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अनुपम खेर: शिमला से खेरवाड़ी और अब चाँद को छूने की ख़्वाहिश

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By Mayapuri Desk
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अनुपम खेर: शिमला से खेरवाड़ी और अब चाँद को छूने की ख़्वाहिश

इसआदमी, अनुपमखेरनेमुझेअपनीउपलब्धियोंसेआश्चर्यचकिंतनहींकियाहैजोलगभगअविश्वसनीय (अन्बिलीवबल) हैंमेरायहविश्वासकरनाबहुतमुश्किलहैकि, जिसछोटेसेप्रसिद्धअभिनेताकोमैंनेपहलीबारडिजायरअंडरडीएल्म्सइच्छाकेतहतएलम्सनामकनाटकमेंअभिनयकरतेदेखाथा, वहआजएकपद्मभूषणअभिनेताअनुपमखेरहै, औरयहउनकीएकमात्रउपलब्धिनहींहै, उन्होंनेसभीकोसबसेअधिकखराबऔरखतरनाकपरिस्थितिमेंऊपरउठनेकेलिएअपनासाहसदिखायाहै, जिन्होंनेउन्हेंइसतरहकीपरिस्थितियोंकेसाथकुचलनेकीपूरीकोशिशकी, औरकोईभीसामान्यइन्सानइसतरहकीपरिस्थितियोंसेनहींजीतसकताथायाजीतनेकादावाभीनहींकरसकताथा! - अली पीटर जॉन

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अनुपम खेर: शिमला से खेरवाड़ी और अब चाँद को छूने की ख़्वाहिशअनुपम

खेर

वह

शख्स

हैं

,

जो

कभी

क्लास

में

38

प्रतिशत

से

अधिक

नहीं

पा

सके

और

आज

वह

एक

लीडिंग

और

प्रभावशाली

दिमाग

वाले

शक्स

हैं

,

जो

मन

को

प्रेरित

कर

सकते

हैं

,

अनुपम

खेर

वह

शख्स

हैं

,

जिन्होंने

कई

साहसिक

कार्य

(

ऐड्वेन्चर

)

की

शुरुआत

की

,

जिनमें

से

कुछ

काम

कर

पाए

और

कुछ

परिस्थितियों

की

वजह

से

नहीं

चल

पाए

,

यहां

तक

कि

उनके

मन

की

शक्ति

भी

उन्हें

कंट्रोल

नहीं

कर

सकी

,

अनुपम

खेर

वो

शख्स

हैं

,

जिन्होंने

कभी

अपना

टीवी

सीरियल

और

इवेंट

मैनेजमेंट

कंपनी

शुरू

की

थी

,

अनुपम

खेर

वो

शख्स

थे

जिन्होंने

एक

बार

फिल्में

बनाने

की

कोशिश

की

थी

और

कामयाबी

हासिल

होने

के

साथ

उन्हें

पता

चला

कि

,

फिल्में

बनाना

उनके

बस

की

बात

नहीं

थी

,

अनुपम

खेर

वह

शख्स

हैं

जिन्होंने

ओम

जय

जगदीश

नामक

एक

फिल्म

को

डायरेक्ट

किया

था

,

जिससे

उन्हें

पता

चला

था

कि

डायरेक्शन

उनके

लिए

एक

प्याली

चाय

की

तरह

था

,

अनुपम

खेर

वह

शख्स

हैं

,

जिन्होंने

मानसिक

रूप

से

विकलांग

बच्चों

की

मदद

करने

के

लिए

एक

निस्वार्थ

भावना

के

साथ

सामाजिक

कार्यकर्ता

के

रूप

में

मदद

करने

की

कोशिश

की

थी

,

अनुपम

खेर

,

वह

आदमी

जो

अपने

सामने

पड़ी

चुनौतियों

के

लिए

खुद

को

तैयार

करने

की

चुनौती

लेता

था

वह

अब

देश

में

लीडिंग

एक्टिंग

अकादमियों

में

से

एक

, ‘

एक्टर

प्रिपेयर्स

के

संस्थापक

और

संरक्षक

हैं

,

अनुपम

खेर

,

वह

आदमी

जिसे

एक

समय

में

सही

तरह

से

अंग्रेजी

में

लिखना

और

बोलना

तक

मुश्किल

लगता

था

,

उन्होंने

मानव

प्रेरणा

पर

एक

किताब

लिखी

जिसका

नाम

है

बेस्ट

थिंग

अबाउट

यू

इज

यू

जो

कई

एडिशंस

में

चली

गई।

 

