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कलाकारों ने अपने ग्रैंडपैरेन्ट्स के साथ बिताये सबसे यादगार पलों के बारे में बताया

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By Mayapuri Desk
कलाकारों ने अपने ग्रैंडपैरेन्ट्स के साथ बिताये सबसे यादगार पलों के बारे में बताया
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ग्रैंडपैरेन्ट्स और ग्रैंडचिल्ड्रन के बीच का रिश्ता जिन्दगी के सबसे खूबसूरत सम्बंधों में से एक होता है.ग्रैंडपैरेन्ट्स के जीवन से जुड़े अनुभव, कहानियों और बुद्धिमत्ता में मूल्यवान शिक्षाएं होती हैं, जो हमारे निजी विकास में योगदान देती हैं.लेकिन वे हमारे साथ दोस्ती का एक असाधारण बंधन भी निभाते हैं, जिससे कभी भुलाई न जा सकने वाली यादें मिलती हैं.इस इंटरनेशनल ग्रैंडपैरेन्ट्स डे पर एण्डटीवी के कलाकार अपने मनोरंजक किस्से बता रहे हैं, जिनमें उनके ग्रैंडपैरेन्ट्स ने उनके साथ मिलकर शरारतें कीं.ये कलाकार हैं मोहित डग्गा (अशोक, 'दूसरी माँ'), संजय चैधरी (कमलेश, 'हप्पू की उलटन पलटन) और विदिशा श्रीवास्तव (अनीता भाबी, 'भाबीजी घर पर हैं').

दूसरी माँ के अशोक, यानि मोहित डग्गा ने बताया, "मेरे दादाजी मुझे स्कूल से लेने आते थे और मुझे उनके ट्रक में बैठने के वाकये याद हैं.जब वह मेरे आस-पास होते थे, तब मैं बेफिक्र और हमेशा खुश रहता था.वे यादें इतनी ताजा हैं, जैसे कल ही की बात हो.मेरे दादाजी मस्ती से मुझे गुदगुदाते थे और मैं दिल खोलकर हँसता था; वह शरारतों में मेरे सबसे बढ़िया साथी थे.घर आना, जूते उतारकर फेंक देना (जिस पर मेरे दादाजी प्यार से टिप्पणी कर देते थे) और फिर मिठाइयों और उनके पसंदीदा स्नैक पानी पूरी का मजा लेना तो जैसे हमारी परंपरा ही बन गई थी.मेरे दादाजी को फिल्मों का शौक था; बेहतरीन फिल्मों को देखते हुए हम पूरी रात बिता देते थे.मेरे देर रात तक जागने पर मेरी दादी अक्सर उन्हें डाँटा करती थीं, लेकिन मैंने छुप-छुपकर इसका मजा लिया और इस तरह से ऐक्टिंग मेरी पसंद बन गई.अपने ग्रैंडपैरेन्ट्स के साथ मेरी यह यादें मुझे बहुत भाती हैं और मैं इन्हें हमेशा सँजोकर रखूंगा.मैं सारे ग्रैंडपैरेन्ट्स को दिल से धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने हमें वह बनाने में भूमिका निभाई, जो आज हम हैं."

'हप्पू की उलटन पलटन' में कमलेश की भूमिका निभा रहे संजय चैधरी ने बताया, "मेरे ग्रैंडपैरेन्ट्स मेरे सबसे प्यारे दोस्त थे और मैं पूरी तरह से उनका मुरीद था.वह मुझे सहजता, प्यार, देखभाल, खुशी और अपनेपन का अहसास देते थे.अब बड़ा हो जाने के बावजूद मैं अपने ग्रैंडपैरेन्ट्स की बातों और उनके मूल्यों को अपनाकर चलता हूँ.मैंने घर पर अपना ज्यादातर वक्त दादू और दादी के साथ बिताया.वे मेरी पसंदीदा चीजों से मुझे दुलारते थे और मेरे सारे राज छुपाकर रखते थे.दादू शरारतों में मेरे सबसे बढ़िया साथी थे.मैं बड़े ही चाव से याद करता हूँ कि जब भी वह मुझे स्कूल से लेने आते थे, तब हम आइसक्रीम खाते थे और यह राज किसी को नहीं बताया जाता था.मैं बहुत प्यार से उन दिनों को याद करता हूँ; मेरे दिल में पुरानी यादों का उफान आ रहा है, क्योंकि मैं उनके साथ बीते सारे बेहतरीन वक्त को याद कर रहा हूँ." 

भाबीजी घर पर हैं में अनीता भाबी बनीं विदिशा श्रीवास्तव ने बताया, "मेरा पूरा बचपन एक संयुक्त परिवार में बीता.मेरी माँ कामकाजी महिला थीं, लेकिन उन्हें कभी चिंता नहीं रही कि मैंने, मेरी बहन या भाई ने खाना खाया या वक्त पर अपना होमवर्क पूरा किया या नहीं.मेरे ग्रैंडपैरेन्ट्स हमारी बढ़िया देखभाल करते थे और हमेशा सुनिश्चित करते थे कि हमारे रोजाना के काम समय पर पूरे हो जाएं.स्कूल के दिनों में मुझे गणित से बड़ा डर लगता था.मैं उत्साह से उस दिन को याद करती हूँ, जब मुझे गणित का कठिन होमवर्क मिला और मैं बहुत तनाव में आ गई थी.मेरे दादाजी ने मेरे तनाव पर गौर किया और सवालों को हल करने में मेरी मदद के लिये मेरे पास बैठ गये और मुझे बड़ी राहत मिली.हालाँकि एक दिन मेरी दादी ने हमें पकड़ लिया और जोर देकर कहा कि मैं गणित के सारे सवाल बिना उनकी मदद के खुद ही हल करूँ.ईमानदारी की बात है कि दादी के फैसले ने गणित में मेरा आत्मविश्वास बढ़ा दिया और मुझे गणित की परीक्षाओं में अच्छे नंबर मिलने लगे.मैं उन्हें बहुत प्यार करती हूँ और शिद्दत से याद करती हूँ." 

अपने चहेते कलाकरों को देखिये 'दूसरी माँ' में रात 8:00 बजे, 'हप्पू की उलटन पलटन' में रात 10:00 बजे और 'भाबीजी घर पर हैं' में रात 10:30 बजे, प्रसारण हर सोमवार से शुक्रवार सिर्फ एण्डटीवी पर! 

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