वरूण की नई फिल्म ‘जुड़वा 2’ आ रही है। इस मौके पर हरविन्द्र मांकड़ ने उनसे मायापुरी के पाठकों कि तरफ से सवाल किए। जिसके जवाब उन्होंने अपने शानदार सेन्स ऑफ हयूमर से दिए।
अगर आपका भी कोई जुड़वा होता तो आपको कैसा लगता?
‘‘मुझे बहुत अच्छा लगता। जुड़वा भाई का होना अपने आप में एक वरदान है। वो आपकी मदद करता है। वो इमोशनली आप से जुड़ा होता है और एक जैसे दो चेहरे आमने सामने हो तो आईना देखने की जरूरत नहीं पड़ती।’’
‘जुड़वा 2’ में आपने दोनों रोल में से आपको कौन से रोल ज्यादा पसंद आया?
‘‘मुझे दोनों रोल पसंद है। प्रेम सॉफ्ट है और राजा प्रेक्टिकल। दरअसल ऐसे ही चलता है। आप सॉफ्ट रहो पर साथ ही पै्रक्टिकल भी बनो वर्ना दुनिया आपको जीने नहीं देगी। एक एक्टर के लिए दोनों रोल करना मेरे लिए सौभाग्य की बात हैं और दोनों केरेक्टर मेरे दिल के करीब है।’’
आपको लगता है कि डबल रोल करने पर आपको अपने पापा से डबल फीस का चांस हो गया था?
‘‘हा हा हा.... अरे नहीं रे बाबा.... मुझे तो इतनी खुशी है कि मेरे पापा यानि डेविड धवन ने मुझे डॉयरेक्ट किया। वो लाइव लेजैंड है और मेरे लिए यह एक मौका था कि उनके निर्देशन में अपने आपको साबित करने का। वैसे बचपन में मैं उनसे डबल जेब खर्ची लेता था और वो देते भी थे। क्योंकि वो जानते थे बड़ा होकर जब मैं हीरो बनूंगा तो जेब खर्ची वापिस आ ही जाएगी। यह एक मजाक था। पर वह एक सुपर पापा और सुपर डॉयरेक्टर है।
जुड़वा होने का एक फायदा यह भी होता हैं कि शरारत कोई करे और सजा या गुस्सा दूसरे पर किया जाये?
‘‘हा हा... फायदा यह भी है। पर जुड़वा होने पर दोनों शरारत कर के बच सकते हैं। जुड़वा होना फन फेक्टर हैं। आप जज नहीं कर सकते कि असल में प्रेम कौन है और राजा कौन है। यानि मस्ती और पागलपन करने का खूब मौका मिलता है। आप ‘जुड़वा 2’ देखियेगा तो आपको समझ आ जायेगा। कि कैसे दो हमशक्ल होने से क्या कॉमेडी पैदा होती है।
मायापुरी परिवार और उनके सारे पाठकों की और से ‘जुड़वा 2’ के लिए वरूण धवन को शुभकामनाएं देते हैं और उम्मीद करते है कि एक बार फिर वो अपनी अदाकरी से सबका दिल जीत लेंगे।