आदिवासियों की समस्या को उजागर करती शॉर्ट फिल्म ' जीना मुश्किल है यार' का निर्देशन मोहन सिंह के द्वारा किया गया है। यह 53 मिनट की शॉर्ट फिल्म है। जोकि सभी देश- विदेश के सभी फिल्म फेस्टिवल में भेजी जायेगी। यह फ़िल्म मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासी इलाकों में हुई सच्ची और वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है, जहां 'बैगा', 'गोंद’ और अन्य जनजातियों ने वन संरक्षण का एक कठिन काम किया। जिसके लिए उन्हें कई तकलीफों और कठिनायों का सामना करना पड़ा और पुराने अर्थहीन क़ानून के कारण उन्हें बहुत कुछ झेलना पड़ा।
इस फिल्म के बारे में निर्देशक मोहन कहते हैं, 'यह फिल्म तब शुरू होती है जब एक प्राइमटाइम हिंदी न्यूज एंकर की लोकप्रियता तब कम हो जाती है जब उस पर एक सुपरस्टार की खबर को सनसनीखेज बनाने और छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया जाता है। तब उसे जंगल में जाने के लिए मजबूर किया जाता है तो उसे भारी उथल-पुथल का सामना करना पड़ता है जब एक बहुराष्ट्रीय खनन कंपनी से जंगल को बचाने के लिए लड़ते आदिवासियों की कहानी या अपने प्राइमटाइम न्यूज़ ऐंकर कैरियर को बचाने मैं से एक को चुनना होगा।”
इस फिल्म में असली आदिवासियों को दिखाया गया है। जिन्होंने इसमें पारंपरिक संगीत व शीर्षक ट्रैक 'कर्मा' द्वारा संवारा गया है। इस फिल्म के मुख्य कलाकार खुशाली कुमार, यतीन कार्येकर, निशांत दहिया, गोपाल सिंह इत्यादि है।
इससे पहले निर्देशन मोहन सिंह ने कई शॉर्ट फिल्म, सीरियल और 'मैनु इश्क़ दा लग्या रोग', 'मेरा हाईवे स्टार','रात कमाल है' जैसे सुपरहिट म्यूजिक अलबमों का निर्देशन किया है। इस शॉर्ट फिल्म का निर्माण टी-सीरीज ने किया है। इस फिल्म में असली आदिवासियों को दिखाया गया है। इसमें पारंपरिक संगीत व शीर्षक ट्रैक 'कर्मा' द्वारा संवारा गया है।