देशभक्ति का जज्बा जगाने वाली खेल प्रधान फिल्म ‘गोल्ड’ By Mayapuri Desk 16 Aug 2021 | एडिट 16 Aug 2021 22:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर खेल के मैदान पर अपने देश के झंडे को लहराते हुए देखना हर नागरिक के लिए गर्व की बात होती है. पर खेल के मैदान पर जब खिलाड़ी देशभक्ति के जज्बे के साथ खेलते हुए जीत के बाद अपने वतन के झंडे को लहराते हुए अपने देश का राष्ट्गान विदेशी धरती पर करता है, उस वक्त उसका सीना चैड़ा हो ही जाता है. इसी तरह का एक सपना तपनदास ने 1936 में देखा था.तपनदास का सपना था कि भारत के आजाद होते ही ओलंपिक में हॉकी मैच में इंग्लैंड को हराकर 200 साल की गुलामी का बदला लेंगे.और 12 अगस्त 1948 को आजाद भारत में पहला ओलंपिक गोल्ड जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के मैनेजर तपनदास थे.जी हाँ! तपनदास की सूझबूझ के चलते 1948 में भारतीयों ने यह गोल्ड मैडल, ब्रिटेन के खिलाड़ियों को हराकर जीता था. मैदान पर पहली बार तिरंगा लेकर मार्च करने वाले भारतीय खिलाड़ियों ने फाइनल में ब्रिटेन को 4.0 से हराया था और भारतीय राष्ट्गान को लंदन की धरती पर गाया था.इन्ही तपनदास के जीवन व उनके सपने को फिल्मकार रीमा कागती ने फिल्म: ‘गोल्ड’ में पिरोया था. और इस फिल्म में तपनदास का किरदार अक्षय कुमार ने निभाया था. रीमा कागती निर्देषित फिल्म “गोल्ड” में गोल्ड मैडल जीतने की जद्दोजेहाद के बीच गुलामी का दौर, आजादी की जंग और बंटवारे का दर्द का भी चित्रण है. यह कहानी है 200 साल की अंग्रेजों की गुलामी के बाद आजाद हुए भारत की हॉकी टीम द्वारा 1948 में लंदन में संपन्न पहले ओलंपिक में अंग्रेजों की ही धरती पर उन्हें परास्त कर अपने वतन के झंडे को लहराने व राष्ट्गान का सपना देखने वाले एक युवक की. फिल्म की कहानी 1936 से षुरू होती है,जब बर्लिन में आयोजित ओलपिंक खेलों में तत्कालीन ब्रिटिष इंडिया की हॉकी टीम ने जर्मनी को हराकर गोल्ड मैडल जीता था. उस वक्त इस टीम के कैप्टन थे सम्राट( कुणाल कपूर). तथा जूनियर मैनेजर थे तपन दास(अक्षय कुमार). जब ब्रिटिष टीम हार रही होती है, तब तपनदास ने ग्रीन रूम में खिलाड़ियों को अपने बैग में छिपाए भारतीय झंडे को दिखाकर कहा था कि उन सबको इसके सम्मान के लिए खेलना है और अंततः टीम ने गोल्ड जीता था. उसी वक्त तपनदास ने सपना देखा था कि आजादी के बाद होने वाले ओलंपिक में भारत, अंग्रेजों को हौकी में हराएगा.कहानी आगे बढ़ती है. 1947 में भारत देश आजाद होता है और 1948 में लंदन में ओलंपिक होते हैं. जिसके लिए तपनदास काफी जद्दोजेहाद करके भारतीय हौकी टीम तैयार करता है, जिसे सम्राट प्रषिक्षित करते हैं. इस टीम में बलरामपुर के राज कुमार रघुवीर रप्रताप सिंह(अमित साध) और पंजाब के हिम्मत सिंह (सनी कौषल) भी जुड़ते हैं. भारतीय हौकी फेडरेशन के सेक्रेटरी मेहता, तपनदास के खिलाफ अपनी घटिया राजनीतिक चालें चलते रहते हैं. पर तपन को फेडरेषन के अध्यक्ष का साथ मिल जाता है. उधर रघुराज प्रताप सिंह ओर हिम्मत सिंह के बीच भी तनातनी है. मगर तपन दास की सूझबूझ के चलते 1948 के ओलंपिक में इंग्लैंड की ही धरती पर हॉकी में हराकर गोल्ड मैडल जीतकर भारतीय हॉकी टीम अंग्रेजों से 200 साल का हिसाब चुकता करती है. वहाँ भारतीय तिरंगा फहराए जाने के साथ राष्ट्गान भी होता है. #akshay kumar #Gold #film gold हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article