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सिनेमा जाति, धर्म और नस्ल से परे है- अमिताभ बच्चन

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By Mayapuri Desk
सिनेमा जाति, धर्म और नस्ल से परे है- अमिताभ बच्चन
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50वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के दौरान दादा साहब फाल्के अवार्ड के लिए चयनित सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने अपनी फिल्मों का पुनरावलोकन उद्घाटन करते हुए कहा, कि तेजी से विखंडित होती दुनिया में केवल सिनेमा ही एक ऐसा जरिया है, जो लोगों को आपस में बांधे रख सकता है। उन्होंने कहा, क्योंकि सिनेमा जाति, धर्म, भाषा व नस्ल से अलग होता है। दादा साहब फाल्के अवार्ड में अमिताभ बच्चन की छह फिल्में दिखाई जा रही हैं। पुनरावलोकन का आगाज उनकी फिल्म ‘पा’ से हुआ। इसके बाद ‘दीवार’, ‘शोले’, ‘पीकू’, ‘बदला’ व ‘ब्लैक’ फिल्में दिखाई जाएंगी।

सिनेमा जाति, धर्म और नस्ल से परे है- अमिताभ बच्चन CM Dr Pramod Sawant and Amitabh Bachchan

इस अवसर पर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने दादा साहब फाल्के अवार्ड के लिए सरकार का धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा, कि वह इस प्रतिष्ठित सम्मान को प्राप्त करके अपने आपको कृतज्ञ महसूस कर रहे हैं और उन्हें ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वह इस सम्मान के वास्तविक मुस्तहिक (हकदार) नहीं हैं, फिर भी लोगों के प्यार को देखते हुए इस पुरस्कार को ले रहे हैं। सिनेमा को विश्वव्यापी माध्यम बताते हुए बच्चन ने कहा, कि जब हम एक बन्द हॉल में अंधेरे में बैठक सिनेमा देखते हैं तो बगल में बैठे शख्स की नस्ल व जाति नस्ल को भूल जाते हैं। सिनेमा भी भाषाओं के बंधन से परे होता है।

सिनेमा जाति, धर्म और नस्ल से परे है- अमिताभ बच्चन Amit Khare, CM Dr Pramod sawant and Amitabh Bachchan

बच्चन ने कहा, कि सिनेमा ऐसा माध्यम है, जो तेजी से विखंडित होती दुनिया को बचाने का काम करता है और लोगों को जोड़कर रखता है। उन्होंने कहा, कि हमें शांतिप्रिय दुनिया बनाने के लिए दूसरे का हाथ थामे आपस में मिलकर रहना होगा। वह ऐसी फिल्में बनाएंगे, जो सभी को जोड़कर रखे। फिल्म समारोह की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, कि यह 50वां फिल्म समारोह है, हर वर्ष इसके प्रतिनिधियों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिसके सुंदर आयोजन के लिए सरकार को बधाई देता हूं।

सिनेमा जाति, धर्म और नस्ल से परे है- अमिताभ बच्चन CM Dr Pramod Sawant and Amitabh Bachchan

भारतीय सिनेमा जगत के 50 साल के सफर का गौरवशाली इतिहास बताने के लिए इफ्फी एट 50 प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। सूचना प्रसारण सचिव अमित खरे ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। प्रदर्शनी का आयोजन बीओसी ने किया। इस प्रदर्शनी में 1913 में दादा साहब फाल्के द्वारा निर्मित फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ से लेकर अब तक बनी भारतीय भाषाओं की विभिन्न सिनेमाओं के बारे में बताया गया है।

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