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‘‘फ्लेश देह व्यापार पर एक बेहतरीन यथार्थ परक सीरीज....’’

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By Mayapuri Desk
New Update
‘‘फ्लेश देह व्यापार पर एक बेहतरीन यथार्थ परक सीरीज....’’

स्टारः

4

स्टार

निर्माताः

इरोज

मोशन

पिक्चर्स

और

सिद्धार्थ

आनंद

निर्देशकः

दानिश

असलम

कलाकारः

स्वरा

भास्कर

,

केविन

दास

,

महिमा

मकवाना

,

इशान

खन्ना

,

विद्या

मालवड़े

,

अक्षय

ओबेराय

,

विजाॅय

थांगजम

,

युधिष्ठिर

अवधिः

लगभग

छह

घंटे

,

लगभग

45

मिनट

के

आठ

एपीसोड

ओटीटी

प्लेटफार्मः

ईरोज

नाउ

2014

के

आंकड़ों

के

अनुसार

पूरे

विश्व

में

2150

बिलियन

का

देह

व्यापार

का

धंधा

हो

रहा

था।

अफसोस

की

बात

यह

है

कि

इस

व्यापार

से

जुड़े

घृणा

योग्य

अपराधियाे

को

कुछ

भ्रष्ट

पुलिस

वालों

का

भी

सहयोग

मिलता

है।

बच्चों

और

युवा

महिलाओं

के

अपहरण

और

बिक्री

पर

नैतिक

नाराजगी

व्यक्त

करने

का

प्रयास

करते

हुए

आठ

-

एपिसोड

की

वेब

सीरीज

‘‘

फ्लेश

’’

में

बच्चों

लड़कियो

की

तस्करी

देह

व्यापार

के

क्षेत्र

में

बेचने

,

बच्चों

,

जिसमें

दस

साल

से

कम

उम्र

के

लड़के

लड़कियॉ

शामिल

हैं

,

को

पाॅर्न

फिल्में

दिखाकर

उनके

अंदर

सेक्स

की

लालसा

,

क्रूरता

भरने

के

साथ

ही

क्रूरता

के

कई

दृश्यों

का

समावेश

किया

गया

है।

जी

हाॅ

!

दानिश

असलम

निर्देशित

और

सिद्धार्थ

आनंद

निर्मित

वेब

सीरीज

‘‘

फ्लेश

’’

बच्चाे

की

तस्करी

से

लेकर

कम

उम्र

की

लड़कियाे

के

देह

व्यापार

में

संलिप्त

होने

के

लिए

मजबूर

करने

के

साथ

ही

ऐसे

तस्करों

के

साथ

पुलिस

की

मिली

भगत

सहित

कई

पहलुओं

को

रेखांकित

किया

गया

है।

कहानीः

कहानी

शुरू

होती

है

अमरीका

से

मुंबई

आए

एक

एनआर

आई

परिवार

से।

अमीर

एन

आर

आई

शेखर

गुप्ता

(

युधिष्ठर

)

अपनी

पत्नी

रीवा

गुप्ता

(

विद्या

मालवडे

)

अपनी

बेटी

जोया

गुप्ता

संग

अमरीका

से

मुंबई

एक

विवाह

समारोह

में

शामिल

होने

के

लिए

आए

हैं।

जहां

जोया

की

सोशल

मीडिया

के

माध्यम

से

एक

युवक

डीजे

(

इशान

खन्ना

)

से

दोस्ती

हो

जाती

है।

विवाह

समारोह

में

पहुॅचने

के

बाद

पता

चलता

है

कि

रीवा

गुप्ता

ने

अपने

वकील

के

माध्यम

से

शेखर

को

तलाक

देने

की

नोटिस

भिजवायी

है।

उसी

वक्त

वहां

पर

रीवा

शेखर

का

दोस्त

सिड

भी

उनसे

मिलने

आता

है।

जबकि

जोया

से

मिलने

डी

जे

आता

है

और

वह

उसे

अपने

साथ

कार

में

ले

जाता

है।

पर

अंततः

वह

उसे

देह

व्यापार

के

रैकेट

के

पास

पहुॅचा

देता

है।

जो

कि

अन्य

लड़कियों

के

साथ

एक

ट्रक

में

जोया

गुप्ता

को

भी

भरकर

कोलकाता

के

लिए

रवाना

कर

देता

है।

जोया

गुप्ता

तो

कोलकाता

में

कई

तरह

के

काले

सफेद

धंधों

में

लिप्त

सूबोदत्त

चट्टोपाध्याय

(

उदय

टिकेकर

)

