‘फिल्म ‘सांड की आंख’ हर औरत को कुछ करने के लिए प्रेरित करेगी..’- तापसी पन्नू By Shanti Swaroop Tripathi 21 Oct 2019 | एडिट 21 Oct 2019 22:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर बॉलीवुड में तापसी पन्नू की गिनती उन अभिनेत्रियों में होती है, जो कि सिनेमा के परदे पर गंभीर व संजीदा किरदारों को बाखूबी निभाती हैं. फिर चाहे वह फिल्म ‘पिंक’ हो या ‘बेबी’ हो या ‘बदला’ हो या ‘मुल्क’ हो. अब उन्होंने दिवाली के खास मौके पर 25 अक्टूबर को प्रदर्शित हो रही तुषार हीरानंदानी निर्देशित फिल्म ‘सांड की आंख’ में 60 वर्षीय शार्प शूटर प्रकाशी तोमर का किरदार निभाया है। अब कैरियर किस दिशा में जाता नजर आ रहा है? - पता नहीं आगे मेरा कैरियर किस दिशा में जाएगा.क्योंंक मैंने जो योजनाएं बनायी थीं, वह आज तक सफल नहीं हुईं. यदि मेरी योजना सफल हो गयी होती, तो मैं एमबीए करके बैठी होती. वह कभी नहीं हुआ. अब मैं योजना नहीं बनाती. अब मेरा यह नियम बन गया है कि आज जिस काम को करने में खुशी मिल रही है, वह कर लो. मैंने कल शाम छह बजे से आज सुबह छः बजे तक लखनउ में फिल्म ‘थप्पड़’ की शूटिंग की.सुबह की फ्लाइट पकड़कर मुंबई आ गयी. और आप लोगों से बात कर रही हूं. मैं पूरी रात सोई नहीं हूं. यदि मुझे यह करते हुए खुशी नहीं मिल रही होती,तो मैं यह नहीं कर सकती थी. 24 घंटे से सोयी नहीं हॅूं. पर तरोताजा लग रही हूं. मुझे फिल्में बहुत पसंद है. मुझे मेरी यह फिल्म ‘सांड की आंख’ तो बहुत ही ज्यादा पसंद है.मुझे कोई थकावट नहीं है.मेरा मानना है कि जिस काम को आप दिल से और खुशी-खुशी कर रहे होते हैं, उसमें थकावट नहीं आती है। आपने दो फिल्में ‘रनिंग शादी’ और ‘दिल जंगली’की. दोनो फिल्में असफल रही? - मैंने अपनी पहली फिल्म ‘‘चश्मेबद्दूर’ के बाद ही ‘रनिंग शादी’ साइन की थी. इस फिल्म के साथ सुजॉय घोष और अमित राय जैसे बड़े नाम जुडे़ हुए थे. यह रॉम कॉम थी. उन दिनों सभी रॉम कॉम फिल्में कर रहे थे. इसी तरह जब मैंने फिल्म ‘बेबी’ कर ली, तभी ‘दिल जंगली’ साइन की थी. मुझे लगा कि मैंने ‘‘चश्मेबद्दूर’ और ‘बेबी’ कर ली, दोनों बहुत अलग तरह की फिल्में हैं. उसी वक्त ‘दिल जंगली’ व ‘पिंक’ दोनो साइन कर ली. फिल्म ‘पिंक’ के प्रदर्शन के बाद मेरी समझ में आ गया कि मेरी दिशा क्या है. तो मैंने ‘रनिंग शादी’ और ‘दिल जंगली’ करके गलती की. अपनी गलती से सीखा. मैंने पहले ही कहा कि मैंने गलतियां बहुत की, पर मैंने अपनी गलतियों को दोहराया नहीं। फिल्म ‘सांड की आंख’ करने से कई अभिनेत्रियों ने इंकार किया, पर आपने कर ली? - मैंने सुना है कि कुछ अभिनेत्रियों ने अतरंगी कारण बताकर यह फिल्म करने से मना कर दी. पर मैंने खुद यह फिल्म मांग कर ली. वास्तव में मुझे दो हीरोईन वाली फिल्म करनी थी.मुझे पता चला कि रिलांयस इंटरटेनमेंट वाले इस तरह की फिल्म को बनाना चाहते हैं, तो मैंने रिलायंस के शिवाशीष को फोन करके कहा कि मैंने सुना है कि आपके पास दो हीरोईन वाली कोई पटकथा है, जिस पर आप फिल्म बनाने की सोच रहे हैं और इसमें दोनों हीरोईन के किरदार समानस्तर के हैं. क्योंकि मैं खुद ऐसी फिल्म दर्शक हॅू, जो कि ऐसी फिल्म की टिकट खरीदकर देखने जाना चाहूंगी, जिसमें दो प्रतिभाशाली हीरोईन के इक्वल किरदार हों. मुझे एक्साइटिंग लगा. शिवाशीष ने मिलने के लिए बुलाया और मुझे दोनों दादीयों की तस्वीर दिखाते हुए कहा कि इनकी कहानी है. जब मैं मिलने पहुॅची थी, तो मुझे उम्मीद नहीं थी कि इन दो दादीयांं की कहानी है, तो फोटो देखते ही मैंने कहा कि मैं तो पहले ही डिसक्वालफाई हो गयी, मैं तो इस उम्र की हूं ही नहीं..