अभिनेता विक्की कौशल की पहली फिल्म ‘मसान’ जिसमें उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई थी, यह कहना ज्यादा नहीं होगा की उनकी लगभग सभी फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर अपना धुआँधार जलवा दिखाने में हमेशा से कामयाब रही है। फिल्म ‘राज़ी’ जिसमें इन्फेंट्री में कार्यरत फौजी के अवतार में नजर आये विक्की या फिर फिल्म ‘संजू’ में संजय दत्त के गुजराती दोस्त के रूप में, इन सब फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर न केवल जनता को मंत्रमुग्ध किया अपितु बॉक्स ऑफिस कलेक्शन भी अच्छा मिला निर्माता को। अब जल्द ही उनकी अगली फिल्म ‘उरी’ आने वाली है जो सर्जिकल स्ट्राइक को पर्दे पर दिखाएगी उनके फैंस फिल्म का बेसब्री सें इंतज़ार कर रहे हैं। हालांकि फिल्म ‘उरी’ का जब से लॉन्च हुआ है पाकिस्तानी सरकार ने इस फिल्म को बैन करने की घोषणा कर दी है। पर इन सब से निर्देशक आदित्य धार को कोई फर्क नहीं पड़ता है। उल्टा उन्हें इस बात की ख़ुशी है कि-फिल्म रिलीज़ होने से पहले चर्चा में आ गयी है।
पेश है विक्की कौशल से लिपिका वर्मा की बातचीत के कुछ अंश
आपके लिए 2018 कैसा रहा ?
- जी हाँ, 2018 से पहले से ही में काम कर रहा था। 2018 में एक उत्सुकता बनी हुई थी कि लोगों को मेरा काम कैसा लगेगा। जब आप अंततः यह जान जाते हैं कि चलो लोगों को भी आपका काम अच्छा लगा है तो जाहिर सी बात है आप को भी बहुत प्रोत्साहन मिलता है। और अच्छा भी लगता है। आपको एक नैतिक सपोर्ट भी मिलता है। दरअसल में मैंने ‘राज़ी’ के समय यह फिल्म साइन की थी। फिल्म ‘उरी’ के लिए लगभग 2-3 महीने तक तैयारी की है। यह एक फ़ौज और फौजियों (आर्मी) पर आधारित फिल्म है। इसमें में एक फौजी ऑफिसर स्पेशल स्क्वाड- पेरा कमांडो ऑफिसर की भूमिका में नजर आने वाला हूँ। इस में जो भी ऑपरेशन हमें करना होता है, अंदर घुस कर चुपचाप करना होता है। हमें बातचीत करने की छूट नहीं मिलती है। इस में हमें रियल एक्शन करना पड़ा और इसके लिए ट्रेनिंग भी करनी पड़ी। हमें ख़ुशी है कि इसी बहाने हमें फौजियों की लाइफ को जानने का मौका भी मिला। मुझे लगता है देश में ऐसा कोई बच्चा नहीं होगा, जिसे फ़ौज में काम करने की इच्छा न पैदा हुई हो। बहुत अच्छा लगा की में इस वर्ष फौजियों तक पहुँच पाया। पहले भी ऐसा किरदार किया है और अच्छा लगा लोगों ने मेरे काम को सराहा।
दूसरी बारी फौजी किरदार में नजर आएंगे, कितना अलग होगा यह किरदार?
- जी हाँ, दूसरी बार बतौर फौजी किरदार में नजर आने वाला हूँ। हंस कर बोले विक्की -देश बदल गया है। पहले पाकिस्तानी आर्मी का किरदार किया है। और अब भारतीय कमांडो ऑफिसर के किरदार में नजर आने वाला हूँ। पहली वाली फिल्म ‘राज़ी’ एक ड्रामा और भावुक फिल्म की कहानी थी। जबकि फिल्म ‘उरी’ एक मिशन बेस्ड फिल्म है कैसे सर्जिकल स्ट्राइक हुआ। कैसे इंटेलिजेंस से यह ऑप्रेशन हुआ। इसकी ट्रैनिंग भी बहुत अलग की गयी। और किरदार भी स्पेशल फॉर्स का है। जो भी काम एक नार्मल फ़ौज की तादाद नहीं करती है। केवल एक 20 फौजियों की टोली को कैसे कमरे के अंदर तक जाकर चुप चाप बिना आवाज़ किये गोली चलानी है यह सब दिखाया गया है। फिल्म में इमोशनल(भावुक ) पल भी दिखाई देंगे पर कुछ अलग ढंग से। फिल्म ‘राज़ी’ में मैं इन्फेंट्री रेजीमेंट से बिलॉन्ग करता हूँ और इस में पैरामिलिट्री कमांडो फॉर्स को। तो दोनों फिल्मों में मेरा किरदार अलग ही दिखाई देगा।
फिल्म ’उरी’ आप बतौर सोलो लीड कर रहे हैं क्या कहना चाहेंगे?