के

लिए

खास

उपहार

पैकेज

है।

शेखर

गुप्ता

रीवा

अपनी

बेटी

जोया

के

गुम

होने

की

रिपोर्ट

पुलिस

में

लिखाते

हैं।

पर

उन्हे

अहसास

होता

है

कि

पुलिस

कुछ

खास

नही

कर

पा

रही

है।

इसी

बीच

मानव

तस्करी

विरोधी

यूनिट

की

एसीपी

राधा

(

स्वरा

भास्कर

)

को

एक

देह

व्यापार

गैंग

का

भंडाफोड़

करने

के

लिए

पुरस्कृत

करने

की

बजाय

ताज

(

अक्षय

ओबेराय

)

नामक

इंसान

की

उंची

पहुॅच

के

चलते

पुलिस

की

नौकरी

से

सस्पेंड

कर

दिया

जाता

है।

इस

बीच

हालात

ऐसे

बनते

है

कि

सी

पी

राधा

नौटियाल

अपने

तरीके

से

जोया

मामले

की

जांच

करना

शुरू

करती

है।

एक

मुकाम

पर

एसीपी

राधा

नौटियाल

कहती

है

-‘‘

मैं

दुनिया

के

सभी

सेक्स

ट्रैफिकर्स

को

एक

समुद्र

तट

पर

कतार

में

खड़ा

कर

उन्हें

गोली

मारना

चाहती

हॅूं।

पर

तभी

राधा

नौटियाल

को

पुनः

पुलिस

की

उनकी

नौकरी

पर

बहाल

कर

दिया

जाता

है।

जैसे

जैसे

राधा

नौटियाल

की

जांच

आगे

बढ़ती

है

,

वैसे

वैसे

अनैतिकता

,

क्रूरता

,

हिंसा

और

भ्रष्टाचार

के

कई

चौंकाने

और

स्तब्ध

करने

वाले

जाल

सामने

आते

हैं।

इसी

के

साथ

शेखर

गुप्ता

के

अतीत

के

कालेे

पन्ने

के

साथ

ही

राधा

का

अतीत

भी

सामने

आता

है

,

जब

वह

अपने

छोटे

भाई

को

एकदम

अलग

रूप

में

अपने

सामने

पाती

है।

लेखनः

देह

व्यापार

जैसे

घृणास्पद

मानवीय

पहलुओं

के

साथ

बेहतरीन

रोमांचक

कहानी

पटकथा

लेखन

के

लिए

इसकी

लेखक

पूजा

लाधा

सुरती

बधाई

की

पात्र

हैं।

उन्होने

देह

व्यापार

से

जुड़े

हर

पहलू

,

मानव

तस्करी

के

रैकेट

,

नौकरशाही

पुलिस

की

साॅंठगाॅंठ

आदि

का

बहुत

बारीकी

से

चित्रण

किया

है।

मगर

सिद्धार्थ

,

ब्रम्हानंद

बारोट

और

सत्यभामा

के

किरदार

इनसे

जुड़ी

कहानियां

महत्वहीन

हैं

और

यह

कहानी

को

बाधित

करने

के

साथ

ही

दर्शक

को

दिग्भ्रमित

करते

हैं।

इसके

अलावा

डीजे

के

किरदार

की

भी

खास

अहमियत

कहानी

में

नही

है।

जोया

गुप्ता

एसीपी

नौटियाल

की

कहानी

के

समानांतर

राधा

नौटियाल

की

अतीत

यानी

कि

बचपन

की

कहानी

भी

सतत

चलती

रहती

है।

पर

यह

पटकथा

लेखन

निर्देशन

की

खूबी

के

चलते

दर्शक

आठवें

एपीसोड

से

पहले

दोनों

कहानियों

के

जुड़ाव

का

अहसास

नहीं

कर

पाता।

राधा

और

उनके

सहायक

नमन

(

सिद्धांत

बहल

)

