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इमरान हाशमी ने एक लम्बा सफर तय किया है अभिनेता से लेकर निर्माता का सफर, लगभग 20 वर्ष हो गए बतौर अस्सिटेंट डायरेक्टर और फिर फुटपाथ 2003 में बतौर अभिनेता वह विक्रम भट्ट को सारा श्रेय देते है। कहते है अपने इस लम्बे सफर का.उनकी पहली फिल्म,’फुटपाथ जिसे विक्रम भट्ट निर्देशित कर रहे थे -पहले दिन इमरान हाशमी शॉट ही नहीं दे पाए। फलस्वरूप शूटिंग बंद कर दी गयी.महेश भट/मुकेश भट्ट निर्मित फिल्म फुटपाथ के सेट पर भट्ट साहब बोले, 'इस लड़के का कुछ नहीं हो सकता' परन्तु विक्रम भट्ट को विश्वास था की अगले दिन इमरान अच्छा परफॉर्म कर पाएंगे। सो उन्होंने इमरान को सेकेंड चांस दिया। अगला दिन बहुत ही अच्छा परफॉर्म कर पाए इमरान। और आज उनकी आने वाली आगामी फिल्म 'चेहरे' में उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ कैमरा फेस कर बिना इंटिमिडेट हुए बेहतरीन टेक दिए। जाहिर है इमरान अब अपने क्राफ्ट में निपुण हो गए है।
अमिताभ बच्चन के साथ काम करने आपका अनुभव कैसा रहा? फुटपाथ पहली फिल्म में परफॉर्म नहीं कर पाए सो शूटिंग बंद कर दी गयी थी पर आज उनके सामने इंटिमिडेटेड हुए बिना बेहतरीन शॉट दिया?
जी शुरू में यह सब डरावना लग रहा था। पर स्क्रिप्ट इतनी बेहतरीन है, सो मै इसका हिस्सा बनना चाहता था। अमित जी के साथ और अन्य बेहतरीन अभिनेताओं के साथ काम करना मुझे बेहद उत्सुक भी कर रहा था। जाहिर सी बात है डर तो लगेगा ही मुझे इन सबकी बराबरी करनी थी और निर्देशक रूमी जाफरी की स्क्रिप्ट को भी सही ढंग से पेश करनी थी। इस में जो कुछ भी मेरा थोड़ा अनुभव है वो सभी मैंने दाव पर लगा दिया मैंने बहुत मेहनत की और सभी के बराबर परफॉर्म करने की भरसक कोशिश की है मैंने। आशा करता हूँ मेरी मेहनत सभी को दिखलाई देगी।
डेब्यू फिल्म में क्या हुआ की आप की वजह से शूटिंग कैंसिल कर दी गयी?
जी हाँ, फिल्म में मेरा दूसरा सेड्यूल था जिस में अच्छी तरह परफॉर्म कर पाया। किन्तु शूट का पहला दिन अच्छा नहीं रहा। लेकिन विक्रम भट्ट का हमेशा ऋणी रहूँगा क्यूंकि उन्होंने मुझ पर विश्वास किया और मुझे सेकंेड चांस दिया। मुझे कुछ समय लगा दरसल यही सोचने में कि मैं फिल्म के सेट पर क्या कर रहा हूँ। थोड़ा इंटिमीडेट हो गया था। इसका श्रेय निर्देशक विक्रम भट्ट को ही जाता है मैं तहे दिल से उनके शुक्रगुजार रहूँगा। मुझे एकिं्टग की ए बी सी डी उन्ही ने सिखलाई। उन्होंने मेरे अंदर कॉन्फिडेंस जगाया और आज मैं बॉलीवुड मैप पर एक नाम बनाने में सफल भी हूँ।
मुझे याद है फिल्मालया आपकी छोटी से सफ़ेद रंग की फ़िएट में बैठ के आपके साथ वार्तालाब की थी हमने, आज कौनसी गाड़ी है आपके पास?
हंस कर बोले जी हाँ मेरे पास फ़िएट थी और मारुती 800 भी, आज मेरे पास।
आप प्रोड्यूसर भी बन गए है क्या कहना है दूसरी फिल्म कब कर रहे है?
बतौर निर्माता मैंने एक फिल्म बनाई है. दूसरी कोई अच्छी स्क्रिप्ट की खोज में हूँ। और फ़िलहाल कुछ समय तक अभिनय ही करना चाहता हूँ। जैसे ही कुछ अच्छी स्क्रिप्ट मिलती है तो जरूर प्रोड्यूस करूँगा.लोगों को लगता है फिल्म निर्मित करने में केवल पैसों का इंतजाम आवश्यक होता है। लेकिन ऐसा नहीं। आपको क्रेटिवे साइड भी अच्छी तरह देखना पड़ता है। जब तक फिल्म की तकनीकियों को अच्छी तरह सोच समझ कर फिल्म नहीं करोगे अपना 100 प्रतिशत नहीं दे पाते हो तो फिल्म प्रोड्यूस मत कीजिये।
एक आम आदमी भी दोहरी व्यक्तित्व का धनि होता है पर यदि एक्टर दोहरी व्यक्तित्व रखे तो उसे बहुत सुनना पड़ता है उससे ,क्या कहना चाहते है आप?आप मानते है समाज के लिए जीते है मास्क पहने रहते है जैसा फिल्म चेहरे में भी है?
ऐसा नहीं कई बारी लोग यह नहीं सोचते है कि एक्टर मास्क पहने हुए है। हर व्यक्ति मास्क पहनता है और दोहरी जिंदगी जीता है। एक्टर को अपनी फैमिली,दोस्तों और लोगों के साथ अलग अलग तरह से रिश्ते निभाने होते है तो दोहरी पर्सनालिटी हो जाती है। आप हर किसी के साथ एक सा व्यवहार नहीं रखते हो। हमारे अंदर भी ढेरो साइड्स होते है वह हम नहीं दिखा सकते न?
तो आप मानते है एक्टर्स दोहरी पर्सनालिटी के धनी होते है?
जी हां मैं ऐसा मानता हूँ एक्टरस दोहरी पर्सनालिटी रखते है