इस पर शिवाशीष ने कहा कि, ‘नहीं. आप करना चाहें तो हम ट्रांसमेशन के लिए तैयार है. वैसे यह कहानी 16 साल की उम्र से साठ साल की उम्र तक की है. पर मेहनत लगेगी. ’मैंने कहा कि मुझे पटकथा पसंद आ जाए, तो जितनी चाहें, उतनी मेहनत करा लेना। दूसरे दिन फिल्म ‘जुड़वा’ के गाने टनाटन की शूटिंग करके सीधे रिलायंस के आफिस पहुॅंची. 12 लोगों ने लाइव म्यूजिक के साथ पूरी पटकथा सुनायी. रात नौ बजे से बारह बजे तक पटकथा सुनी.बीच में कई बार आँखों से आँसू आए. पटकथा खत्म होने के दस मिनट के अंदर मैंने कह दिया कि मैं तो फिल्म करने के लिए तैयार हूँ. अब आप लोग बताएं कि आप करवा सकते हो या नहीं. क्योंकि मुझे नहीं पता कि ट्रांसमीषन कैसे होगा या नहीं. मैं अपनी तरफ से पूरी कोषिष करुंगी, पूरी मेहनत करुंगी. उसके बाद उन्होंने दूसरी हीरोईन की तलाष में दो साल लगा दिए. अंत में भूमि का चयन हुआ और तय हुआ कि मैं प्रकाषी तथा भूमि चंद्रो का किरदार निभाएगी। आपको लगता है कि जब निर्देशक को अपनी पटकथा व कहानी पर पूरा यकीन हो, तो फिल्म बेहतर बनती है अन्यथा बनते बनते बिगड़ जाती है? - ऐसा ही होता है. निर्देशक ‘कैप्टन ऑफ द शिप’ होता है. उसके मानसिक स्तर पर बहुत कुछ निर्भर करता है कि फिल्म कैसी बनेगी.मुझसे मिलने से पहले तुषार ने इस पर दो साल काम किया था. उसने मुझे अपने शोधकार्य की एक बड़ी मोटी किताब पढ़ने को दी थी. इसमें एक एक सीन के बारे में विस्तार से लिखा हुआ था कि किस तरह का विज्युअल होगा, किस रंग के कपड़े व अन्य क्या होगा. सीन का फील क्या होगा.उसका होमवर्क काबिले तारीफ था। आपको यह फिल्म करने के लिए किस बात ने इंस्पायर किया?? - देखिए, चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर की जिंदगी एक दकियानूसी परिवार व गाँव में ही गुजरी है. साठ वर्ष तक इनकी जिंदगी हमेशा घूंघट और चार दीवारी के अंदर रही. पहले इन्होंने अपने पिता, फिर अपने पति उसके बाद अपने बेटों के ही हर निर्णय को आंख मूंदकर स्वीकार किया. लेकिन साठ साल की उम्र में घर से बाहर निकलना और बंदूक उठाने के पीछे मुख्य वजह इनकी अपनी बेटियां व पोती रही. यह कदम हर औरत को बहुत कुछ प्रेरणा देता है. बहुत कुछ सिखाता है. जब आप इनकी पूरी जिंदगी की दास्तान सुनेंगे, तो आप इनको सॉरी कहने से कतराएंगे नहीं। मैंने इसमें प्रकाशी तोमर का किरदार निभाया है, जिन्होंने साठ साल तक कभी किसी चीज की इच्छा नहीं जतायी, पर जब उन्हे अहसास हुआ कि अब हमें आवाज उठानी चाहिए तब उन्होंने आवाज उठायी.हम आज ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ की बात कर रहे हैं.