- मैं सोलो लीड कर रहा हूँ फिल्म ‘उरी’ में, कुछ नहीं कहना चाहूंगा। उल्टा मैं उत्सुक हूँ यह देखने की मेरे कंधे कितने मजबूत है। अगर यह फिल्म चल जाती है, जो हम, चाहेंगे की फिल्म जरूर चले। इससे निर्देशक और निर्माता को मेरे कंधे की क़ाबलियत कितनी मजबूत है इसका उन्हें पता चलेगा। और बहुत फ़ायदा होगा ही, साथ साथ बतौर अभिनेता मुझे भी फ़ायदा ही होगा। मुझे इंडियन आर्मी को ट्रिब्यूट(श्रद्धांजलि) देने मिला यह मेरे लिए बहुत अच्छी बात है।
आप व्यक्तिगत तौर से फौजियों को क्या देना चाहेंगे?
- कोर लेवल पर उनको यही चाहिए होता है कि उन्हें देशवासियों से प्यार मिले। वह हमारे देश के लिए इतना कुछ कर रहे हैं यहाँ तक की अपनी जान भी देने को तत्पर रहते हैं तो वह हमसे सिर्फ इतना ही चाहते हैं कि उनके देश प्रेम को हम स्वीकारें, उनकी इज्जत करें। वही जैसे घर पर हमारी माँ कभी कभी जोर जोर से बोलने लगती है, यह क्या है मैं कितना काम करती हूँ!! दरअसल में वह हम से कोई मदद नहीं लेना चाहती है। सिर्फ उसके काम की कदर चाहती है। बस यही चाहती है कि उसके काम को हम नोटिस कर लें। उसी प्रकर से फौजी भी सिर्फ थोड़ा-सा प्यार और इज्जत की आकांक्षा रखते हैं, हम देशवासियों से। हमें हमेशा बस फौजियों का जज़्बा बढ़ाना चाहिए, इससे उन्हें भी ख़ुशी मिलती है।
और क्या कुछ करने जा रही है फिल्म ‘उरी’ की टीम फौजियों के लिए?
- अभी बातचीत चल रही है कि- हम सब दिल्ली जाकर उनके बीच बातचीत करें। मैं वहां जाकर फौजियों से वार्तालाप करने के लिए अत्यंत उत्सुक हूँ। और जो कुछ भी बूट्स (जूते) और फौजी कपड़े हमने फिल्म में पहने है उनको हम संदूक में नहीं रखना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि -जूते और कपड़े सही मायने में रियल फौजियों में बांटे जाये। और ऐसा होगा बहुत जल्द।
सुनील शेट्टी ने फिल्म बॉर्डर में काम किया था, आप से अपना कौन-सा अनुभव शेयर किया उन्होंने?
- सुनील शेट्टी जी ने मुझ से एक बहुत ही अच्छी बात शेयर की, ’उन्होंने बताया, “जब कभी भी मैं एयरपोर्ट पर होता हूँ तो यह फौजी लोग मुझ से कहते है , ’आप तो हम में से एक हो। आप को क्या चेक करना।“ यह उनका जज़्बा ही तो है। मैं एक रियल फौजी नहीं हूँ। किन्तु फिल्म ’बॉर्डर’ में फौजी का किरदार किया तो वह मुझे भी अपने में से एक मानने लगे। यह प्यार है उनका।“
आप डेब्यू (प्रथम प्रवेश) निर्देशक आदित्य धार के साथ काम कर रहे है। उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा ?
- आपको बता दूँ वह एक फिल्म फवाद और कैटरीना को लेकर डायरेक्ट करने वाले थे। किन्तु यह फिल्म पूरी नहीं हो पाई..कुछ शुरूआती दौर में इस फिल्म की शूटिंग हो चुकी थी। सो पाकिस्तानी अभिनेता फवाद को जब पाकिस्तान से वापस मुंबई (भारत ) आने की अनुमति नहीं दी गयी तो आदित्य कुछ निराश हो गए.जाहिर सी बात है, जब आपकी पहली फिल्म बंद हो जाये किन्ही कारणवश तो आप निराश हो जाते है। और ख़ासकर जब आपकी मुख्य कास्ट-कैटरीना कैफ और फवाद जैसे कलाकर को लेकर फिल्म बना रहे हो तो जाहिर सी बात है फिल्म बंद होने पर दुःख तो जरूर होगा। सो आदित्य जो की एक नौजवान निर्देशक है, कुछ दिनों के लिए दिल्ली अपने घर छुटियों पर चले गए। वहां सर्जिकल स्ट्राइक की न्यूज़ जब उन्हें मालूम हुई, तब उनके मन में इस विषय पर फिल्म बनाने की बात आयी। बस फिर क्या था उन्होंने अच्छी खासी स्क्रिप्ट लिख डाली। दरअसल में उनको एक्शन फिल्म बनाने का बहुत चाव है। कभी कभी मैं उन्हें छेड़ता भी हूँ -रोमांटिक फिल्म में तू एक्शन भी जमकर डालेगा।