/mayapuri/media/post_banners/140791191b0310c7f9f1376bc89b8a11293ff249dd099258e9b3fc33a43b95c6.jpg)
लिपिका वर्मा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक में विवेक ओबेरॉय नजर आने वाले हैं। फिल्म जाने माने निर्देशक ओमंग कुमार है जो किसी तारीफ के मोहताज नहीं है। निर्माता संदीप सिंह ने सही मायनो ने बहुत हिम्मत से फिल्म की रिलीज़ को लेकर हर एक चुनौतियों का डट कर सामना किया और अब 24 मई, 2019 को फिल्म रिलीज़ हो गई है।
पेश है विवेक ओबेरॉय के साथ लिपिका वर्मा की बातचीत के कुछ अंश :
आपको पी एम मोदी की बायोपिक करने का मौका कैसे मिला ?
- दरअसल में (डेब्यू) निर्माता संदीप सिंह मेरे बहुत ही पुराने मित्र है। वह काफी समय से मेरे पास कोई न कोई स्क्रिप्ट लेकर आ रहे थे.. पर मैं हर बार उन्हें मना कर दिया करता। जब वह आदरणीय पी एम मोदी की बायोपिक करने का ऑफर लेकर भुज आये जहाँ मैं अपनी फिल्म की शूटिंग कर रहा था। मैंने एक ही शब्द में कहा-,“ यस। ’मेरी हाँ सुनकर वह भौंचक्के रह गए। बस फिर क्या था अगले दिन हमने अपनी टीम के साथ बातचीत की और रिसर्च शुरू कर दी।
प्राइम मिनिस्टर मोदी बनने में कितना परिश्रम लगा ?
- देखिये।, परिवर्तन लाना आसान नहीं था। जैसे ही मैंने ट्रांस्फरोमेशन (परिवर्तन) लेने की ठानी तो मुझे वैसे भी पंगे और चैलेंज लेने की आदत है, सो जब टीम चाह रही थी कि - हम विदेश से मेकअप कर्ता बुलाये तो मैंने साफ़ साफ़ मना कर दिया। हमने मेक इन इंडिया की मुहीम के तहत अपने देश के मेकअप मैन से ही अपना लुक लेना सही समझा। लगभग 8 घंटे लगते थे मुझे मेकअप और सही परिवर्तन लाने में।
कुछ रुक कर विवेक ने कहा ,’ लुक तो परिवर्तन के तहत तय कर लिया गया। लेकिन सबसे कठिन था आदरणीय पी एम मोदी की आँखों की शक्ति एवं आकर्षण को लाना। तब मैंने उनके ही पद चिन्हों पर चलने की ठानी। और अब यह मेरी आदत सी बन गयी है। अब में सात्विक भोजन करता हूँ फल फ्रूट्स का सेवन करता हूँ। और प्रातः काल 4 बजे उठ जाता हूँ। सुबह उठ कर प्राणायाम एवं योग हर दिन करता हूँ. यही वजह है मोदी जी की आँखों में जो आकर्षण और बल दिखाई देता है वह फिल्म के पर्दे पर भी दिखाई देगा।
पोस्टर रिलीज़ के बाद आप को बेताहाशा ट्रोल किया गया था ?
- जी हाँ! ट्रोल तो बहुत हुआ लेकिन जिस दिन मैंने रितिक रोशन से, हाल ही में भेंट की तो उन्होंने खुश हो कर मुझ से यही पूछा, ’यार लुक तो चलो ठीक है लेकिन तू अपनी आँखों में इतना बल कैसे ला पाया। बहुत बढ़िया लगा। ’बस इतना सुनना था -मैं अपनी कुर्सी से उठा और रितिक को एक झप्पी दे डाली। ताजुब हुआ और अच्छा भी लगा कि- रितिक ने मेरी मेहनत पहचानी। मुझे चैलेंजेस लेने की आदत है। कार्ल का किरदार के लिए भी मैंने बहुत मेहनत की थी और रितिक इस बात से वाकिफ है।
आपकी फिल्म ‘पी एम नरेंद्र मोदी’ की बायोपिक रिलीज़ डेट बदल दी गयी बहुत प्रेशर रहा होगा?
- हाँ, थोड़ा डिसअपॉइनमेंट (निराशा) तो हुई। हम बस फिल्म का प्रीव्यू करने जा ही रहे थे कि हमारे हाथ में नोटिस थमा दिया गया। हालांकि हमने यह फिल्म पूरी क़ानूनी दायरे में रह कर ही बनायीं है। किन्तु एक समय तो ऐसा लगा कि मेरी फिल्म के पीछे भी एक महागठबधन कर लिया गया। आखिरकार हमारी फिल्म रिलीज हो ही गई।