'कोई भी महिलाओं का फ़ायदा कैसे उठा सकता है ?'

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By Lipika Varma
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'कोई भी महिलाओं का फ़ायदा कैसे उठा सकता है ?'

एक ऐसी ऐक्ट्रेस जो संजीदा, सेक्सी और ह्यूमरस रोल्स को बराबर प्रभाव से निभाकर, अपनी हर फिल्म से दर्शकों पर अभिनय की छाप छोड़ जाती है। चाहे फिल्म फ्लॉप हो, ऐवरेज रहे या फिर सूपर-डूपर हिट, शायद ही कोई दर्शक हो जो विद्या की ऐक्टिंग की तारीफ करता हुआ थियेटर से ना निकले। बॉक्स ऑफिस पर कमाई जरूर फिल्मों की सक्सेस का पैमाना बन चुका है, लेकिन विद्या उन चुनिंदा ऐक्ट्रेस में से हैं, जिन्हे आप उनके किरदारों के नाम से जानते हैं। 'डर्टी पिक्चर' की सिल्क स्मिता, 'बेगम जान' या फिर आने वाली फिल्म 'तुम्हारी सुलु' हर फिल्म की रिलीज से पहले ही, ट्रेलर या प्रोमो से ही विद्या के किरदार का नाम, लोगों के जहन में अपनी जगह बना चुका होता है।

'तुम्हारी सुलु' आपकी पिछली फिल्म  'मुन्ना भाई' की विद्या से कितनी अलग है ?

दरअसल उन दिनों मैंने सभी रेडियो स्टेशंस पर जाकर काफी कुछ सीख लिया था। 'तुम्हारी सुलु' हमारी पिछली फिल्म 'मुन्ना भाई' से बहुत ही अलग है. उस फिल्म में मैं सुबह लोगों को जगाती  थी। पर इसमें मैं एक गृहणी हूं और लोगों को रात में लोरी सुना कर सुलाती हूं। 11 साल पहले निर्देशक राजू के साथ काम कर के मैंने, एक तरह से इस विषय पर बहुत रिसर्च कर ली थी, सो मेरा काम इस बार बहुत आसान हो गया।

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ठीक अपने किरदार की तरह विद्या भी बहुत एनर्जेटिक रहती हैं। क्या कहना चाहेंगी आप?

जी बिलकुल। मैंने ढेर सारे सीरियस रोल्स निभाए है अभी तक, यह किरदार बहुत ही फनी भी है और हर वक़्त मुझे हंसते रहना पसंद भी है। सो उन भारी भरकम किरदारों से परे, इसको हल्के में निभाना बहुत ही मजा आया। पर आपको बता दूं कि इस किरदार के लिए भी मुझे काफी मेहनत करनी पड़ी। हालांकि यह अलग बात है कि सब कुछ आराम से हंसते-हंसाते आसानी से हो गया। यह किरदार एक फ्री स्पिरिटेड महिला का है और मैं कुछ ऐसी ही हूं, सो मजा आया किरदार निभाते हुए। आपको बताऊं कि और तो और ये किरदार खुद की भी हंसी उड़ा लेती है।  निडर किरदार है, बस कर लिया मजे-मजे में।

आप हर जॉनर की फिल्म में, हर किरदार को बेहतरीन ढंग से निभा लेती हैं। क्या कोई जॉनर ऐसा भी है जो विद्या को पसंद नहीं ?

मुझे हॉरर फ़िल्में देखना और करना दोनों ही पसंद नहीं है। इन फिल्मों में बेढंगी शारीरिक पेशकश होती है, वह मुझे देख कर बहुत बुरा लगता है। कल एक फिल्म मैं और मेरे पति सिद्धार्थ देख रहे थे- जिसमें उस किरदार का मर्डर इतनी बेढंगी और प्रतिकारक रूप से दिखाया गया कि मेरी अचानक चीख निकल गयी।

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ऐसी कौन सी फिल्म है,  जिसे करने के बाद फिल्मों को लेकर आपका नजरिया बदला हो ?

