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मशहूर पाकिस्तानी- कनाडियन पत्रकार लेखक तारिक फतेह नहीं रहे ! उनकी मौत 24 अप्रैल 2023 को कनाडा में हो गयी. वह कैंसर से पीड़ित थे और लम्बे समय से बीमार चल रहे थे. उनकी मौत की सूचना पर पाकिस्तान से ज्यादा दुखी हुए हैं भारत के लोग.
तारिक फतेह की मौत की सूचना उनकी बेटी नताशा फतेह ने जिन शब्दों में दिया है उसी से समझा जा सकता है कि तारिक का दिल था- हिंदुस्तानी. उनकी बेटी नताशा फतेह ने लिखा है- "पंजाब के शेर, हिंदुस्तान के बेटे, कनाडा के सच्चे प्रेमी, सच बोलने वाले, न्याय का योद्धा, दबे कुचले और पीड़ितों की आवाज तारेक फतेह नहीं रहे." तारिक फतेह की मौत की खबर पर फिल्म इंडस्ट्री के लोगों में उदासी का माहौल है. कश्मीर फाइल्स के लेखक निर्देशक विवेक अग्नि होत्री अनुपम खेर, कंगना रणौत, लेखक मजाहिर रहीम आदि फिल्म वालों ने इसे बड़ा नुकशान बताया है.हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और साउथ फिल्म इंडस्ट्री में उनके बहुत से सितारों से अच्छे संबंध थे. वह पाकिस्तान में जब भी भारीय फिल्मों का विरोध होता था, भारतीय फिल्मों के प्रवक्ता की तरह खड़े हो जाते थे. वह कपिल शर्मा शो में शामिल हुए थे. बिगबॉस और करन जौहर के शो 'कॉफी विथ करन ' के प्रशंशक थे.जब देश के पोलिटिकल मुददे या सामाजिक मुद्दे पर पाकिस्तान की तरफ से कोई बात उठती थी तब तारिक फतेह पाकिस्तानी होकर भी पाकिस्तान की आलोचना किया करते थे.
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तारिक का जन्म पाकिस्तान में करांची में एक पंजाबी मुस्लिम परिवार में 20 नवम्बर 1949 को हुआ था. देश के विभाजन से पहले उनका परिवार मुम्बई (तब बॉम्बे) में रहता था. विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्तान गया था. बड़े होते तारिक को देश के बंटवारे की बात पसंद नही थी. करांची यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करके कराची sun से पत्रकारिता की शुरुवात करने वाले, तारिक पाकिस्तान टीवी से भी जुड़े थे. वह शरियत, तलाक, कई बीवियां रखना, अधिक बच्चे पैदा करके भुखमरी बढ़ाना जैसे मुद्दे पर पाकिस्तान में रहते हुए भी विरोध करते थे और पाकिस्तान छोड़कर सऊदिया और फिर 1987 के बाद के वर्षों में कनाडा जाकर बस जाने के बाद भी अपने विरोध के स्वर तेज रखे थे. तारिक को भारतीय संस्कृति और जीवन शैली बहुत पसंद थी. यही वजह है उनकी मृत्यु के बाद भारत मे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत तक उनकी मौत पर संवेदना जाहिर किए हैं. तारिक एक ऐसे पाकिस्तानी थे जो भारतीय संस्कृति से प्यार करते थे. उनके लिए कहा यह भी जाता था कि वह ऐसे पाकिस्तानी थे जो आरएसएस की जुबान बोलते थे. उन्होंने कई किताबें लिखा था और कई बड़े सम्मान अर्जित किए थे. 60-70 के दशक में उनको बामपंथी सोच का समझा जाता था.
हालांकि वह विशुद्ध सुधारवादी थे. पाकिस्तान में जियाउल हक सरकार के समय उनको दो बार जेल में डाल दिया गया था. तारिक की दोनो बेटियां नताशा फतेह और नाजिया फतेह भी बाप की तरह ही स्पष्ट वक्ता हैं.
अनुपम खेर ने तारिक के साथ और उनके परिवार के साथ उनके घर पर बिताए समय और खाने की बात शेयर करते हुए ट्वीट किया है कि "वह दिल से सच्चे भारतीय थे. बहुत ही निर्भीक थे." कंगना रणौत ने भी उनको निर्भीक, भारत का बेटा, गरीबों सताए हुए लोगों की आवाज के रूप में एसडी कर श्रद्धांजलि.पेश किया है. बॉलीवुड में हर कोई बातचीत में तारिक फतेह के जाने पर अपनी भावभीनी संवेदना जाहिर कर रहा है. सचमुच पाकिस्तानी- कनाडाई नागरिकता रखने वाले तारिक फतेह हिंदुस्तान में प्यार पाने वाली शख्शियत थे और ऐसे लोग कम ही हुआ करते हैं.
अलविदा तारिक फतेह!!