लिपिका वर्मा
सोनाक्षी सिन्हा ने अपनी डेब्यू फिल्म ’दबंग’ (2010) से अपना फिल्मी सफर शुरू किया। ख़ास बात यह रही फिल्म ’दबंग’ में सलमान खान के अपोजिट काम कर सब का मन मंत्रमुग्ध कर लिया था। आज ‘दबंग 3’ की फ्रैंचाइज़ी में नजर आने वाली हैं। इस बीच सोनाक्षी ने अलग अलग फिल्मों में काम कर कुछ मीठी और खट्टी यादें बटौर रखी है। हाल ही में रिलीज़ हुई उनकी फिल्म ’कलंक’ बुरी तरह बॉक्स ऑफिस पर पिट गयी है। लेकिन सिन्हा ‘बाला’ अपने फ़िल्मी सफर से बहुत खुश है। सबसे ज्यादा ख़ुशी सोनाक्षी को इस बात से है कि - वह ‘दबंग -3’ में भी अच्छा किरदार निभा रही है। सोनाक्षी सिन्हा अपनी अगली फिल्म ’खानदानी शफाखाना’ से एक अलग लीग की फिल्म में नजर आने वाली हैं। “जी हाँ में अपनी हर फिल्म से एक अलग पहचान बनाने की इच्छुक हूँ। मुझे पैरलल सिनेमा एवं कमर्शियल सिनेमा में कोई फर्क नहीं लगता.अपने काम को हर तरह के सिनेमा से संतुलित करना चाहती हूँ। मैंने अपनी मेहनत से अपने लिए ऐसा मुकाम बना लिया है जहाँ मैं -कमर्शियल, ऑफ बीट, ट्रेजेडी या थ्रिलर कहानी हो सब भी में अपने आप को फिट कर सकती हूँ। ’
प्रोमोशंस में जुटी सोनाक्षी सिन्हा के साथ लिपिका वर्मा की एक अनूठी पेशकश -
फिल्म ’दबंग 3’ की शूटिंग जोरो शोरो में शुरू हो गयी है, इस फिल्म के बारे में कुछ बतायें?
- जी, इस फिल्म को निर्देशक प्रभुदेवा शूट कर रहे है। वह फिल्म ’दबंग -3’ को एक बहुत ही अनूठा टच दे रहे हैं। मेरे लिए इस फिल्म में काम करना जैसे वापस घर आने वाली बात है। बहुत ही अच्छी एवं सच्ची फीलिंग होती है सेट्स पर। दबंग मेरी डेब्यू फिल्म थी। इस बात को 9 वर्ष गुजर गए है। और दबंग 3 मेरी 25वीं फिल्म है , यह मेरे लिए एक सपने से काम नहीं है। चुलबुल और रज्जो का रोमांटिक सॉन्ग न हो? ऐसा कभी हो नहीं सकता? रज्जो फिल्म ’दबंग-3’ के टाइटल सॉन्ग में दिखाई देगी यह ख़ुशी की बात है।
फ़िल्मी दुनिया में ’नौ साल पूर्ण कर लिए है, फिल्मी सफर कैसा रहा?
- मेरा फिल्मी सफर बेहद बेहतरीन रहा। मैंने अनुभव से सब कुछ सीखा है। और इसी अनुभव को निरंतर अपनी फिल्मों के चरित्र चित्रण को बेहतर करने में यूज़ करती हूँ। मुझे अपना काम बेहद प्यारा है। और अपने काम को 100 : देती हूँ।
निर्देशक शिल्पी दुग्गल की रिलीज़ के लिए तैयार अगली फिल्म ‘खानदानी शफाखाना’ टाइटल से यह फिल्म सेक्स कॉमेडी लगती है। आप इस फिल्म का हिस्सा हैं, क्या कहना चाहेंगी ?
- देखिए, यह फिल्म ’सेक्स कॉमेडी’ तो बिल्कुल भी नहीं है। यह एक ऐसी पारिवारिक फिल्म है जो एक प्रसांगिग मुद्दा, ‘सेक्स’ के बारे में बात करती है। सेक्स के विषय पर बात करना खासकर हमारे देश में एक टैबू माना जाता है। यदि एक पुरुष एक सेक्स क्लिनिक चलाये तो इस पर किसी को एतराज नहीं होगा। पर यदि एक महिला सेक्स क्लिनिक चलाये तो समाज में और घर पर भी सभी को एतराज होता है। यह असमानता महिलाओं को हर प्रोफेशन में फेस करना होता है। दरअसल में. क्योंकि मैं एक मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव हूँ अतः यह सेक्स क्लिनिक मुझे अपने पूर्वजों की वजह से चलाना होता है।
आज इस मुकाम पर आप है, क्या ऐसी फ़िल्में करनी चाहिए आपको?
- शुरुआत में जब मेरे पास यह फिल्म आयी तो मैं ज्यादा कम्फर्टेबल महसूस नहीं कर रही थी। मैंने सीधे सीधे निर्देशिका से पूछ लिया क्या आप मेरी फिल्मों के ट्रैक रिकॉर्ड को नहीं जानती? किन्तु स्क्रिप्ट सुनने के बाद मुझे लगा, ऐसी कहानी बोली जानी चाहिए। और मुझे यह फिल्म करनी चाहिए। सेक्स विषय को सम्बोधित करना अनिवार्य है। किन्तु फिल्म ’खानदानी शफाखाना’ एक फैमिली, साफ़ सुथरी और बहुत ही दिलचस्प फिल्म है।
आप शिक्षा मंत्री को क्या कहना चाहेंगी ?
- मैं शिक्षा मंत्री से यही गुजारिश करना चाहूंगी -सेक्स एजुकेशन एवं डिफेन्स पर भी सभी लड़के लड़कियों को शिक्षा देना अनिवार्य कर देना चाहिए।