत हो दे देता हूँ। मुझे कोई भी कलर जब भी मैं शॉपिंग करता हूँ जो दिल में आता है वही कलर खरीद लेता हूँ. दरअसल मैं लंदन या इण्डिया से मैं अक्सर शूज खरीदना पसंद करता हूँ , आजकल समय नहीं होने की वजह से ऑनलाइन शॉपिंग ही कर लेता हूँ। पर हाँ! अलग-अलग कपड़ों के साथ अलग- अलग जूते पहनना मेरा शौक काफी पुराना है। जब बचपन में, मुझे ज्यादा शूज खरीदने नहीं मिला करते, तो मैं उदास हो जाया करता। लेकिन आज मैं अपनी यह मंशा पूरी कर लेता हूँ।

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