/mayapuri/media/post_banners/c032a68c0f11511eafb37b290fbe2a9af71a660ea76d99b79e541f8194073102.jpg)
वह कद-काठी में छोटे से दिखते थे लेकिन उनकी किस्मत में कुछ बड़ा लिखा था! उन्होंने दिल्ली में एक डिस्ट्रीब्यूटर ऑफिस से अपनी छोटी सी शुरुआत की, इस दौरान महान खोजकर्ता (ग्रेट डिस्कवरर), देव आनंद ने उन्हें पाया! अली पीटर जॉन
उनका नाम अमित खन्ना था। वह एक ब्राइट, डायनामिक, डेडिकेटेड और तेजतर्रार विचारों वाले आदमी थे, वह देव आनंद की पसंद के तरह के युवा थे जिन्हें देव अपनी कंपनी ‘नवकेतन’ में रखना चाहते थे!/mayapuri/media/post_attachments/41560367dd1f364289249b83cc34bc7a7357110e4f447d574b9019e951524ed1.jpg)
अमित बॉम्बे आए (इसे तब मुंबई नहीं कहा जाता था)। देव ने सीधे तौर पर अपनी सारी जिम्मेदारियों उन पर लाद दी जो उनके लिए चुनौतियां थीं और अमित उस तरह के आदमी थे जो चुनौतियों से प्यार करते थे, वह जानते थे कि चीजों को कैसे मैनेज किया जा सकता है, मनुष्य के लिए कुछ भी और सब कुछ तब तक संभव था जब तक वह बिना किसी समस्या के, बिना किसी डर के, बिना किसी गिव अप के, अपनी इच्छा शक्ति के साथ सशस्त्र रहा हो, जो मनुष्य को आत्मसमर्पण करने या उसे त्यागने की अनुमति नहीं देती है!/mayapuri/media/post_attachments/1a2a36d6b99c88e9da8b0e48a444b967d13c6f5381a2a4ad44b9475c9e9f4bda.jpg)
देव अपनी इस खोज से बहुत खुश थे। वह चीजों को पूरा करने की अपनी अद्भुत क्षमता जानते थे और जो कुछ भी करना चाहते थे उसे करते थे। अपने बॉस का पूरा विश्वास हासिल करने के लिए अमित को बहुत ही कम समय लगा था और वह देव के सबसे अच्छे सेवक थे, एक ऐसा व्यक्ति जिसने कभी उन्हें ना नहीं कहा और एक ऐसा आदमी जो सबसे अधिक बुरे समय और परिस्थितियों में खुद को परख सकता था!
अमित देव से काफी इंस्पायर्ड थे क्योंकि वह जो कुछ भी होता था उसे भूल जाते थे और पास्ट के बारे में बिना किसी विचार के आगे बड़ते चले, देव एक परफेक्ट फिलोसोफी को फॉलो करते थे, और वह थी “हर फिक्र को धुंए में उड़ता चला गया”। अमित देव के सामने आने वाली हर समस्या को हल करने के लिए सभी लड़ाई लड़ते रहे और तब तक लड़ते रहे जब तक कि वह एक स्टेज पर नहीं पहुंच गए जहाँ देव ने उन्हें बहुत गंभीरता से लिया और अपने कई महत्वपूर्ण निर्णय उनके हाथ में छोड़ दिए क्योंकि देव जानते थे कि वह ऊर्जावान, उत्साही और हमेशा एनर्जेटिक इक्साइट्मन्ट की स्थिति में रहते थे।/mayapuri/media/post_attachments/11947314a420f2861a737424d349769a26ce92768453899ecf1e2deba268935c.jpg)
और जब अमित ने उड़ना चाहा, कुछ बनना चाहा, खुद का एक नाम बनाने के लिए, अपने पैरों पर खड़ा होना चाहा, तो देव उन्हें रोकने वाले एकमात्र व्यक्ति थे, लेकिन उन्होंने उन्हें अपना आशीर्वाद दिया और आगे बढ़ने के लिए उचा उड़ाने के लिए छोड़ दिया।
और फिर अमित ऐज बढ़ते रहे, वह एक कवि थे, और उन्होंने कुछ देव की फिल्मों और कुछ अन्य फिल्मों के लिए गीत लिखे थे। उन्होंने एक और कदम और आगे बढ़ाया और एक निर्माता के रूप में खुद को चुनौती दी और देव और उनकी खोज, टीना मुनीम के साथ फिल्म ‘मन पसंद’ बनाई, टीना मुनीम जो तब यह बिल्कुल नहीं जानती थी कि वह अपने करियर की एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है, अमित ने कुछ फिल्मों का निर्देशन भी किया, जो कुछ कारणों से अभी भी रिलीज नहीं हुई हैं, हालांकि अब शायद भगवान को भी नहीं पता होगा कि वे फिल्में गई कहां हैं, किस कोने में उन्हें जंग खाने के लिए छोड़ दिया गया है।/mayapuri/media/post_attachments/4e6e001a215e40935814386a747b179d6fb3dbd40e6170061e9593ed2705a1d0.jpg)