अनुपम खेर: शिमला से खेरवाड़ी और अब चाँद को छूने की ख़्वाहिशअनुपम

खेर

जो

सार्वजनिक

रूप

से

बोलने

में

संकोच

करते

थे

,

अब

देश

के

कुछ

बेहतरीन

दिमागों

के

साथ

बहस

और

चर्चा

में

भाग

लेते

हैं

और

हमेशा

अपनी

एक

छाप

छोड़

देते

हैं

और

जिसे

लोग

कहते

हैं

की

वह

आगे

की

बहस

और

चर्चाओं

का

विषय

बन

जाता

है

,

अनुपम

खेर

कोई

पॉलिटिशियन

नहीं

हैं

लेकिन

उनके

पास

सबसे

शक्तिशाली

राजनेताओं

के

साथ

राजनीति

पर

चर्चा

करने

की

क्षमता

है

,

मुझे

लगता

है

कि

,

अनुपम

खेर

का

कोई

राजनीतिक

संबद्धता

या

महत्वाकांक्षा

नहीं

है

,

लेकिन

उनमे

लोगों

के

बारे

में

अनुमान

लगाने

की

रहस्यमई

आदत

है

कि

,

वह

किसके

पक्ष

में

है

लेकिन

वह

कहते

है

कि

,

वह

केवल

लोगों

के

पक्ष

में

है

और

अभी

भी

लोगों

पर

अनुमान

लगाते

रहते

है

क्योंकि

वह

पिछले

35

वर्षों

के

दौरान

कुछ

गिरगिट

साबित

हुए

है

,

वह

एक

बार

फिर

से

अपने

रंगीन

और

जश्न

भरे

जीवन

के

एक

नए

चैराहे

पर

है

!

अनुपम खेर: शिमला से खेरवाड़ी और अब चाँद को छूने की ख़्वाहिशउन्होंने

फिल्मों

में

एक

भारतीय

अभिनेता

के

रूप

में

550

फिल्मों

को

पूरा

करके

सारे

रिकॉर्ड

तोड़

दिए

हैं

,

और

उन्हें

लगता

है

कि

,

यह

खुद

को

फिर

से

एक

नए

अंदाज

में

दिखाने

का

समय

है

!

अनुपम खेर: शिमला से खेरवाड़ी और अब चाँद को छूने की ख़्वाहिशऔर

यह

उनकी

प्रतिभा

है

जिसने

उन्हें

पश्चिम

(

वेस्ट

)

में

प्रवेश

करने

के

लिए

प्रेरित

किया

है।

उन्होंने

बेंड

इट

लाइक

बेकहम

’, ‘

ब्राइड

एंड

प्रेजुडिस

’,

वुडी

एलेन

की

यू

विल

मीट

टॉल

डार्क

स्ट्रेंजर

और

अकादमी

अवार्ड

-

नॉमिनेटेड

सिल्वर

लाइनिंग्स

प्लेबुक

जैसी

फिल्मों

में

अपनी

बेलगाम

प्रतिभा

को

दिखाया

है।

 

अनुपम खेर: शिमला से खेरवाड़ी और अब चाँद को छूने की ख़्वाहिशअकादमी

ने

बॉय

विद

टॉप

नॉट

नोमिनेट

किया

,

एक

अभिनेता

के

रूप

में

उनकी

नवीनतम

जीत

न्यू

एम्स्टर्डम

और

मिसेज

विल्सन

में

उनका

प्रदर्शन

है

,

उन्होंने

अपने

लिए

कई

नई

योजनाएँ

बनाई

हैं

,

जिसके

अनुसार

वह

भारत

के

बाहर

अच्छा

काम

करने

में

बहुत

समय

बिता

रहे

है

और

वह

भारत

को

भी

अपना

बेस्ट

देगे

जब

भी

उन्हें

अच्छी

चुनौती

वाली

भूमिका

ऑफर

की

जाएगी

!

