बॉलीवुड में आज कई ऐक्टर्स ऐसे हैं जिन्होंने बेहद कम उम्र में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा और लंबे संघर्ष के बाद बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान और खास जगह बनाई। 90 के दशक में बॉलीवुड पर राज करने वाले कई ऐक्टर्स ऐसे भी हैं । जिनका आज भी इंडस्ट्री में बोलबाला है, वो आज भी रोमांटिक हीरो के किरदार में नजर आते हैं। वहीं 90 के दशक के कई ऐक्टर्स ऐसे भी हैं जिन्होंने बॉलीवुड को कई सुपरहिट और ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं, लेकिन आज दूर-दूर तक उनका फिल्मों से कोई नाता नहीं है या फिर वो फिल्मों में बहुत कम ही नजर आते हैं। उन्हीं में से एक हैं तमिल ऐक्टर अरविंद स्वामी। तमिल के अलावा बॉलीवुड को 'रोजा' और 'बॉम्बे' जैसी सुपरहिट फिल्में देने वाले ऐक्टर अरविंद फिल्मों से अचानक गायब हो गए।
आपको बता दें, 90 के दशक में जब बॉलीवुड में आमिर खान, शाहरुख खान और सलमान खान जैसे स्टार्स अपनी जगह बना चुके थे, तभी बॉलीवुड में एक मूछों वाले हीरो की एंट्री हुई, जाहिर है मूछों वाले एक्टर हमेशा से दक्षिण भारतीय फिल्मों में दिखाई देते रहे हैं। लेकिन इस एक्टर ने अपने इनोसेंट लुक्स और मूछों के साथ बॉलीवुड के इन सुपरस्टार्स को चुनौती दी थी। जी हां, हम बात कर रहे हैं अरविंद स्वामी की। तो आइए आज उनके जन्मदिन के मौके हम आपको बताते हैं उनके फिल्मी करियर और पर्सनल लाइफ से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें...
- अरविंद का जन्म 18 जून, 1970 को चेन्नई में हुआ। उनके पिता वीडी स्वामी (बिजनेसमैन) और मां सीवीएस वसंता भरतनाट्यम डांसर थीं। अरविंद की स्कूलिंग चेन्नई के डॉन बॉस्को स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने लोयोला कॉलेज से ग्रैजुएशन किया। बाद में वो अमेरिका चले गए, जहां से उन्होंने मास्टर्स इन इंटरनेशनल बिजनेस की डिग्री ली।
- अरविंद ने मणि रत्नम की एक्शन ड्रामा तमिल मूवी 'थलपति' (1991) से डेब्यू किया। इसके बाद मणि रत्नम ने 1992 में अपनी एक और फिल्म 'रोजा' में भी उन्हें साइन कर लिया। इसमें उनके अपोजिट एक्ट्रेस मधु ने काम किया था। इस फिल्म के लिए अरविंद को तमिलनाडु स्टेट का बेस्ट एक्टर फिल्म अवॉर्ड भी मिला।
- रोजा 1992 की सबसे शानदार फिल्म थी। ये फिल्म इतिहास की सबसे प्रभावशाली फिल्मों में से एक रही है, जो लगभग हर भाषा में रिलीज हुई थी और इसलिए फिल्म 'रोजा' को अरविंद की पहली बॉलीवुड फिल्म कहा जाता है। इस फिल्म ने अरविंद स्वामी को रातों रात स्टार बना दिया था।
- 1995 में मणिरत्नम ने उन्हें फिल्म 'बॉम्बे' के लिए साइन किया, जो एक शानदार हिट साबित हुई। इस फिल्म को करने के बाद अरविंद एमबीए करना चाहते थे, लेकिन मणिरत्नम ने उन्हें ऐसा करने से मना किया। लेकिन खुद की सुनने वाले अरविंद ने मणि की बात नहीं मानी और एमबीए कर लिया।
