Adipurush controversy: आदिपुरुष निर्माताओं ने आस्था को बनाया मनोरंजन का विषय By Asna Zaidi 24 Jun 2023 | एडिट 24 Jun 2023 11:12 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर Adipurush controversy: फिल्म 'आदिपुरुष' (Adipurush) रिलीज के बाद से ही विवादों में घिरी हुई है.फिल्म की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं.फिल्म में लिखे गए घटिया डायलॉग्स और खराब VFX और कॉस्ट्यूम के कारण फिल्म को दर्शकों की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.फिल्म के निर्माता ओम राउत और लेखक मनोज मुंतशिर पर भी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया जा रहा है. विवादों के चलते सोशल मीडिया पर आदिपुरुष को दुनिया भर में काफी ट्रोल भी किया जा रहा है.इन सबको देखते हुए अब सवाल यह उठता है कि क्या मनोरंजन के लिए आप आस्था से खिलवाड़ कर सकते हैं और क्या आस्था मनोरंजन का विषय है? आदिपुरष निर्माताओं ने रामायण का बनाया मजाक रामायण पर आधारित फिल्म 'आदिपुरुष' के निर्माताओं ने इस फिल्म में कुछ पात्रों का विवादास्पद चित्रण किया है, जो हिंदुओं की भावना को ठेस पहुंचा रहा है.इसके साथ ही इस फिल्म में बोले गए कई ऐसे डायलॉग्ज भी हैं जो कि सभ्य नहीं माने जा सकते.जैसे ही विवाद बढ़ा तो फिल्म के निर्माता व संवाद लेखक ने अपने पुराने बयानों से पलटते हुए यह सफाई दी कि "यह फिल्म रामायण पर आधारित नहीं बल्कि रामायण से प्रेरित है।" इसके बाद लेखक मनोज मुंतशिर ने विवादित डायलॉगों में संशोधन करने का ऐलान भी कर दिया है.इन सब बयानों के बीच यह भी सुनने में आया कि 'बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा'.तो क्या फिल्म के निर्माताओं ने इसी मंशा से इस फिल्म को बनाया? या फिर किसी अन्य एजेंडा के तहत ऐसी फिल्में योजनाबद्ध तरीके से बनाई जाती हैं जो समाज में मतभेद पैदा करने का कम करती हैं? यहां पर यह कहना ठीक होगा कि ऐसी फ़िल्में न सिर्फ एक तरफा होती हैं बल्कि तथ्यों से भी काफी दूर होती हैं। वृंदावन के संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी आस्था को लेकर कही ये बात इस बीच वृंदावन में कई सालों से भजन कर रहे रसिक संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी ने हाल ही में फिल्म 'आदिपुरुष' और इसी तरह अन्य फ़िल्मों पर अपनी कठोर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि, मनोरंजन का विषय नहीं है.मनोरंजन कभी नहीं हो सकती और आस्था के साथ खिलवाड़ 44'आस्था नहीं करना चाहिए.भगवान की लीलाएं हमारी आस्था का विषय हैं.जो भी इन्हें मनोरंजन दृष्टि से बनाता है वह हमारी आस्था के साथ खिलवाड़ करता है.इस विषय पर स्वामी जी आगे कहते हैं कि, " श्री कृष्ण लीला हो या श्री राम लीला, यह एक मर्यादा के तहत ही दिखाई जाती हैं.यदि कोई इसका चित्रण मनोरंजन की भावना से करता है.उनका उपहास करता है या उसे मर्यादा रहित ढंग से पेश करता है तो वह जो कोई भी हो अपराधी है, जिसका दंड अवश्य मिलेगा.इन लीलाओं को बड़े-बड़े ऋषियों ने जैसा समाधि लगा कर देखा, वही लिखा.इन्हीं लीला चरित्रों के बल पर संतगण भक्तों को सही मार्ग पर चलने का उपदेश देते हैं". धार्मिक फिल्मों को पूरी श्रद्धा के साथ देखते थे दर्शक बता दें एक समय ऐसा भी था जब 'जय संतोषी मां', संपूर्ण रामायण' जैसी धार्मिक फिल्में श्रद्धा के साथ बनाई जाती थीं.इन फिल्मों को लोग पूरी आस्था के साथ देखने जाते थे.सिनेमा हॉल में चप्पल बाहर उतारते थे, फिल्म को देखते हुए भक्ति रस में डूब कर रो पड़ते थे और फिल्म के समापन के बाद श्रद्धा से पैसे भी चढ़ाते थे.आपको याद होगा कि जब दूरदर्शन पर रामानन्द सागर और बी.आर. चोपड़ा निर्मित 'रामायण' व 'महाभारत' का टेलीकास्ट होता था तब सड़कों पर ऐसा सन्नाटा छा जाता था जैसे कि सरकार ने कर्फ्यू लगा दिया हो.परंतु जिस तरह धार्मिक चोला ओढ़ कर मनोरंजन और एजेंडे के तहत बनाई जाने वाली फ़िल्में आजकल बनाई जा रही हैं वह केवल विवाद भड़काने का काम कर रही हैं.तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर आस्था के साथ खिलवाड़ करना किसी भी सभ्य समाज में स्वीकारा नहीं जा सकता.इसके लिए सरकार को कडे दिशा निर्देश देने की आवश्यकता है, जिससे कि ऐसी किसी भी फ़िल्म को बनने न दिया जाए जो किसी भी धर्म के मानने वालों की आस्था को ठेस पहुंचाए. #Adipurush #Adipurush Controversy #Adipurush dialogues #Adipurush writer #Adipurush dialogue writer #Manoj Muntashir Shukla #Manoj Muntashir Shukla police #Adipurush controversy news हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article