जबकि चंद्रो और प्रकाशी ने तो यह काम आज से कम से कम 25 साल पहले किया था. इस फिल्म की पटकथा सुनते समय मुझे बार बार मेरी मां कि याद आ रही थी. मेरी मां 60 वर्ष की हो गयी हैं. उनकी दोनों बेटियां एक मैं मुंंबई में और दूसरी शगुन बैंगलोर में काम कर रही हैं. मेरी मां घर पर दिनभर अकेली बैठी रहती हैं. उनकी कोई हॉबी भी नहीं है, जिसे वह पूरा करने में समय बिताएं. मेरी फिल्म ‘सांड की आंख’ ऐसी महिलाओं को सीख देती है कि वह अभी भी अपनी जिंदगी को नए सिरे से शुरू कर सकती हैं. उन्हें यह नही सोचना चाहिए कि वह किसी भी काम को करने के लिए बूंढ़ी या उम्र दराज हो गयी हैं। प्रकाशी तोमर इस उम्र में भी अपने घर से बाहर निकलने के बाद अपना घूंंघट नहीं उठाती,फिर भी पता नही कहां कहां जाकर बंदूक चलाकर मेडल ले आयीं.आखिर उनमें यह हिम्मत कहां से आयी. साठ साल तक घर से बाहर नहीं निकलीं और अचानक घर से बाहर निकल बंदूक चलाकर कारनामें कर डाले.मेरी मां को आज अकेले भारत से बाहर जाना पड़े,तो डरती है.पर यह औरतें कहां कहां जाकर बंदूक चलाकर मेडल ले आयी. तो मैं अपनी मां को इन दादीओं की कहानी सुनाती रहती हूं। आपकी मां ने कभी आपसे अपने मन की बात कही? - मैंने कई बार पूछा कि शादी से पहले वह क्या करना चाहती थी. तो उन्होंने जो बताया, उसके अनुसार उनसे कभी कुछ पूछा ही नहीं गया. जब कहा यह पढ़ो, तो वह पढ़ लिया. 27 वर्ष की उम्र में शादी कर दी गयी..अब मैं उनको जबरदस्ती उंगली करती रहती हॅूं. अब उनको दुनिया घूमने का शौक हो गया है, तो मैं कभी अपने साथ उन्हें विदेश ले जाती हूं, कभी मम्मी व पापा को विदेश घूमने भेज देती हॅूं. पर उन्हें खुद समझ में नहीं आता कि पूरे दिन अपने साथ क्या करें. मैंने उन्हें कम्प्यूटर सीखने के लिए कहा. अब वह दिन भर फेसबुक पर बैठी रहती हैं. मैं चाहती हूं कि साठ साल की उम्र है, तो क्या हुआ, उन्हें अपने षौक पूरे करना चाहिए। फिल्म का ट्रेलर देखकर आपकी मम्मी की क्या प्रतिक्रिया रही? - मैं जो कुछ भी करती हॅूं, वह सब मेरी मम्मी को अच्छा लगता है. क्योंकि वह ऐसी मम्मी हैं, जो बोलती हैं-‘हां, बेटा अच्छा लग रहा है. बेटा बहुत अच्छा है.’फिल्म का ट्रेलर उन्होंने कहा-‘‘अच्छा है...तुझे एक्टिंग आती है. ’मैंने कहा कि मम्मी आप पिछले दो साल से मेरी हर फिल्म देखकर यही बोल रही हो.कुछ नया तो बोलो. पर अभी तक तो उन्होंने कुछ नया नहीं बोला.अमूमन मैं हर दीवाली दिल्ली में अपने घर पर मनाती हूं,मगर इस बार मैं मम्मी पापा को मुंबई लेकर आउंगी और यहां दिवाली मनाने के साथ ही उनके साथ थिएटर में यह फिल्म देखूंगी। जौहरी गाँव की कहानी है.आप जौहरी गांव जाकर रहीं और वहीं पर फिल्म की शूटिंग हुई. आपने जौहरी गांव में क्या अहसास किए? - वहां के लोगां ने पहली बार शूटिंग देखी. जब हम वहां पहुॅचे, तो वह हैरान थे कि यह हो क्या रहा है. जौहरी गांव बहुत छोटा सा गांव है और हमने प्रकाशी के बगल वाले घर पर कब्जा कर लिया था. हम चंद्रो के घर पर रह रहे थे. गांव के लोगों का प्यार बहुत मिला. मेरा नाश्ता, दोपहर का भोजन, शाम का नाश्ता रात्रि, भोज अलग अलग घर से आता था. मुझे तो लगा कि मैं उसी गांव की रहने वाली हूं। जब आप चंद्रो और प्रकाशी से मिलीं, तो क्या अनुभव हुए? - मैंने इन दोनों से बहुत कुछ सीखा और मुझे अहसास हुआ कि यह परिवार कितनी आलीशान जिंदगी जी रहा है. इनके घर तो हमारे फाइव स्टार हॉटलों से आगे हैं. मेरी मां कभी भी मेरे साथ शूटिंग में नहीं जाती, पर इस फिल्म की शूटिंग में मां को साथ ले गयी थी. वह जौहरी गांव में हमारे साथ रही.