बच्चों की जि़ंदगी को समझने की जरूरत है- सुशील जांगीरा By Shyam Sharma 13 Dec 2018 | एडिट 13 Dec 2018 23:00 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर फिल्में और वेबसीरीज़ के अलावा इन दिनों शॉर्ट फिल्मों पर खूब फोकस किया जा रहा है। बड़े निर्माता-निर्देशक भी शॉर्ट फिल्में बना रहे हैं। देखा जाए तो जिन निर्माताओं के पास फिल्में बनाने का बजट नहीं है, वे शॉर्ट फिल्मों के जरिए अपने दिल की बात कह रहे हैं। टीवी और मॉडलिंग की दुनिया में अपनी पहचान बना चुकी सुशील जांगीरा अब अपनी शॉर्ट फिल्म 'मेरी रॉकस्टार वाली जींस के जरिये अपने दिल की बात दर्शकों तक पहुंचा रही हैं। उनकी स्टोरी को कितना सराहा गया है, इसका उदाहरण हैं देश-विदेश से मिलने वाले फिल्म फेस्टिवल अवार्ड। हालांकि सुशील की ख्वाहिश ऑस्कर तक पहुंचने की है। वह कहती हैं कि अगर उनकी स्टोरी को नोमिनेट भी कर लिया गया, तो यह उनके लिए बड़ी बात होगी। सुशील मानती हैं कि अधिकांश फिल्मों में नारी को सही रूप में नहीं दर्शाया जाता। महिला सशक्तिकरण की बात जरूर की जाती है लेकिन फिल्मों के अंत में नारी को बेबस और लाचार दिखाया जाता है। वह कहती हैं कि बाल फिल्मों में भी लड़कों को ज्यादा दिखाया गया है लेकिन लड़कियों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। मेरी रॉकस्टार वाली जींस एक बेहद ही संवेदनशील विषय बच्चों के साथ बैड टच के बाद उनकी जिंदगी को समझने के लिए जरुरी इमोशनल बॉन्डिंग की बात करती है। इस संवदेशनशील विषय को इस तरह फिल्माया है कि इस फिल्म को एक 10 साल के बच्चे के साथ ही किसी भी उम्र का दर्शक भी देख सकता है। आमतौर पर फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित होने वाली फिल्म गंभीर विषय के साथ ही बहुत कलात्मक तरीके से फिल्मायी गयी होती है लेकिन फिल्म मेरी रॉकस्टार वाली जींस इससे इतर बहुत ही मनोरंजक तरीके से अपनी बात कहने में सफल रहती है। सुशील जांगीरा मानती है कि बॉलीवुड और हॉलीवुड की फिल्मों में अधिकतर लेखक पुरूष हैं इसलिए महिलाओंं पर आधारित विषय में भी महिलाओ को वैसे ही दिखाया जाता है जैसा कि वास्तविक जिंदगी में एक पुरुष किसी स्त्री के बारे में सोचता है। सुशील जांगीरा कहती हैं कि वो एक ऐसी फिल्म बनाना चाहती थी जो नारीवाद का झण्डा बुलंद किये बिना सचमुच महिला सशक्तिकरण की बात करे। फिल्म के जरिये मैं उसके जीवन में कठिनाई और आघात को छूना चाहती थी जिसका सामना किसी भी उम्र की महिला को करना पड़ता है। मैं उसके दु:ख और आघात को नहीं दिखाना चाहती। मेरा ध्यान तो उनके भावनात्मक, आध्यात्मिक और सामाजिक पुनर्वास के प्रति है। वह खुद को अँधेरे से बाहर निकालकर नयी रौशनी में लाने के लिए सक्षम होनी चाहिए। अंधेरे की दुनिया से आपको प्रकाश में लाने के लिए कोई होना चाहिए जो हमें अपने सपने को फिर से देखने के लिए उत्साहित करे। हमें नए सपने देखने चाहिएं और जींस की एक जोड़ी जिंदगी को उपहार में देनी चाहिए जहां आप रॉकिंग महसूस कर सकते हैं। मैं खुद भी जिंदगी को इसी तरह से देखती हूं और मेरी फिल्म में भी दर्शकों को जिंदगी की यही परिभाषा देखने को मिलेगी। 'मेरी रॉकस्टार वाली जींस' भानू नामक एक 10 साल की लड़की और उसके शिक्षक मिस-मिताली के साथ उनके रिश्ते के आसपास घूमती है। भानु जीवन में बाल दुर्व्यवहार के भावनात्मक और शारीरिक आघात से सहमी हैं। मुंबई में रहने वाली भानू के साथ जो हुआ उसके लिए उसकी मां भानु को भी जिम्मेदार मानती है। मिताली इस सोच के खिलाफ बात करती है। साथ ही भानु के सपनों को समझती है। भानु के सपनों को मिताली एक नया आयाम देती है। लेखक, निर्देशक, गीतकार और निर्मात्री सुशील जांगीरा की फ़िल्म 'मेरी रॉकस्टार वाली जींस' में तैयबा मंसूरी, सुशील जांगीर, चन्द्रकला साटम ने प्रमुख किरदार निभाया है। #bollywood news #bollywood #Bollywood updates #television #Telly News #Susheel Jangira #Meri Rockstar Wali Jeans #shrot film हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article