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इन दिनों हस्तियों और लीजेंड के बारे में अफवाह फैलाना हमारे जीवन का एक हिस्सा बन गया है। उनके बारे में ख़बरें तो जंगल की आग की तरह फैलती है भले ही उन कहानियों में सच्चाई न हो। ऐसा अतीत में कई बार हुआ है और ऐसा ही 3 अगस्त को मनोज कुमार के साथ भी हुआ था। उन्हें धीरूभाई अंबानी अस्पताल ले जाया गया और उनकी बीमारी का कारण गुप्त रखा गया। मैं अपने सहयोगी ऋषि कमल के साथ उसी सुबह उनसे मिलने की योजना बनाई,
पहली बार फैलीं हों इससे पहले भी उनकी बारे में अफवाहें पहले भी फैली है।
लेकिन उनके सुरक्षाकर्मी ने हमें बताया कि 'साहब' बाहर चले गए है। हम बीस मिनट तक इंतजार करते रहे और जब किसी भी ख़बर नहीं मिली तो मैंने उन्हें फोन किया और यहां तक कि उन्हें एक संदेश भी भेजा, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं थी। 7 अगस्त की सुबह मुझे मिस्टर भारत का फोन आया, जबकि मेरा फोन उस वक़्त साइलेंट मोड में था। मैंने उन्हें फोन किया वह बहुत उत्साहित थे जब उन्होंने मुझे उस नाम से बुलाया, 'अल्लाह परमेश्वर, जीसस' और मैंने तुरंत उनसे पूछा कि वह कहाँ थे और उन्होंने कहा, 'अंबानी अस्पताल'।
इससे पहले कि मैं परेशान और चिंतित होता उन्होंने कहा कि घबराने वाली कोई बात नहीं है मैं ठीक हूँ मुझे सांस लेने में कुछ समस्याएं थीं इसलिए मुझे अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी गई थी। जैसे ही मेरा डॉक्टर इंदौर से वापस आ जाएगा वैसे ही मुझे कल छुट्टी मिल जाएगी 'मैंने उनसे पूछा कि क्या मैं अस्पताल में आ सकता हूं. उन्होंने कहा अस्पताल भी कोई मिलने की जगह होती है, आप बुधवार को घर क्यों नहीं आते? और फिर'वह 8 अगस्त को अस्पताल से डिस्चार्ज हो गए। यह पहली बार नहीं था कि उनके गंभीर रूप से बीमार पड़ने की अफवाहें पहली बार फैलीं हों इससे पहले भी उनकी बारे में ऐसी अफवाहें फैलाई जा चुकी है।