वेब सीरीज और ओटीटी प्लेटफार्म से टीवी सीरियलों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है-आशीष कौल By Mayapuri Desk 18 Aug 2021 | एडिट 18 Aug 2021 22:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर 1995 में फिल्म‘‘परमवीर चक्र’’और सीरियल‘‘मानो या ना मानो’’ से अभिनय की षुरूआत करने वाले अभिनेता आशीष कौल अब तक सत्तर सीरियल,एक वेब सीरीज और पांच फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा दिखा चुके हैं। “ब्रम्हराक्षस 2”, “क्यूं उथे दिल छोड़ आया” और “लक्ष्मी घर आयी” के बाद इन दिनों वह जल्द प्रसारित होने वाले सीरियल ‘‘जिद्दी दिल माने ना’’ को लेकर उत्साहित हैं।रोमांटिक सीरियल “जिद्दी दिल माने ना” युवा पीढ़ी को हार न मानने की प्रेरणा देती है। प्रस्तुत है आशीष कौल से हुई बातचीत के अंश सीरियल “जिद्दी दिल माने ना” के संदर्भ में क्या कहना चाहेंगें? मैंने कुछ वर्ष पहले सीरियल ‘‘अर्जुन‘’ में शालिनी मल्होत्रा के साथ काम किया था। अब दोबारा मुझे उनके साथ सीरियल “जिद्दी दिल माने ना” में अभिनय करने का अवसर मिला है। इसकी पृष्ठभूमि सेना की तरह है। इस सीरियन ने मुझे मेरे स्कूल, द लॉरेंस स्कूल - सनावर की याद दिला दी।यह एक बहुत ही बेहतरीन कहानी पर बन रहा है। मुझे लगता है कि यह अलग होगा। कहानियां सेट-अप के अनुसार बदलती रहती हैं। मुझे प्रशिक्षण,कठिनाइयों और कभी हार न मानने वाली स्थितियों पर बात करने वाले सीरियल ज्यादा पसंद है। आपका एक सीरियल “लक्ष्मी घर आयी” भी प्रसारित हो रहा है? जी हॉ! ‘शाकुंतलम प्रोडक्षन का सीरियल ‘लक्ष्मी घर आई‘प्रसारित हो रहा है।इसमें लोग मुझे लड़की सिमरन परींजा के पिता की भूमिका में देख रहे हैं। मैं इस सीरियल को अलविदा नही कह रहा हूं। मैं इसमें अभिनय करना जारी रखूंगा।एक बार लड़की की शादी हो जाने के बाद स्क्रीन मेरे किरदार की मौजूदगी कम हो जाएगी।उसके बाद यदा कदा लड़के के घर मेरे आने जाने का सिलसिला जारी रहेगा। कोरोना महामारी ने लोगों के कैरियर पर काफी असर डाला? जी हॉ! कोरोना महामारी की पहली लहर बहुत खराब थी।उस वक्त पूरे चार माह से अधिक समय तक पूर्णरूपेण लॉकडाउन रहा था।धन के भुगतान की पूरी संरचना गड़बड़ा गई।शूटिंग का तरीका प्रभावित हुआ। महामारी की दूसरी लहर भी वास्तव में खराब थी,क्योंकि बहुत सारे लोगों की जान चली गई, इसलिए सेट पर एक तरह का उदास माहौल रहता है। हर कोई मास्क नहीं पहनता है, इसलिए दहशत है। आप लोगों पर चिल्लाते नहीं रह सकते। तथ्य यह है कि हमें काम करते रहना है अन्यथा हम नहीं बचेगें। कोरोना महामारी की वजह से कार्यशैली में भी बदलाव हुआ होगा? जी हॉ!अब स्थिति काफी सुधर गयी है।लेकिन चीजें बदल गई हैं। हमारे काम करने का तरीका बदल गया है। अब निर्माता या निर्देषक के कार्यालय नही जाना पड़ता।लगभग हर ऑडीषन हम घर में बैठकर ही दे रहे हैं।हम उन लोगों से नहीं मिल पा रहे हैं,जिनके साथ हम काम कर रहे हैं।हम उनसे सिर्फ फोन पर बात कर रहे हैं या हम उनसे सेट पर मिल रहे हैं।शूटिंग का समय बदल गया है।हर दिन हमें सुबह 5 या 5.30 बजे उठना पड़ता है। यह बहुत थका देने वाला हो जाता है क्योंकि दिन जल्दी शुरू होता है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि अब पारिश्रमिक राषि समय पर नही मिल रही है।इससे उन कलाकारों के सामने संकट बन गया है,जिन्हे हर माह नियम से अपने घर का किराया देना है।चीजें काफी कठिन हो गयी हैं।पर इस माहौल में सकारात्मक रवैए का होना जरुरी है।लोगों को काम करते रहना चाहिए और नकारात्मकता से परेशान नहीं होना चाहिए। आप तकरीबन 25 वर्षों से बॉलीवुड में कार्यरत हैं।