केसरी के जरिए परिणीति चोपड़ा ऐसी फिल्म में नज़र आई है जिसमें नायिका के लिए स्क्रीन स्पेस काफी कम है। इसके बावजूद परिणीति ने फिल्म में काम करने के लिए करण जौहर तुरंत हां कह दी क्योंकि हीरो अक्षय कुमार और निर्देशक अनुराग सिंह थे। परिणीति ने कहा भी है कि इस फिल्म में मुझे दो मिनट का रोल भी मेरे लिए कापफी अहम है। फिल्म दर्शकों को पसंद आ रही है और परिणीति ने अपने काम से प्रभावित किया है। उनसे हुई खास मुलाकात:
एक अभिनेत्री के लिए केसरी में काफी कम सीन थे, इसके बावजूद आप फिल्म में काम करने के लिए कैसे तैयार हो गईं?
मैं अनुराग सर के साथ काम करना चाहती थी। उनके साथ तो किसी पेड़ के साथ छोटा-सा सीन करने के लिए भी तैयार थी। मैं जानती थी कि यह लड़कों पर केंद्रित फिल्म है लेकिन मैं इसके छोटे-से पार्ट में भी शामिल होना चाहती थी इसलिए करण जौहर ने जब मुझे इस फिल्म के बारे में बताया, तो मैंने सिर्फ तीन मिनट में उन्हें हां कह दी। इस फिल्म में मेरा एक रोमांटिक गीत भी है। मैंने तो करण से मज़ाक में यह कहा भी है कि मैंने इसी गाने के लिए यह फिल्म की है।
दर्शकों ने तो परदे पर सारागढ़ी की लड़ाई देख ली लेकिन क्या आप इस लड़ाई के बारे में इससे पहले जानती थीं?
हम लोग उत्तर भारत में पैदा हुए हैं, इसलिए सारागढ़ी युद्ध, पानीपत युद्ध और कुरुक्षेत्र युद्ध के बारे में खूब पढ़ा-सुना है। मैं अंबाला से हूं तो सब सुना हुआ था, यह शहर देखे हुए हैं, लेकिन जब फिल्म का ऑफर आया तो खूब रिसर्च भी किया था। सचमुच यह अनबिलीवल स्टोरी है जिसके बारे में सुनकर आशचर्य हुआ।
आप काफी कम फिल्में क्यों कर रही हैं?
आप गलत कह रहे हैं। चार महीने पहले ही मेरी फिल्म नमस्ते इंग्लैंड आई थी। मुझे रेगुलर काम मिलता रहता है। निर्माता-निर्देशकों का मुझपर भरोसा है इसलिए मुझे लगातार ऑफर्स मिलते रहते हैं। एक जर्नलिस्ट ने मुझसे कहा था कि आपके पास चार शोज़ के आफर्स हैं और कुछ फिल्मों के लिए भी बात चल रही है। उनकी बात सही थी। उन्होंने पूरा रिसर्च किया था। मेरे कमरे की टेबर पर स्क्रिप्ट पड़ी रहती हैं। आप किसी भी प्रोडक्शन हाउस से पूछ लें कि मुझसे उन्होंने कितनी बार संपर्क किया है। मैं दोबारा यह बात कहना चाहती हूं कि मेरे पास काम की कमी नहीं है।
किरदार का चुनाव किस आधार पर करती हैं?
स्क्रिप्ट कॉमन होती है जिसे देखना ही पड़ता है। बाकी सब बैनर, निर्माता और निर्देशक पर निर्भर करता है कि वो किस पोजीशन में हैं। जैसे कि हंसी तो फंसी के एक्टर और डायरेक्टर नए थे इसलिए मुझे स्क्रिप्ट पढ़ने पड़ी। रोहित शेट्टी की फिल्म के लिए स्क्रिप्ट ज्यादा मायने नहीं रखती। अलग-अलग फिल्में अलग-अलग कारणों से करनी पड़ती हैं।
अक्षय कुमार के साथ काम करना कैसा रहा?
अक्षय बेहद अनुशासित अभिनेता हैं। मैं बेशर्म होकर कह सकती हूं कि मैं उनका अनुषासन चोरी कर रही हूं। अक्षय सर की टाइमिंग मेरे लिए नई नहीं है। मैं भी उतनी ही अनुशासित हूं। सुबह छह बजे उठ जाती हूं और रात आठ बजे तक सोने का दिल करता है। सेट पर सभी कहा करते थे कि आप इतनी सुबह कैसे उठ जाती हैं।
केसरी करते समय सैनिकों के प्रति कितना जज्बा पैदा हुआ?
मैं आर्मी के माहौल में पली-बढ़ी हूं इसलिए मुझमें यह जज्बा कूट-कूटकर भरा हुआ है।
पंजाबी होने के बावजूद आप पंजाबी फिल्में क्यों नहीं करतीं ?
मैं दो सौ प्रतिशत पंजाबी फिल्म करना चाहती हूं लेकिन कोई ऑफर नहीं आ रहा। मैं तो मराठी लैंग्वेज की फिल्म भी करना चाहती हूं। मराठी रिच सिनेमा है। सच कहूं तो मुझे हर लैंग्वेज से प्यार है और हर लैंग्वेज की फिल्म करना चाहती हूं।
आप सबसे बड़ा आलोचक किसे मानती हैं?
मैं अपनी सबसे बड़ी आलोचक हूं। अगर मेरी कोई फिल्म बुरी होती है तो मैं खुद को गालियां देती रहती हूं। अपने दोस्तों से बार-बार उस बुरी फिल्म के बारे में बात करती हूं कि वह फिल्म कितनी बेकार थी। मैं दोस्तों से बुरी फिल्म के बारे में इतना बात करती हूं कि दोस्त भी परेशान हो जाते हैं और कहते हैं, हमको पता है कि बुरी फिल्म थी।
फिल्म न चलने पर आपकी प्रतिक्रिया रहती है?
मैं डिप्रेस होने से बेहतर खुद को पॉजिटिव और बेहतर बनाने में यकीन रखती हूं। अब कोई फिल्म चले न चले, वह तो मेरे हाथ में नहीं है। 100 चीजें हैं, जो गलत हो सकती हैं। हर चीज अपने कंट्रोल में नहीं होती हैं।