महान गायिका पद्मविभूषण आशा भोसले और उनकी नातिन ज़नाइ भोसले एवं गीतकार रजिता कुलकर्णी के साथ उनके नए गीतों की घोषणा अँधेरी पश्चिम के प्रख्यात पंचम स्टूडियो में की गयी।आध्यात्मिक और मानवतावादी गुरु श्री श्री रविशंकर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए इनकी रचना की गयी है। इस दौरान दो गानों की घोषणा की गयी, जिनमेंसे एक गाना आशा भोसले ने और दूसरा गाना ज़नाइ ने गाया है।
श्री श्री रविशंकर को गानों के बारे में पता है ? यह प्रश्न पूछे जाने पर आशा भोसले ने कहा, 'मैंने गुरुदेव से गानों के बारे में अभी तक बात नहीं की है, लेकिन मैं उनसे कई बार मिल चुकी हूं। उनके अन्य सभी अनुयायियों की तरह मैं भी उनकी प्रिय हूँ। ” इन गांनो को गाने का निर्णय क्यों लिया, यह बताते हुए उन्होने कहा, “सभी गाने रोमांस या प्यार के बारे में नहीं होते हैं, अन्य भावनाएँ भी होती हैं, विशेष रूप से वे जो हमें ईश्वर से जोड़ती हैं। और यह गीत गुरुदेव के प्रति आभार गीत हैं और हमें ईश्वर से भी जोड़ती हैं।” आशा भोसले ने दोनो गानों को संगीतबद्ध भी किया है।
यह पहली बार नहीं है जहाँ ज़नाइ भोसले ने अपनी दादी का गाने में साथ दिया है बल्कि इससे पहले भी कई देशों में उनके साथ कॉन्सर्ट कर चुकी है। ज़नाइ भोसले ने इस गाने के बारे में और अपनी दादी के प्रति प्यार व्यक्त करते हुए कहा, “यह गीत मेरे दिल के बहुत करीब है। हम देशभर में प्रोफेशनली परफॉर्म करते हैं, लेकिन जब हम घर वापस आते हैं, तो मेरी वही दादी बन जाती है जो मेरे लिए मेरे पसंदीदा पकवान बनाती है ... कुछ भी नहीं बदलता है', युवा प्रतिभावान गायिका ने भी श्री श्री रविशंकर के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा कि मैं खुदको 'सौभाग्यशाली' मानती हूँ की मुझे उनके लिए गाने का मौका मिला।
अध्यात्म के लिए उनके मिलते-जुलते विचार के अलावा, दादी-पोती की जोड़ी ने एक स्नेहपूर्ण बंधन को भी साझा किया हैं। “ज़नाइ मुझे बिल्कुल परेशान नहीं करती है। वो बहुत स्वादिष्ट खाना बनाती है और मुझे बहुत प्यार से खिलाती भी है। वह हमारी सभ्यता से बड़ी अच्छी तरह से वाकिफ है। हमारे पूरे परिवार को एक साथ बांधती है। सात साल की कोमल आयु से ही ज़नाइ भारतीय शास्त्रीय नृत्य और शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण लेती आयी है और अब वह पश्चिमी ओपेरा भी गाती है। अभी वास्तव में वो केवल १७ वर्ष की है और अपनी पढाई के साथ संगीत प्रशिक्षण भी ले रही है। ”