अनुपम खेर: शिमला से खेरवाड़ी और अब चाँद को छूने की ख़्वाहिशएक

अभिनेता

के

रूप

में

उन्हें

क्या

चीज

जीवित

रखती

है

?

इस

सवाल

पर

,

वह

कहते

है

, “

मैं

एक

बच्चे

की

तरह

इनोसेंट

हूं

जब

एक्टिंग

की

बात

आती

है

,

तो

मैं

हर

समय

इन्वेन्टिव

और

इन्स्परेशन

की

स्थिति

में

होता

हूं

!”

अनुपम खेर: शिमला से खेरवाड़ी और अब चाँद को छूने की ख़्वाहिशजहां

तक

संभव

हो

देश

से

बाहर

रहने

और

काम

करने

की

कोशिश

के

बारे

में

होने

वाली

यह

सब

बाते

क्या

है

?

देश

में

राजनीतिक

माहौल

से

उनके

दूर

रखने

के

बारे

में

होने

वाली

यह

सब

बाते

क्या

है

?

उन

नेताओं

के

साथ

मोहभंग

होने

जिनपर

उन्होंने

अपना

भरोसा

दिखाया

था

के

बारे

में

होने

वाली

यह

सब

बातें

क्या

है

?

उस

देश

जिसकी

वह

शपथ

लेता

है

कि

,

वह

इसके

खातिर

जी

और

मर

सकते

है

के

मामलों

की

स्थिति

पर

उनके

खुश

होने

के

बारे

में

होने

वाली

यह

सब

बाते

क्या

है

?

यह

कुछ

ऐसे

सवाल

हैं

,

जिनका

केवल

वहीं

जवाब

दे

सकते

है

और

मुझे

लगता

है

कि

वह

भी

,

सही

समय

पर

इन

सवालो

के

जवाब

के

साथ

आएगे

जिसे

वह

अपने

तरीके

से

दे

सकते

है

!

अनुपम खेर: शिमला से खेरवाड़ी और अब चाँद को छूने की ख़्वाहिशऔर

जैसा

कि

,

मैं

इस

अभिनेता

अनुपम

के

बारे

में

सोचता

हूं

,

मैं

उस

युवा

अनुपम

के

बारे

में

भी

सोचता

हूं

,

जिसने

एक

बार

अपनी

माँ

के

पूजा

मंदिर

के

स्थान

पर

से

ऑडिशन

देने

के

लिए

पैसे

चुराए

थे

और

मैं

उस

अनुपम

के

बारे

में

सोचता

हूँ

,

जो

इतना

इनोसेंट

था

,

कि

जब

उसने

अपना

पहला

बीयर

का

गिलास

पीने

का

फैसला

किया

तो

उसमे

पानी

मिला

दिया

था

,

अनुपम

जो

उसे

पीकर

पूरी

तरह

से

नशे

में

थे

,

उन्होंने

लीला

होटल

में

एक

मेज

पर

चढ़कर

डांस

किया

,

जब

दिलीप

कुमार

और

राज

कपूर

दोनों

ने

एक

अभिनेता

के

रूप

में

उनकी

प्रशंसा

की

थी

,

और

जब

वह

खेरवाडी

में

एक

हाॅल

के

कमरे

में

रहते

थे

,

तो

उनके

पास

खादी

पायजामा

और

कुर्ते

के

केवल

दो

जोड़े

थे

,

जिसे

वह

हर

रात

खुद

धोते

थे

और

पृथ्वी

थिएटर

तथा

सभी

स्टूडियोज

में

एक

आशा

के

साथ

जाते

थे

,

लड़कों

ने

उन्हें

धक्के

-

मारकर

ऑफिस

से

निकाला

था

,

या

उन्हें

उस

नौकरों

की

भूमिका

की

पेशकश

की

जाती

थी

,

जिसे

.

के

.

हंगल

और

देव

किशन

जैसे

वरिष्ठ

अभिनेताओं

द्वारा

अस्वीकार

कर

दिया

जाता

था

!

अनु

-

छवि

शर्मा

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