मैं ताउम्र अपने घर से निकलते वक़्त अपने दिल का झोला लिए (नहीं नहीं वो झोला नहीं जो आजकल बदनाम हुआ पड़ा है) ज़िन्दगी के बाजार में निकल पड़ता हूँ, कहीं से प्यार लेने के लिए तो कभी अपनी मुस्कान पाने के लिए और दूसरों की ज़िन्दगी को ज़रा ही सही बेहतर बनाने के लिए. -
अली पीटर जॉन
हालाँकि, इन दिनों इन्हीं सब चीज़ों की ही सख़्त कमी चल रही है पर मैं भी हूँ कि उम्मीद नहीं छोड़ता हूँ. कल इसी इरादे के चलते कि मुझे ख़ुश होने का, मुस्कुराने का कोई बहाना मिले, मैंने अपनी बेटी स्वाति से बात की. स्वाति से शायद एक अरसे बाद बात हो रही होगी, वो ठीक वैसी ही है जैसी आज के दौर में पंख खोले, आसमान छूने को तैयार कोई महत्वकांक्षी महिला होती है.
उससे बात करने के बाद मैं घर पहुँचा और मैंने ये सोच लिया कि अब बची हुई रात अपने ही सन्नाटे में समेटकर मैं सो जाऊंगा पर तभी मेरा फोन बजा, मोबाइल मेरी ज़िन्दगी की वो शै है जिसकी मैं अपनी पत्नी से भी ज़्यादा (ख़ासकर लॉकडाउन के दौरान)कद्र करता हूँ.
जो आवाज़ दूसरी और से आई उसे मैं बामुश्किल पहचानी, वो आवाज़ पूजा की थी, पूजा उसके साथ काम करती है, उस कलाकार की दिनचर्या का ख्याल रखती है जो दुनिया भर का चाहता है, जिसे लोगों की मुहब्बत और मुहब्बत के सिवाए कुछ नहीं मिलता, जिसे हम आप बादशाह खान के नाम से बेहतर जानते हैं. मैं भूल ही गया कि मैं हाल ही में मायापुरी मैगज़ीन का डिजिटल वर्शन लाया हूँ, वही मायापुरी मैगज़ीन जो भारत की सबसे पुरानी और विश्वसनीय फ़िल्मी पत्रिकाओं में से है और उसमें शाहरुख़ की ज़िन्दगी और कैरियर से जुड़ा सबकुछ मौजूद है.
इससे पहले की मैं और कुछ सोचता, पूजा ने मुझे बताया कि शाहरुख़ मुझसे बात करना चाहेंगे। अगले ही पल मैं उस शाहरुख़ से फोन पर मुख़ातिब था जिससे शायद बात करने के लिए लाखों करोड़ों भी उसके सिर्फ 'दाएं' हाथ को देने के लिए तैयार मिलते होंगे। ये ठीक वही शाहरुख़ था जिससे क़रीब पिछले 4 साल से मेरा न के बराबर कनेक्शन रह गया था. उसने मेरा हाल-चाल पूछा, मुझसे बातें कि और मेरी सेहत में होते सुधार को लेकर कहा कि जो एफर्ट मैं अब इस उम्र में भी कर रहा हूँ, वो बहुत बहुत बढ़िया है. सच कहूं तो इतना सुनते ही मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मैं फिर जी उठा हूँ, मेरी सारी थकान निकल गयी है. पहले सबसे पहले शाहरुख़ से यही पूछा कि 'शाहरुख़, अगर मैं 70 साल का बूढ़ा तुम्हारी कॉल आ जाने से इतना एक्ससाइटेड हो जाता हूँ तो मुझे बताओ तुम्हारे उन फैंस का क्या होगा जो तुम्हारे लिए जीने मरने को तैयार रहते हैं.
मुझे ऐसा लगा जैसे शाहरुख़ मुस्कुराएं हों और फिर सौम्यता से बोले 'सब ऊपर वाले की मेहरबानी है, सब ख़ुदा की देन है. उसने मुझसे पूछा कि मुझे ये सब जो मैंने लिखा था उसके बारे में, उसमें कितना समय लगा? मैं तुरंत बोलै कि एक हफ्ते से भी कम शाहरुख़। इतना सुन शाहरुख़ का जवाब आया कि आपके जज़्बे की, आपके पैशन की जितनी तारीफ करूँ कम है. अली साहब, आप तबसे मेरे आइडल हैं जब मैं बॉम्बे भी नहीं आया था. मैं आपके आर्टिकल तब भी पढ़ता था जब मैं कॉलेज (दिल्ली) में था. फिर मेरी वो आदत फिर आगे भी न छूटी, कभी न छूटी। हालाँकि अब मुझे पढ़ने के लिए उतना समय नहीं मिलता है फिर भी मेरी कोशिश होती है....' सच कहूं तो ख़ुद के बारे में ऐसा सुनकर, वो भी उस शख़्स से जिसकी दुनिया दीवानी है; मैं शरमा गया. 70 साल की उम्र में मेरे चेहरे पर जो शाहरुख़ की बात सुनकर 'हया' की लाली छाई, वो शायद ही मेरी उम्र के किसी शख़्स को नसीब होती होगी।
फिर बात का सिरा दूसरी ओर घुमाकर हम अपने कामों के बारे में चर्चा करने लगे. उसने बताया कि तक़रीबन दो साल बाद वापसी करने को लेकर वो बहुत उत्साहित है. उसकी अगली फिल्म पठान जो वो यशराज बैनर तले कर रहे हैं उसकी अहमतरीन शूटिंग ख़त्म हो चुकी है. शाहरुख़ का कहना था कि उसके आने वाले कैरियर के लिए 'पठान' निर्णायक फिल्म साबित हो सकती है.