किस तरह के बदलाव देखते हैं? इन वर्षों में फिल्म उद्योग में काफी कुछ बदला है।पहला बदलाव काम के समय को लेकर है।पहले हम सिर्फ आठ घंटे काम किया करते थे,पर अब 12 घंटे करना पड़ता है। भोजन और मेकअप रूम के संबंध में सेट पर बहुत अधिक लागत होती है। मुझे नहीं पता कि वह कहां लगा रहे हैं पैसा, लेकिन निश्चित रूप से वह इसे धारावाहिक पर नहीं डाल रहे हैं,जैसा उन्हें करना चाहिए। पहले पारिश्रमिक राषि 45 दिन में मिल जाती थी,अब नब्बे दिन का नियम ही बना दिया है।कभी-कभी, यह 100 से 120 दिन तक भी होता है।कई बार छह माह बाद पैसा मिलता है। आपको किन लोगों के बुरा महसूस होता है? नवागंतुकों के लिए यह वक्त वास्तव में काफी कठिन है।क्योंकि उन्हें जीवित रहने की आवश्यकता है। शूटिंग स्टूडियो काफी दूर दूर हो गए हैं।यदि कलाकार या कोई तकनीशिय मुंबई के अंधेरी इलाके में रहता है और उसे शूटिंग के लिए नायगांव जाना है,तो उसे अपनी जे बसे लगभग 800 रुपये चुकाने पड़ते है।इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है,क्योंकि कोरोना के चलते ट्रन में यात्रा करने की मनायी है।पिक एंड ड्रॉप के प्रोडक्शन लोगों से कोई मदद नहीं है। वह उन्हें मुख्य सड़क तक लिफ्ट भी नहीं दे रहे हैं। उन्हें बस अपने दम पर जाने के लिए छोड़ दिया गया है। नए लोगों के लिए यह वास्तव में कठिन है।वह लड़ाकू हैं और वह अच्छी तरह से लड़ रहे हैं।मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं। कहा जा रहा है कि अब हर किसी के पास काफी काम है? अब फिल्में,लघु फिल्में,वेब सीरीज और सीरियल काफी बन रहे है। तकनीक में काफी सुधार हुआ है। लेंस बेहतर हैं और स्टूडियो बड़े बड़े हैं।काम के घंटे अधिक हैं। इसलिए अधिक काम आता है,लेकिन कभी-कभी आप पुराने निर्देशकों के खालीपन को महसूस करते हैं,क्योंकि अब अधिकांश पुराने निर्देशकों के पास काम नही है।,जिसकी कई वजहें हैं।अब दृश्य को समझाने और कलाकार को अभिनय और मूल बातें सिखाने का समय नहीं है,क्योंकि उन्हें एक नियत समय में षूटिंग पूरी करने के लिए दृश्यों की संख्या का निर्धारित लक्ष्य है। इसलिए निर्देशकीय टीम पर प्रोडक्शन के लोगों द्वारा दृश्यों को पूरा करने का बहुत दबाव है। यह अधिकांश धारावाहिकों में संपूर्ण प्रदर्शन स्तर से समझौता करता है। अब ढेर सारी प्रायोगिक वेब सीरीज भी बन रही हैं।कई अनूठें वि षयों पर काम हो रहा है।लंबे समय तक केवल ‘सास बहू‘मार्का सीरियल ही बनते रहे।अब ऐसा नही है।अलग सामग्री आ रही है।अब महिला और बच्चों पर केंद्रित कहानियां गढ़ी जा रही हैं।मैंने अभी ‘बैरिस्टर बाबू‘ और ‘ क्यूं उठे दिल छोड़ आए‘में अभिनय किया है।यह दोनों बहुत ही शानदार सीरियल र्हैं।इसके लेखक व निर्देषक बहुत मेहनत कर रहे हैं। इतना ही नही मेरे अन्य सीरियल ‘‘लक्ष्मी घर आई‘ की एक बहुत अलग कहानी है,जहां लड़की और पिता दहेज के लिए नहीं कहते हैं।वह अमीर लोग हैं और आसानी से दहेज दे सकते हैं,लेकिन वह इसके खिलाफ हैं। अब टीवी सीरियलों के सामने वेब सीरीज व ओटीटी प्लेटफार्म चुनौती बनकर खड़े हो गए हैं? जी हॉ! अब वेब सीरीज और ओटीटी प्लेटफार्म से टीवी सीरियलों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। यदि सामग्री अच्छी और अच्छे स्तर की है,तो लोग ऑन लाइन देखना पसंद करते हैं। मैं निर्माताओं को अपने धारावाहिकों में अधिक पैसा लगाने और अधिक गुणवत्ता वाला सीरियल बनाने का सुझाव देता रहता हॅूं। वेब का स्वाद दर्शकों को ध्यान में रखना होगा और इसी तरह सामग्री प्रभाव डालेगी। #about Ashish Kaul #actor Ashish Kaul #Ashish Kaul #Ashish Kaul interview #web series and OTT platform हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article