मुझे गति और रोमांच पसंद है- सुजॉय घोष By Shyam Sharma 08 Mar 2019 | एडिट 08 Mar 2019 23:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर बहुत कम ऐसे डायरेक्टर्स हैं, जो फिल्ममेकिंग के अपने खास स्टाइल के चलते चर्चाओं में रहते हैं। निर्देशक सुजॉय घोष भी उन्हीं में शामिल हैं। इनकी फिल्मों का अंदाज़ अलग हटकर होता है। कह सकते हैं कि सुजॉय लीग से हटकर फिल्में बनाते हैं और उनकी फिल्मों में कोई न कोई महत्वपूर्ण संदेश छिपा रहता है। फिल्म कहानी से इन्होंने काफी पोपुलैरिटी पाई। इसके बाद तीन से भी जुड़े और अब अमिताभ बच्चन व तापसी पन्नू को फिल्म बदला में लेकर आए हैं। इस खास बातचीत में सुजॉय ने कई मुद्दों पर खुलकर बात की। आज हर तरफ कंटेंट का बोलबाला है। इसकी शुरूआत आपने बहुत पहले फिल्म कहानी से कर दी थी। आज के सिनेमाई माहौल को लेकर क्या कहेंगे? फिल्म हो या कला, हर जगह कंटेंट ही चलता है जिसे लोग अब अच्छी तरह समझने लगे हैं। कला के क्षेत्र में कंटेंट का बहुत महत्व होता है। कंटेंट नही तो कुछ भी नहीं। पहले का ज़माना कुछ और था। आप तो जानते हैं कि सिनेमा एक कारोबार है जहां हर कोई पैसा कमाने के लिए आया है। पहले लोग उसी तरह की फिल्मों पर पैसा लगाते थे जिसमें उन्हें लगता था कि पैसा डूबेगा नहीं। मेरी फिल्म कहानी के साथ भी यही हुआ था। उस पर पैसा लगाने वाले डरे हुए थे। मेरे हिसाब से बदलाव यह आया है कि पैसे लगाने वालों का नजरिया बदल गया है। हमारे देश में ही इतनी कहानियां हैं जहां से आप अच्छी फिल्म तैयार कर सकते हैं लेकिन इसके बावजूद आपको एक स्पैनिश फिल्म का रीमेक करने की जरूरत क्यों महसूस हुई? इसे आप मेरी जरूरत न कहें। कहानी बाहर की भी अच्छी लग सकती है और अपने देष से जुड़ी कहानी भी आपको प्रभावित कर सकती है। मुझे कहानी अच्छी लगी, और काफी चुनौतीपूर्ण भी इसीलिए मैंने यह फिल्म बनाने का फैसला किया। शुरू में मेरा मन दुविधा में फंस गया था लेकिन इसलिए नहीं कि रीमेक है। रीमेक मेरे लिए चुनौती नहीं थी। चुनौती यह थी कि पहले से कही गई कहानी को मैं अपना क्या दे सकता हूं? स्पैनिश फिल्म में वकील का किरदार एक महिला ने निभाया पर बदला में वकील का किरदार अमिताभ निभा रहे हैं। बदला में इतना उलट-पलट कैसे हो गया? मुझे बदला का पहला खाका मिला तब तक किरदारों के साथ उल्टा पुल्टी हो चुकी थी और मेरे फिल्म में आने से पहले ही तय था कि अमिताभ और तापसी के किरदार क्या होंगे और, पूरी इंडस्ट्री में ऐसा कोई है जो अमिताभ जी को मना कर दे। ऐसा नहीं है कि मैं तापसी या अमित सर के कहने से फिल्म करूंगा लेकिन मुझे जब लगा कि मैं कहानी में कुछ नया जोड़ सकता हूं तभी मैंने फिल्म के लिए हां कहा। मैं किसी के कहने से फिल्म नहीं करता। इससे पहले आपकी कुछ फिल्मों को दर्शकों ने पसंद नहीं किया। आखिर कहां चूक हो गई थी? मैंने झंकार बीट्स और अलादीन के अलावा भी आपने कई फिल्में बनाई लेकिन कुछ न कुछ कमियां रह गईं। हालांकि अलादीन काफी थ्रिलिंग थी पर पब्लिक उसे देखने नहीं आईं। झंकार बीट्स का एडिट पैटर्न थ्रिलिंग था। मैं सोच समझकर थ्रिलर ही बनाता हूं, ऐसा नहीं है। यह बस मेरा कहानी कहने का तरीका है। मुझे गति और रोमांच काफी पसंद है। #interview #Sujoy Ghosh #Badla हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article