- 2000 में बनी फिल्म 'राजा को रानी से प्यार हो गया' उनकी आखिरी बॉलीवुड फिल्म साबित हुई क्योंकि अपनी एक्टिंग से लोगों का दिल जीतने वाले अरविंद को इस इंडस्ट्री की चकाचौंध पसंद नहीं थी। वो इस लाइमलाइट से दूर जाना चाहते थे,और वो करना चाहते थे जिसका फिल्मी दुनिया से दूर दूर तक कोई लेना-देना न हो।
- इसके बाद अरविंद ने फिल्मों से दूरी बनाई और पिता के इंटरनेशनल ट्रेड और कंस्ट्रक्शन के बिजनेस को संभालने लगे। अरविंद ने कई बड़ी कंपनियों में काम किया। बाद में उन्होंने Talent Maximus के नाम से एक कंपनी खोली, जो कि पे-रोल प्रोसेसिंग और टेम्परेरी स्टॉफिंग और वर्क फ्लो एप्लीकेशन का काम करती है।
- अरविंद स्वामी कहते हैं कि वो एक 'एक्सिडेंटल एक्टर हैं', जो अचानक से एक्टर बन गए। एक इंटरव्यू में अरविंद ने बताया था कि 10वीं क्लास के बाद वो डॉक्टर बनना चाहते थे। उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में किया काम जैसे 'सात रंग के सपने'(1998), 'राजा को रानी से प्यार हो गया' (2000), 'डियर डैड' (2016)। इसके अलावा अरविंद साउथ की इन फिल्मों में नजर आए डैडी (मलयालम), डुएट, इंदिरा, पुढयल, ससानम, कढल, थनी ओरुवन (तमिल)।
- अरविंद ने 1994 में पहली शादी गायत्री राममूर्ति से की। इनसे उन्हें एक बेटी अधिरा और बेटा रुद्र हैं। हालांकि बाद में अरविंद ने 2010 में गायत्री को तलाक दे दिया। 7-8 सालों तक अरविंद ने न तो कोई फिल्म देखी और न ही फिल्मी दुनिया से जुड़े किसी भी व्यक्ति से कोई संबंध ही रखा। लेकिन 2008 से उन्होंने दोबारा फिल्में देखना शुरू किया।
- हालांकि जब वो फिल्मों में वापसी को तैयार थे तभी एक्सीडेंट हो गया। इससे उनकी स्पाइन में इंजरी हो गई और पैर भी पैरालाइज्ड हो गया था। अरविंद ने शेप में आने के लिए काफी मेहनत की और डेढ महीने में ही उन्होंने 19 किलो वजन कम किया और इसका सारा श्रेय वो मणिरत्नम को ही देते हैं जो अरविंद के बुरे समय में हर रोज मेसेज कर उनका हौसला बढ़ाते रहते थे। वो मणी ही थे जिन्होंने अरविंद को फिल्मी दुनिया में वापस खींच लिया और उनके साथ 2013 में फिल्म कदल बनाई।
- इसी बीच अरविंद ने अपर्णा मुखर्जी से दूसरी शादी की, जो पेशे से वकील हैं। वो अरविंद की फिल्मों के लिए रोमांचित रहती हैं, वो हमेशा उन्हें प्रेरित करती हैं और उनसे कहती हैं कि वो वही करें जो वो करना चाहते हैं। अब अरविंद अपने परिवार के साथ बेहद खुश हैं।
- उन्होंने 2015 में मोहन राजा की फिल्म 'थनी ओरुवन' की जिसमें उनका किरदार हीरो का नहीं बल्कि एक विलेन का था, फिल्म जबरदस्त हिट रही। अब अरविंद फिल्मों के साथ-साथ अपना ऑफिस भी संभालते हैं। अरविंद स्वामी ने बॉलीवुड में 15सालों के बाद फिल्म 'डियर डैड' से वापसी की ।