तापसी पन्नू वह भाग्यशाली अभिनेत्री है जिसने पहले साउथ इंडियन फिल्मों में स्टार नायिका का तमगा हासिल किया। उसके बाद हिन्दी में भी वह सफलतम नायिकाओं में अपनी जगह बना चुकी है। कुछ सप्ताह पहले रिलीज फिल्म ‘सूरमा’ में अपनी भूमिका को लेकर तारीफें बटोर चुकी तापसी अब फिल्म ‘मुल्क’ में अपनी भूमिका को लेकर चर्चा में है। फिल्म को लेकर तापसी से एक मुलाकात।
सूरमा में आपकी काफी छोटी भूमिका थी ?
मुझे पहले से पता था कि मेरी भूमिका छोटी है, लेकिन रीयल लाइफ में भी वह इतनी ही थी, जिसे बाद में थोड़ा विस्तार किया गया। यह सच है कि जब संदीप सिंह अस्पताल में था तो वह उसे छोड़ कर चली गई थी। इसके बाद वह उसे मिली थी लेकिन कहां और कब मिली यह नहीं पता। हमें तो जितना संदीप ने बताया हमने फिल्म में उसे उतना ही रखा। मेरे लिये तो यह कांप्लीमेंट ही है कि लोग मुझे फिल्म में और देखना चाहते थे। यहां मेरा कहना है कि मैं इन दिनों ढेर सारी फिल्में कर रही हूं उनमें से एक ऐसी फिल्म भी आ जाती है, जिसे पॉजिटिवली लेना चाहिये।
जो भी फिल्में आपने अभी तक की हैं या आगे करने जा रही हो। क्या सब आपने अपनी च्वाईस से चुनी ?
इस बात को लेकर मैं अपने आपको भाग्यशाली मानती हूं कि मैने यहां आते ही जो भी फिल्में मुझे मिली वह अपने आप मेरी झोली में आ गिरी। उनमें से एक भी ऐसी नहीं थी जिसे मैं नापंसद करती। उन्हीं में सूरमा की तरह एक फिल्म ‘ग़ाजी अटैक’ थी जिसमें मेरी बहुत छोटी भूमिका थी, बावजूद इसके वह दर्शकों को पंसद आई।
अच्छी फिल्मों से आपका क्या तात्पर्य है ?
अच्छी फिल्में यानि जो दर्शकों की पसंद पर खरी साबित हों। इसके अलावा कल मेरे बच्चे अगर मेरी फिल्में देखें तो वह गर्व से कहेंगे कि यह उनकी मम्मी की फिल्म है।
सुना है मौजूदा फिल्म में आपको कोर्ट सीन्स के डायलॉग्ज बोलते हुये काफी परेशानी हुई ?
ऐसी कोई बात नहीं थी, दरअसल फिल्म में मेरे अपोजिट ज्यादातर थियेटर आर्टिस्ट हैं जिन्हें थियेटर में लंबे लंबे डायलॉग बोलने की आदत है। मेरे साथ ऐसा पहली बार हुआ जब कोर्ट रूम में जंहा छह कैमरे लगे हुये थे। वहां मुझे दो दो पेज के डायलॉग्ज पकड़ा दिये जाते थे और मेरे सामने आशुतोश राणा, रिषी कपूर, रजित कपूर जैसे धुरंदर आर्टिस्ट खड़े हैं। वहां मैं इस बात को लेकर नर्वस रहती थी कि कहीं एक सुर भी गलत लगा तो मेरी बैंड बज जायेगी। लेकिन शुक्र है मैने वह सारे सीन्स किये जिनके बारे में मुझे अभी तक नहीं पता कि वही अच्छे हैं या बुरे? क्योंकि मैने अभी तक फिल्म नहीं देखी।
फिल्म के पोस्टर पर एक नाम है आरती मौहम्मद है। इसका क्या मतलब हुआ ?
आरती मौहम्मद एक हिन्दू लड़की है जो एक मुस्लिम लड़के से प्यार करती है। उसके बाद उसकी उसी लड़के से शादी हो जाती है। एक वक्त जब उसके परिवार पर आंतकवादी होने का कंलक लगता है, तो चूंकि वह एक वकील है लिहाजा वह अपने परिवार पर लगे कंलक को धोने के लिये कोर्ट का रूख करती है। फिल्म में रिषी कपूर मेरे ससुर बने हैं और प्रतीक बब्बर हसबैंड के छोटा भाई का रोल निभा रहा है।
कितना मुश्किल रहा एक एडवोकेट के तहत अपने परिवार पर लगे आरोपों को गलत साबित करना ?
मैं उन पर लगा कोई आरोप हटाने की कोशिश नहीं कर रही। मेरा मानना है कि जिसने गलती की है तो सजा उसे मिलनी चाहिये। यहां एक खानदान का सवाल है जिसके एक सदस्य की गलती पूरा खानदान क्यों भुगते। मैं बाकी निर्दोष लोगों के लिये लड़ रही हूं।
आगे के प्रोजेक्ट्स ?
एक फिल्म है ‘मनमर्जियां’ तथा एक तेलगू फिल्म ‘नीवेब्रो’ । इसके अलावा एक फिल्म है, जिसे शाहरूख खान प्रोड्यूस करने जा रहे हैं।