मेरी मां ने दादीयों से बहुत बातें भी की। प्रकाशी को देख और उनसे बातचीत करके समझ में आया कि समय कभी निकलता नहीं है. हम किसी भी उम्र में कोई भी काम षुरू कर सकते हैं. प्रकाषी दादी ने मुझसे कहा, ‘जब जागो तब सवेरा. ’उनकी जिंदगी देखकर मुझे इस बात का अहसास हुआ. दूसरी बात उनकी सोच, वह जिस तरह से बात करती हैं,वह एकदम मॉडर्न है. वह जिस तरह से प्रैक्टिकल /व्यावहारिक बातें करती हैं, उससे लगता नहीं कि वह कभी गांव में रही हैं. जबकि उन्होने अपनी जिंदगी गांव में ही बितायी है। खुद को साठ पैंसठ साल की उम्र में ढालना कितना आसान रहा? - आसान तो नहीं रहा. दो माह का वर्कशॉप रहा.चंद्रो और प्रकाशी दादी से मिलकर हमने बॉडी लैंग्वेज, उनके उठने बैठने के तरीके को आर्ब्जव करके सीखा. हमारी फिल्म के निर्देशक तुषार हिरानंदानी ने वर्कशॉप के दौरान ही हमें बता दिया था कि वह हमारे चेहरे पर सिलिकॉन प्रोस्थेटिक मेकअप का उपयोग नहीं करने वाले हैं. हम लोगों ने एक खास तरह का मेकअप किया है, जिसमें वैक्स का सबसे ज्यादा उपयोग किया गया. इसके चलते मेकअप करने में तीन घंटे लगते थे. गर्मी के मौसम में तो इस मेकअप के साथ शूटिंग करना बहुत मुश्किल था. मुझे तो तकलीफ कम हुई,पर भूमि का चेहरा जल गया था. गर्मी में तो हमें दिन में 3 बार मेकअप करवाना पड़ता था, जिसमें 6 से 7 घंटे बर्बाद हो जाते थे. इस फिल्म में मैंने पहली बार घाघरा ओढनी पहनी हैं। अब जबकि फिल्म रिलीज हो रही है, तो किस तरह की खुशी है? - बहुत खुशी है. पहली बार ऐसा हुआ है. मुझे तो यह भी नहीं याद कि पिछली बार किस दीवाली पर दो हीरोइनों की एक साथ वाली व बड़े बजट की फिल्म प्रदर्शित हुई थी. लेकिन दिल बहुत बड़ा है. हमने दीवाली पर आने की हिम्मत कर ली है. क्योंकि हम सभी चाहते थे कि यह एक ऐसे अवसर आए, जब पूरा परिवार एक साथ इसे देख सके. तो हम सभी को दिवाली से बेहतर कोई अवसर नजर न आया। अनुभव सिन्हा की फिल्म ‘थप्पड़’ की शूटिंग भी पूरी हो गयी है? -जी हां! मैंने इस फिल्म को जान बूझकर स्वीकार किया. इसमें मेरा किरदार पितृसत्तामक सोच को चुनौती देता है.यह किरदार मेरी फायर ब्रांड इमेज से अलग है. मैंने इसमें अमृता का किरदार निभाया है, जो कि लखनऊ के मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की है.उसके पिता प्रोफेसर और मां गृहिणी हैं. एक मुकाम पर कई सवाल खडे़ होते हैं. इस फिल्म में जो मुद्दा उठाया गया है, उससे हर औरत रिलेट करेगी। मायापुरी की लेटेस्ट ख़बरों को इंग्लिश में पढ़ने के लिए www.bollyy.com पर क्लिक करें. अगर आप विडियो देखना ज्यादा पसंद करते हैं तो आप हमारे यूट्यूब चैनल Mayapuri Cut पर जा सकते हैं. आप हमसे जुड़ने के लिए हमारे पेज width='500' height='283' style='border:none;overflow:hidden' scrolling='no' frameborder='0' allowfullscreen='true' allow='autoplay; clipboard-write; encrypted-media; picture-in-picture; web-share' allowFullScreen='true'> '>Facebook, Twitter और Instagram पर जा सकते हैं. embed/captioned' allowtransparency='true' allowfullscreen='true' frameborder='0' height='879' width='400' data-instgrm-payload-id='instagram-media-payload-3' scrolling='no'> #Taapsee Pannu #bollywood #interview #Saand Ki Aankh हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article