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Utkarsh Sharma: लगता है 22 साल पहले के समय अंतराल को फांद कर मैं बाहर आया हूं

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By Sharad Rai
Utkarsh Sharma: लगता है 22 साल पहले के समय अंतराल को फांद कर मैं बाहर आया हूं
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'गदर 2' अब दर्शकों की अदालत में है. फिल्म दर्शकों को 22 साल पहले बनी 'गदर' के परिवेश में पहुचा देती है. वही फिल्म के हीरो हैं तारा सिंह (सनी देओल), वही फिल्म की हीरोइन हैं सकीना (अमिषा पटेल) और वही फिल्म के निर्देशक हैं  अनिल शर्मा ! कुछ बदला है तो एक - फिल्म का बाल कलाकार जीते (उत्कर्ष शर्मा) जो जवान हो चुका है और जीते से चरनजीत बन चुका है. असली जिंदगी का वास्तविक करेक्टर वही बच्चा... अब युवा उम्र की चौखट पर खड़ा सिनेमा के पर्दे पर दर्शकों के सामने है. उत्कर्ष से बात होती है 'गदर' से 'गदर2' की यात्रा पर . वह सधे सधाए अंदाज में बात करते हैं:

"लगता है मैं 22 साल पहले के अन्तराल को फांद कर यहां पहुचा हूं." वह 'गदर' से 'गदर 2' की यात्रा को लेकर कहते हैं. "सारी बातें मेरे जहन में  ताजी हैं. शूटिंग के दौरान सब दिमाग मे बैठा कर काम करते थे. 'गदर' में मैं सनी सर और अमिषा मैडम की गोंद में बैठा करता था. तब मैं 5 साल का था. 'गदर 2' में वही बच्चा बड़ा हो गया है. तब मैं इनदोनों की गोंद में  बैठता था. अब  हाथ पांव निकल आए हैं तो...!" हंसते हैं उत्कर्ष. "उनके लिए मैं आज भी बेटा हूं पर्दे पर और पर्दे के बाहर भी."

"अब जब बड़े हो गए हो, इनके व्यवहार में कुछ बदलाव पाया?"

"विल्कुल नहीं. कैमरे के सामने हम सिर्फ एक्टर टू एक्टर काम किए हैं. सनी (देओल) सर से मैंने बहुत सीखा है. वह मेरे आइडियल हीरो हैं. वह एक्शन में जितने परफेक्ट हैं वैसे ही प्यार के दृश्यों में भी उतने ही सहज हैं."

फिल्म के निर्देशक अनिल शर्मा , उत्कर्ष के पिता हैं. काम करते समय बाप बेटे की ऑन कैमरा कैसी कमेस्ट्री होती थी ?" पूछने पर उत्कर्ष कहते हैं- " वह एक निर्देशक के रूप में ब्रिलिएंट हैं. मैं उनके साथ कुछ फिल्मों में सहायक के तौर पर भी  काम कर चुका हूं. इसलिए उनको अच्छी तरह समझ पाता हूँ कि वह  करवाना क्या चाहते हैं. हम इशारों में एक दूसरे की बात समझ लेते हैं."

उत्कर्ष अपनी फिल्म 20018 में बनी 'जीनियस' पर चर्चा की चर्चा को छोड़ देते हैं.  "अभी तो हम सबके दिमाग मे 'गदर 2' चल रही है. जैसा सनी सर कहते हैं यह फिल्म भी वैसा ही गदर मचाएगी. मैं भी वही कहूंगा. आगाज अच्छा है.

" सैट पर सनीदेओल के साथ काम करते कैसा महसूस करते थे ?"

" बहुत सहज. हमारा रिश्ता एक पारिवारिक बांड जैसा है. कैमरे के सामने हम एक्टर होते हैं  वहां कैमरा सब कुछ कैद करता है, वहां सिर्फ वही रिश्ता चलता है जो स्क्रिप्ट कहती है. कलाकार स्क्रिप्ट के रिश्ते और एक्सप्रेशन के साथ कैमरे के सामने आता है. बाहर हम अपने आत्मीय रिश्ते निभाते हैं. ऑन लोकेशन शूट के बाद अमिषा मैडम, सिमरत कौर, मनीष वाधवा हम सब एन्जॉय करते थे."

"फिल्म में छोटे जीते को कितना अपनाया है बड़े हो गए जीते ने?"

"वो सब बातें ध्यान में थीं जो छोटे जीते का स्वभाव था. जैसे उसका गुस्सा होना, मां के लिए प्यार आदि. हमारे रोल को उस तरह से ही लिखा गया है. स्क्रिप्ट की जो मांग थी और बड़े हो गए जीते के रोल को कहानी की मांग के हिसाब से डेवेलोप किया गया है. "गदर 2" देखकर सिनेमा से  निकलने वाला दर्शक संतुष्ट होकर जाए यह मेरी कोशिश रही है और  जीते ने निराश नही किया है, किसी कलाकार ने निराश नही किया है यह हम सबकी कोशिश रही है. सभी कलाकार- तकनीशियन मन लगाकर इसपर काम किए हैं."

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