के

बीच

का

रिश्ता

प्रेम

संबंध

जैसा

है

,

पर

इसे

ज्यादा

विस्तार

नही

दिया

गया।

निर्देशनः

लेखक

निर्देशक

ने

जहां

एक

तरफ

कुछ

समय

के

लिए

एसीपी

राधा

को

कार्यवायी

करने

के

लिए

मजबूर

दिखाया

है

,

तो

वहीं

जोया

की

पीड़ा

को

बाहर

निकालने

का

अवसर

दिया

है।

उसे

अन्य

महिलाओं

के

एक

झुंड

के

साथ

एक

ट्रक

में

जब

कोलकाता

ले

जाया

जा

रहा

होता

है

,

तब

जोया

रास्ते

के

हर

कदम

को

गहराई

से

सहती

है।

दानिश

असलम

ने

अपने

निर्देशकीय

कौशल

का

शानदार

परिचय

दिया

है।

उन्होेने

मुंबई

कोलकाता

शहर

को

भी

जीवतंता

प्रदान

की

है।

पैंतालिस

पैंतालिस

मिनट

के

लंबे

लंबे

आठ

एपीसोड

देखना

एक

दर्शक

के

लिए

सहज

नही

हो

सकता

,

मगर

निर्देशक

की

खूबी

के

चलते

हर

एपीसोड

सिर्फ

दर्शकों

को

बांधकर

रखता

है

,

बल्कि

अगला

एपीसोड

देखने

के

लिए

रूचि

भी

पैदा

करता

है।

देह

व्यापार

पर

बनी

एक

रीयल

वेब

सीरीज

में

सेक्स

,

अप्राकृतिक

मैथुन

,

हिंसा

,

गोली

बारी

,

गंदी

गंदी

गालियों

की

भरमार

भी

है।

अभिनयः

कानूनी

प्रावधानाे

से

बंधी

एक

इमानदार

बुराई

के

खात्मे

के

लिए

कृत

संकल्प

पुलिस

अफसर

राधा

के

संघर्ष

को

जिस

तरह

से

परदे

पर

स्वरा

भास्कर

ने

जीवंत

किया

है

,

वह

बिरले

कलाकार

ही

कर

पाते

हैं।

यह

स्वरा

भास्कर

की

अभिनय

क्षमता

का

ही

कमाल

है।

स्वरा

भास्कर

ने

जिस

तरह

से

एसीपी

राधा

नौटियाल

के

किरदार

को

जीवंतता

प्रदान

की

है

,

वह

उन्हें

उत्कृष्ट

अदाकारा

के

रूप

में

उभारती

है।

कोलकाता

में

शुवो

के

लिए

काम

करने

वाले

स्टीरियोटाइप्ड

ड्रग

-

एडिक्टिट

बाइसेक्सुअल

ताज

के

किरदार

को

अक्षय

ओबेराय

ने

काफी

शानदार

ढंग

से

जीवंत

किया

है।

कई

दृश्यों

में

ताज

की

मानसिक

स्थिति

भी

बेहतर

तरीके

से

उभरती

है।

ताज

के

राक्षस

होने

के

दृश्यों

में

भी

अक्षय

ओबेराय

ने

कमाल

का

अभिनय

किया

है।

इसमें

उनका

गेटअप

भी

काफी

मदद

करता

है।

डीजे

के

किरदार

में

इशान

खन्ना

का

किरदार

छोटा

अप्रभावशाली

है।

जोया

गुप्ता

की

बेबसी

पीड़ा

को

सही

ढंग

से

निखारने

में

महिमा

मकवाना

सफल

रही

हैं।

रीवा

के

किरदार

मे

विद्या

मालवडे

और

शेखर

के

किरदार

में

युधिष्ठिर

ने

ठीक

ठाक

अभिनय

किया

है।

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