फिल्म, 'डर्टी पिक्चर' करने के बाद मुझ में थोड़ी सी ताक़त आयी है कुछ नेगेटिव बर्दाश्त करने की। मैंने इस फिल्म में भी निर्देशक मिलन लुथरिया से यही बोला था की - सुसाइड क्यों करना है इस चरित्र को फिल्म, 'डर्टी पिक्चर' में.पर वही एक ऑप्शन था इस करैक्टर के लिए। मुझे वैसे भी सुसाइड से कुछ एलर्जी है। अब में यह फिल्म करने के बाद थोड़ा बहुत बुराई किरदारों में देख सकती हूँ। पहले मुझे बहुत बुरा लगता था। खेर जैसे जैसे ज़िन्दगी आगे बढ़ती है हम सब कुछ न कुछ सीख ही लेते है।

आपके पति किस तरह की फ़िल्में देखना पसंद करते है? अब टीवी देखने के लिए आप लोगों की लड़ाई तो नहीं होती ?

हंस कर बोली - अरे ताज्जुब होता है मेरे पति सिद्धार्थ को आप चाहे सुबह 5 बजे भी कोई भी फिल्म देखने के लिए जगा दे,वह खुशी खुशी उठ कर वह फिल्म देख लेंगे। और जब कभी वह मुझे कोई ऐसी फिल्म देखने को कहते है जो मेरी पसंद की न हो तो मै उनसे यही  कहती हूँ आप मुझे बीच में उठ कर बाहर  नहीं आने देंगे। सीधी  सी बात है जब कभी में शूटिंग और प्रोमोशंस में व्यस्त होती हूँ तब उन्हें कोई भी फिल्म देखने को मिल जाती है। सो हमारा फंदा सीधा सा है -जब मैं घर पर नहीं हूँ वो सबकुछ देख सकते है।

और किन-किन बातों से आपकी अनबन रहती है पति से?

ऐसी कोई अनबन नहीं रहती है। हम दोनों एक दूसरे की इच्छा का ख्रयाल खते है। हां! मैं घर की सब लाइट के स्विच को हमेशा बंद रखने को कहती हूँ। और उनका यह मानना है - कि टेलीविशन सेट का स्विच कभी बंद नही करना होता है -तो मैं हंस देती हूँ  और यही  कहती हूँ  उन्हें कि आप अपना ही फंडा  बना लेते है -कुछ भी। और स्विच ऑफ कर देती हूँ।

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बॉलीवुड और हॉलीवुड में कॉम्प्रोमाईज़ का मुद्दा आजकल बहुत गरमाया हुआ है, उस पर आपके क्या विचार हैं ?

बहुत हो गया है, अब हम सब को आवाज़ उठानी ही चाहिए. कोई भी हम महिलाओं का फ़ायदा कैसे उठा सकता है ? यह अलग बात  है कि अगर कोई भी महिला व पुरुष अपनी मर्जी से एक दूसरे  का साथ देना चाहें तो वो उनका मामला हुआ। पर यह अधिकार हम किसी  भी मर्द को नहीं देना चाहते है कि वो अपनी मर्जी से हमारा शारीरक शोषण करे।  मैंने खुद ऐसा जब कभी भी एहसास किया है, मैं वाहन से भाग  खड़ी हुई हूँ। लेकिन हम क्यों भागे। पुरुषो को यह अधिकार नहीं है कि - वह हम से बत्तमीजी कर सके? क्या कोई महिला कभी किसी पुरुष का शोषण करती है?  यदि कोई पुरुष अभी कमरे मं आये  तो में उससे नॉर्मली ही बातचीत  करुँगी न? पर अमूमन जब कोई महिला किसी  पुरुष से अकेले में मिले तो वह उस पर क्यों बुरी नजर डालते है ? यह हॉलीवुड में इतनी स्ट्रांग हीरोइन्स  के साथ हो रहा है सही में बहुत बुरी बात है। पर हाँ यह हर प्रोफेशन में होता है केवल फ़िल्मी दुनिया में नहीं होता है। यह भी है कई बारी मैंने खुद देखा है - यदि कोई भी पुरष किसी लेडी को उसके पैर की तारीफ करता है और पैरो पर हाथ  भी फेरता है, तो वो चुप रह जाती है। ऐसा नहीं होना चाहिए. हमें अपनी आवाज़ उठानी है और कहना है -वी आर नॉट ओके विद इट!'

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