मैं बिल्कुल भी फ़िल्मी नहीं हूँ- तब्बू By Mayapuri Desk 15 May 2019 | एडिट 15 May 2019 22:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर लिपिका वर्मा तब्बू जैसे ही हमारे साथ अपनी नई फिल्म ’दे दे प्यार दे दे’ के लिए हमसे मिलने पहुंची। हंस कर कहती है, ’अब तो मैं आप लोगों से लगातर मिल रही हूँ. शायद यह पांचवी बार मिल रही हूँ। अब तो मेरे फैंस निराश नहीं है मुझ से। “ तब्बू अपनी फिल्म ‘दे दे प्यार दे’ के प्रोमोशंस में जुटी है। तब्बू ख़ासा अच्छे मूड में देखी गयी। तब्बू के साथ लिपिका वर्मा की बातचीत के कुछ अंश- काफी चूजी है क्या चीज़ आपके लिए मायने रखती है ? मेरा रोल, डायरेक्टर, कहानी यह सब चीज़ मायने रखती है फिर उसके बाद कई फैक्टर्स ध्यान में रखती हूँ। फिल्म कौन बना रहा है ? रिलीज होगी अथवा नहीं ? यह सब चीज़ भी जेहन में रखती हूँ फिल्म साईन करने से पहले। आपने कभी सोचा था कि आपकी फिल्म ’अंधाधुन विदेश में भी पसंद की जाएगी? चीन में रिलीज हुई है और अंधाधुन कमाई कर रही है? हमने कभी यह नहीं सोचा था की फिल्म इतनी बम्पर हिट होगी। सबसे पहले तो जब हम फिल्म बना रहे थे तो बहुत ही मजे लेकर काम कर रहे थे। सो मैं यही कहूँगी जब आप एक दूसरे के साथ मिल कर हाथ पकड़ के काम कर रहे हैं तो उसका इतना बड़ा फल मिलता है। जब आप सब मिल कर काम करते हैं तो फल मीठा ही होता है। फिल्म में आपका हस्बैंड आधी उम्र की लड़की के प्यार में पड़ जाता है, कहानी क्या है? आप को फिल्म देखनी पड़ेगी। फिल्म में क्या होता है यह आप टिकट लेकर जाएँ और फिल्म की कहानी में क्या हो रहा है देखें। फिल्म ’दे दे प्यार दे’ में आप कॉमेडी करेगी क्या? जैसा आपने गोलमाल में देखा है, अंत में मेरा किरदार सीरियस ही हो जाता है। सो इस फिल्म में भी ऐसा ही कुछ है। कॉमिक स्थितियां है। यह एक महत्वपूर्ण किरदार है। मेरा किरदार स्ट्रांग और सीरियस बन जाता है। रिलेशनशिप के बारे में है सो थोड़ा कॉमिक भी है। लेकिन कुछ गहरे रिश्तों का स्ट्रांग करैक्टर है। आपका व्यक्तित्व बहुत ही परिपक्व हो गयी हो? गुलज़ार साहब की फिल्म ’माचिस’ करने के बाद ऐसा हुआ ? मुझे लगता है आत्मविश्वास आ जाता है जब आपको लाड - प्यार से काम करने का मौका दिया जाता है। और इतनी खुली छूट दे दी जाती है। आपको अपने हिसाब से काम करने दिया जाये तो आप बेहतर अभिनय करने की कोशिश करोगे। और फिर जब आप के काम की सरहाना होती है- तो आपको लगने लगता है जो मैं कर रही हूँ सही है। आपको अपने टैलेंट- काबिलियत दिखाने का मौका मिलता है। तो आप कुछ अच्छा ही करना चाहोगे। जब गुलज़ार साहब के साथ काम करते हैं और आपका काम सराहा जाता है तो आपको लगता है मुझे एक रास्ता मिल गया है। आपको अपने क्राफ्ट पर विश्वास होने लगता है। अपने आप को खोजने के लिए भी मौका मिलता है। कुछ लोग भाग्यवान होते है, जिन्हें ऐसे लोग भी मिल जाते हैं, जो उनको अपने आप को ढूंढने में मदद करते हैं। मुझे ऐसे निर्देशक मिले है- गुलज़ार साहब, प्रियम, संतोष सिवान- जिनके साथ काम करते हुए मुझे इन्होंने अनजाने में ही - एक रास्ता ढूंढने में मदद की है-न केवल काम में बल्कि अपने व्यक्तिगत जीवन में भी। नायिका सिर्फ जवान लड़की ही होती है क्या यह चलन हट रहा है ? हट रहा है, जैसी फ़िल्में बन रही है इससे तो लग रहा है। आस पास के पात्र भी बहुत महत्वूर्ण है। कोई एक हीरो या हीरोइन पर फिल्म चले ऐसा नहीं है। कुछ एक फ़िल्में ऐसी भी बन रही है। लेकिन आजकल करैक्टर्स महत्वपूर्ण हो गए हैं। हर तरह की फ़िल्में बना रहे हैं -पारिवारिक हो या फिर रिश्ते पर आधारित हो या फिर दोस्ती। सो अब जरुरी नहीं है की एक हीरोइन छोटी उम्र की ही हो। क्योंकि आज लोगों को अलग कहानियां देखना पसंद है। आपको लेखन का शौक भी है। निर्देशन में हाथ आजमएंगी कभी? कोई कहानी लिख रही है क्या आप? जी हाँ लिख तो रही हूँ। पर कहानी नहीं लिख रही हूँ। लिखने का शौक तो है। मेरा शुरुआत और अंत मिलता ही नहीं है। मेरे लिए जर्नी ही महत्वपूर्ण हो जाती है। मेरी लिखाई में रोमांस का दूर दूर तक नामो निशान नहीं है। व्यक्तिगत अनुभव के बारे में लिखना पसंद करती हूँ और ऑउटडोर्स पर लिखती हूँ ज्यादातर। आप भी नो नॉनसेंस वुमन ही है ? आपके व्यक्तित्व से सभी प्रभावित हैं एक बलवान व्यक्तित्व है -किसे क्रेडिट देना चाहती है ? मैं क्या इम्प्रैशन देती हूँ यह मालूम नहीं है मुझे। मुझे हाँ और न बोलने में मुश्किल नहीं होती है। यदि मुझे कुछ गलत लगता है या अखर रहा है तो न बोल देती हूँ। सोच का कुछ सोर्स नहीं है। हमारे आस पास जिस तरह के व्यक्तित्व के लोग होते हैं उन से आप का व्यक्तित्व प्रभावित होता है। जो सबसे ज्यादा असर छोड़ते हैं वह आपका फैमिली डीएनए है और फिर आपकी परवरिश कभी काफी असर आप पर पड़ता है। आपके आस पास के लोगों से आप जाने अनजाने में क्या सीखते हैं वह भी आपके जेहन में रहता है। अपने दोस्तों से क्या सीखते है वह भी आपके साथ रहता है। इन सब के साथ अंततः आप का कैसा टेम्परामेंट है और आप क्या क्या ग्रहण कर चुके हैं अपने आस पास के अनुभव से यही कुल मिला कर आपका व्यक्तित्व बन जाता है। आप कितनी फ़िल्मी है? मैं बिल्कुल भी फ़िल्मी नहीं हूँ. मुझे ड्रामा बिल्कुल भी पसंद नहीं है। जो हूँ जैसी हूँ स्पष्ट बोलना पसंद करती हूँ। #bollywood #Tabu #Ajay Devgn #interview #de de pyaar de हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article