मैं उस बात को तो कभी ज़हन से निकाल ही नहीं सकता कि कैसे शाहरुख़ ने मेरे एक्सीडेंट के वक़्त मेरा साथ दिया. मुझे हर तरह से सपोर्ट किया। पर मैं उस बारे में अभी उससे बात कर नहीं सकता था क्योंकि मैं बहुत अच्छे से जानता था कि ये बात सुनकर शाहरुख़ ख़ुद झेंप से जाते हैं, इसके इतर मैं सोच ही रहा था कि आगे क्या बात करूँ, क्या कहूं क्या न कहूं कि शाहरुख़ ख़ुद कहने लगे 'आप मेरे बीते दिनों के साथी हैं, आपको पढ़कर तो इतना कुछ जाना है कि उस दौर का एक अहम हिस्सा आपके नाम है, आप मेरे परिवार में स्पेशल स्थान रखते हैं. अली साहब, आपको किसी भी वक़्त किसी भी चीज़ की ज़रुरत हो या ख़ुदा न करे आप पर कोई मुसीबत आने को हो, आप पूजा की मार्फ़त मुझे बिना किसी संकोच के ख़बर कीजिये, मैं हर हाल में आपको आपके पास मौजूद मिलूंगा।'
इतना सुनकर मेरे पास यूँ तो कोई शब्द बचे न थे, फिर भी मैंने उससे परिवार के बारे में पूछा, सबकी ख़ैर-ख़बर ली. उसने बताया कि सब ख़ैरियत से हैं, साथ ही एक पिता होने के नाते बच्चों की परवरिश की ज़िम्मेदारी भी है. बकौल शाहरुख़ 'फ़िलहाल अली साहब मैं सुहाना को लेकर सोच रहा हूँ जो 2021 में अपना डेब्यू करने की तैयारी में है. आप भी उसके लिए दुआ करें अली साहब जैसे मैं और गौरी दुआ कर रहे हैं. हालाँकि लड़कों के बारे में कुछ भी सोचना अभी जल्दबाज़ी होगी, मैं बस इसी में ख़ुश हूँ कि दोनों समझदार हैं, अच्छे से पढ़-समझ रहे हैं बस'
मैं अभी बात कर ही रहा था कि मैंने देखा मेरी ख़ैरख़्वाह, मेरी केयर-टेकर मेरी तरफ आ रही है. मैंने शाहरुख़ से कहा कि ज़रा देर पुष्पा से भी बात कर लें, और जब शाहरुख़ ने बात की, तो मैं देख सकता था कि एक शादीशुदा बेटी की माँ, कैसे बच्चों सी दीवानी हो गयी थी. जब वो नार्मल हुई, उसने पूरी बिल्डिंग का कोई ऐसा शख़्स न छोड़ा जिसे उसने स्पेशली न बताया हो कि उसने बिलकुल अभी शाहरुख़ से बात की है. जिन लोगों को उसने बताया, उन्होंने भी अपने गाँव तक में, यहाँ तक की नेपाल और कोलकाता तक में ये बात पहुँचा दी कि पुष्पा की बात शाहरुख़ खान से हुई है. और मैं उन्हें क्या कहूं, मैं ख़ुद इतना बड़ा शाहरुख़ का फैन हूँ कि मैंने सबसे पहले अपनी दोस्त आरती मिश्रा को बताया, जो ख़ुद एक बेहतरीन लेखक और कवियित्री हैं; और आरती भी मेरी ख़ुशी में ख़ुश होकर और इसे मेरी 'अचीवमेंट' करार देकर फूली न समाई।
इसके बाद मैंने पी-के बजाज साहब को फोन किया, जो मायापुरी मैगज़ीन के चीफ एडिटर और पब्लिशर हैं. वो ख़ुद मेरी बात सुनकर ख़ुशी में पूरी तरह शरीक़ हुए. उस रात मैंने महसूस किया कि मैं ज़्यादा शांत, ज़्यादा सौम्य और आत्मविश्लेषी होने लगा हूँ. क्या ये शाहरुख़ खान का असर था? अगर ऐसा वाकई था तो वो तब भी न हटा जब मैं सोने की कोशिश करने लगा, मुझे झपकी आने लगी. और फिर मैंने सपने में देखा कि मेरे सपने में शाहरुख़ मुझसे बात कर रहे हैं, मुझसे अपनी पिछली कुछ गलतियों के बारे में डिसकस कर रहे हैं और आने वाले दौर के लिए क्या बढ़िया क्या मुफ़ीद हो सकता है उसकी प्लानिंग कर रहे हैं.
अगली सुबह मैंने महसूस किया कि पुष्पा मुझसे कहीं बेहतर तौर से पेश आ रही थी और पड़ोसियों भी शायद उसे देखकर कहीं न कहीं जलन महसूस कर रहे थे.
फिर आख़िर क्यों न करते, पुष्पा को लाखों में एक सरीखा अवसर मिला था, शाहरुख़ खान से उसकी बात हुई थी!
'>सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर'