खास होते हुए भी आम इंसान-अमिताभ बच्चन By Pankaj Namdev 27 Sep 2019 | एडिट 27 Sep 2019 22:00 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर सात हिन्दुस्तानी से शुरुआत करने वाले इंसान जो आज़ भी उम्र के 77वें पड़ाव पर होने के बावजूद एक दिन की भी छुट्टी नहीं लेते. अत्यंत व्यस्तताओं के बावजूद हर रविवार प्रतीक्षा के बाहर अपने फैंस को अपनी एक झलक दिखाने की प्रतीक्षा नहीं करवाते. जी, हाँ मैं बात कर रही हूँ मधुशाला के रचयिता हरिवंश राय बच्चन जी के पुत्र और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन जी के बारे में. आप इन्हें कितने भी उपनामों से बुला लें, पर जब आप इनके सामने होंगे तो इनके भीतर आपको एक गंगा किनारे वाला छोरा दिखेगा, जिसने अपने भीतर बह रही प्रयागराज के संगम पर कभी मुंबई की जुहू बीच को हावी नहीं होने दिया. जो आज़ भी 'मैं' से ज्यादा 'हम' बोलना पसंद करते है. जिनमें शहर नहीं अपना गाँव नज़र आता है. आज उन्हीं खास होते हुए भी अपने भीतर के आम इन्सान को जिंदा रखने वाले डॉन, विजय दीनानाथ चौहान, कूली, बाबू मोशाय और मेरे लिए नाथ विला वाले कैलाशनाथ उर्फ भूतनाथ को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई है. दादा साहेब फाल्के ने फिल्मों की शुरुआत ही शायद इसलिए की थी कि एक दिन एक लम्बा सा, पतला सा लड़का जिसका सब मज़ाक बनायेंगे, वो हिन्दी सिनेमा में इतिहास रच देगा. मैं कभी अमिताभ जी से मिली नहीं हूँ. पर फिर भी मुझे ऐसा लगता है कि मैं उन्हें जानती हूँ. मैं उनसे कभी 'कालिया' फिल्म के कल्लू के रूप में तो कभी 'नसीब' फिल्म के जॉन जानी जनार्दन के रूप में मिली हूँ. मैंने 'नमकहलाल' में जहाँ उनके 'पग घुंघरू बाँध मीरा नाची थी' पर अपने पाँव थिरकायें है, वही आनंद के लास्ट सीन पर आँसू भी बहायें है. मैंने सिलसिला, मिली, फर्ज, अभिमान में जहाँ उनके गंभीर अंदाज़ को पसंद किया है, वही चुपके-चुपके में सुकुमार अमिताभ के भोलेपन पर हँसी भी हूँ. भूतनाथ फिल्म को इतनी बार और इतने निश्छल उम्र में देखा है कि मेरे लिए 'एंजल' मतलब अमिताभ ही हैं. पीकू के लास्ट सीन में दीपिका के साथ मैं भी रोई हूँ. 102 नॉट आउट के अमिताभ जब कहते है कि औलाद जब नालायक हो जायें तो उनको भूल जाओ और सिर्फ उनका बचपन याद रखों, तो उस वक्त मैंने भी यह डॉयलाग महसूस किया है. और कितनी बात लिखूँ? क्योंकि मैं अमिताभ जी से बिना मिलें भी कई बार मिल चुकी हूँ. कभी 'रिमझिम गिरे सावन' तो कभी 'मैं प्यासा तुम सावन', कभी 'आज़ रपट जाये तो हमें ना उठ्ठयो' तो कभी ' मीत ना मिला रे मन का' जैसे कई रूपों में मिल चुकी हूँ मैं उनसे. और मुझे इस वक्त उनका एक गाना याद आ रहा कि 'मैं तुमको क्या कहूँ?' - दिवाना. आप सोच रहे होंगे कि मेरे अंदर अमिताभ बच्चन के प्रति यह दीवानगी आई कहां से? आपका सोचना भी लाजमी है क्योंकि मेरे उम्र के युवा 'ये कहां आ गए हम' सुनने से ज्यादा 'आती क्या खंडाला' सुनना ज्यादा पसंद करते हैं. और मुझे भी ये पसंद है पर इस जमाने और उस जमाने के बीच संतुलन बनाने का ये हुनर मेरे अंदर मेरी माताश्री की वजह से आया है. जब वह मेरे उम्र की थी तो ये फोन नहीं हुआ करता था. तब लोग फोन की स्क्रीन से ज्यादा कागज के पन्नों पर अपनी नजरें टिकाया करते थे और उस वक्त मेरे जैसी सिनेमा प्रेमी की मां जो मुझसे भी ज्यादा सिनेमा प्रेमी है उनका एकमात्र सहारा हुआ करता था मायापुरी'. मायापुरी से अमिताभ बच्चन की फोटो को काट कर जमा करना, मेरी माताश्री इतने लगन के साथ क्या करती थी कि ऐसा लगता था कि वो वेद और उपनिषद का संग्रह कर रही हो. दीवार के एक सीन में जब अमिताभ जी नल के नीचे अपना सर धोते है,तब वो सीन देख कर आज भी मेरी माता के बुढ़े होते चेहरे पर एक युविका वाली चंचल मुस्कान आ जाती है. किताब पर जिल्द चढ़े हुए पेपरों से अमिताभ बच्चन की फोटो ढूंढना और फिर उसको काट के रखना,यह सब पागलपन मेरी माताश्री इस उम्मीद के साथ किया करती थी कि एक दिन वो बच्चन जी से जरूर मिलेंगी और इसी उम्मीद को बरकरार रखते हुए वह केबीसी के प्रत्येक सीजन के रजिस्ट्रेशन वाले सवालों का जवाब भी देती हैं. वो इतनी बड़ी दीवानी है कि मेरे भाई का नाम भी अभिषेक ही रखा है उन्होंने और मेरे भाई का जन्म भी 5 फरवरी को ही हुआ है, जो अभिषेक बच्चन का भी जन्मदिन है. यहां मैं आपको बता दूं कि 5 फरवरी को मेरे भाई के जन्म होने की वजह से उसका नाम अभिषेक नहीं बल्कि उसका नाम मेरी माताश्री ने बहुत पहले से अभिषेक सोच रखा था इसलिए वो इस दुनिया में 5 फरवरी को आया है. मुझे मेरे अमीर दोस्त मेरे बॉलीवुड के प्यार को लेकर जब चिढ़ाते हैं और कहते हैं कि तुम्हारे पास इस पागलपन के अलावा है ही क्या तो मैं उनसे बोलती हूं कि, 'मेरे पास मां है जिसके अंदर कूट-कूट के सिनेमा है' . कुली में अमिताभ को लगी चोट के बारे में मैंने अपनी माताश्री से इतनी बार सुना है कि मैं खुद के चोट लगने पर भी डॉक्टर को अमिताभ बच्चन की चोट की कहानी सुना देती हूं. मंदिर जाकर लोग विनती करते हैं और मैं बिना कारण भगवान से 'आज खुश तो बहुत होगे तुम' बोल कर आ जाती हूं और खीर तो मैंने खाना ही बंद कर दिया है क्योंकि सूर्यवंशम के बाद मुझे हर खीर में जहर दिखता है. मैं पीती तो नहीं हूं पर अगर पीती तो इसमें कोई शक नहीं है कि मैं अपनी माता से यही कहती कि, 'अगर शराब में नशा होता तो बोतलें ना झूमती.' अब शायद आप लोग समझ गए होंगे कि मेरे भीतर अमिताभ जी को लेकर इस पागलपन का असल उद्गम स्रोत कहां है. .एक अच्छा इंसान ही अच्छा अभिनेता बन सकता है और ये दादा साहेब फाल्के पुरस्कार उस अच्छे इंसान को मिला है. अमिताभ जी इस 11 अक्टूबर को एक साल और बड़े हो जायेंगे. उनको जन्मदिन और पुरस्कार, दोनों की ढेरों बधाइयाँ. उनके एक गीत से ही अंत करना चाहूँगी- मैं पल दो पल का शायर हूँ, पल दो पल मेरी कहानी है, पल दो पल मेरी हस्ती है, पल दो पल मेरी जवानी है. ठहरिये, यहीं खत्म नहीं हुआ. इस इन्सान ने इतना कुछ कर लिया है कि पल दो पल में इनकी कहानी समेटी ही नहीं जा सकती. इसलिए- कल अगर ना रौशनी के काफिलें हुए? प्यार के हज़ार दीप है जले हुए. मेरी ये कथा तो अनंत है पर लाइन में और भी लोग हैं अपनी कथा सुनाने के लिए तो मैं चलती हूं क्योंकि 'हम जहां खड़े होते हैं लाइन वहीं से शुरु होती है'. हां, अगली बार आप लोग मेरा कहीं और नहीं बल्कि मायापुरी में ही इंतजार करियेगा क्योंकि, 'आपलोग मुझे ढूंढ रहे हो और मैं आपका यहां इंतजार कर रही हूं.' मायापुरी की लेटेस्ट ख़बरों को इंग्लिश में पढ़ने के लिए www.bollyy.com पर क्लिक करें. अगर आप विडियो देखना ज्यादा पसंद करते हैं तो आप हमारे यूट्यूब चैनल Mayapuri Cut पर जा सकते हैं. आप हमसे जुड़ने के लिए हमारे पेज width='500' height='283' style='border:none;overflow:hidden' scrolling='no' frameborder='0' allowfullscreen='true' allow='autoplay; clipboard-write; encrypted-media; picture-in-picture; web-share' allowFullScreen='true'> '>Facebook, Twitter और Instagram पर जा सकते हैं. embed/captioned' allowtransparency='true' allowfullscreen='true' frameborder='0' height='879' width='400' data-instgrm-payload-id='instagram-media-payload-3' scrolling='no'> #bollywood #Amitabh Bachchan #Fan Story हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article