वह जल्द ही इंडस्ट्री के एक बहुत ही महत्वपूर्ण यंग लीडर बन गए थे जिन्हें उनके जैसे एक डायनामिक लीडर की आवश्यकता थी जो समय के साथ बदलते रहे और इस इंडस्ट्री को अपनी उन गलतियों का एहसास दिला सके जो उन्होंने की थी और जिसने भी इसे चाहा उसे अपनी सलाह दी।
फिल्मों और टीवी सीरियल्स बनाने वाली कुछ बड़ी कंपनियों को लॉन्च करने के पीछे उनका ही दिमाग था और वह रिलायंस बिग एंटरटेनमेंट के निर्देशक के रूप में उची पोजीशन पर पहुंच गए और नई कंपनी को सफलता से अधिक सफलता तक ले गए, जब तक उन्हें यह एहसास नहीं हुआ कि उन्हें अपनी एक जगह बनानी है और अपने जीवन के इस पड़ाव पर भी अपने लिए एक नया भविष्य बनाने का फैसला किया है। वह वह शख्स हैं जिन्होंने बिग फिल्म्स को ‘मामी फेस्टिवल’ के लिए इंस्पायर्ड किया, जिसने अपने पंख चारों और फैला दिए और टीना मुनीम के समर्थन के कारण ऊंची उड़ान भरने के लिए तैयार हुआ, टीना मुनीम उनकी वन टाइम हीरोइन, जो रिलायंस में लिए गए हर फैसले के पीछे का एक मेजर माइंड है, अपने पति अनिल धीरूभाई अंबानी के नेतृत्व ग्रुप में।/mayapuri/media/post_attachments/9d5d156107c1e0d70c8a3762cdf2d67d6bc017a01da975638c81940588a2703f.jpg)
और अगर आपको लगता है कि वह एक ऐसे स्टेज में पहुंच गए है जहा से उन्हें कुछ कदम पीछे की ओर लेने चाहिए, तो आप गलत हैं, क्योंकि यह आदमी उस आदमी की तरह कोई रोक-टोक को नहीं जनता है जो सबसे पहले उन्हें बॉम्बे लाए थे, जो वन एंड ओनली देव आनंद थे और अब ऐसा लगता है कि हर अंत अमित के लिए केवल एक नई शुरुआत की तरह है और यह यात्रा अभी शुरू हुई है क्योंकि उनको अभी भी मीलों का सफर और तय करना है और अपने नए नए आईडिया और ड्रीम्स को हकीकत में बदलना है।/mayapuri/media/post_attachments/2965276cf8062535bef5901088efcf80543e1641403260e6d5823bb0c2f90884.jpg)
उपसंहार में, अगर कोई वाकई जानना चाहता है कि अमित खन्ना क्या चीज है या कौन है, तो उसे महबूब स्टूडियो पर होना चाहिए जहां उनकी महानता का पूरा संसार “लाइट-कैमरा-एक्शन” कहते ही नजर आने लगता है और हर तरह के सिलेब्रिटीज वहाँ मौजूद होते हैं, जिनमें खासकर फिल्म्स, थिएटर और म्यूजिक से जुड़े लोगों की भीड़ होती है।
महामारी ने अब उन्हें दिल्ली में फंसा दिया है, जहाँ वे पैदा हुए थे और अपने जीवन के शुरुआती साल बिताए थे, जब तक कि वे देव आनंद से वह नहीं मिले जिन्होंने उनका जीवन ही बदल दिया था।/mayapuri/media/post_attachments/6ad807aee03ece54ae4c1c1cf4f3dc60a51b819f279c9c6eee5249884baf3ba7.jpg)
अनु-छवि शर्मा
/mayapuri/media/post_attachments/a73349ab06aadb4cb775f3411cdf5c4c613313d333d7db1862388a47e3cb2315.jpg)
/mayapuri/media/post_attachments/c487b34bcfa42b36f03548c132a74946c6574db39aee9a7563107508db9a558c.jpg)
/mayapuri/media/post_attachments/ece61d98009fdf723c0f34254da35ab37b2e05ff748143c598c8008f959c8ba1.jpg)
Follow Us
/mayapuri/media/media_files/2025/12/19/cover-2672-2025-12-19-19-56-51.png)