आशा नेगी स्टारर वेब सीरीज 'ख्वाबों के परिंदे' रिलीज हो चुका है। इस सीरीज में आशा के अलावा मृणाल दत्त, मांसी मोघे और तुषार शर्मा मुख्य किरदार में दिख रहे हैं। छह एपिसोड की ये सीरीज आपको ट्रीप ऑफ लाइफ पर लेकर जाएगी।
कहानी- तीन दोस्तों और एक स्ट्रेंजर की। बिंदया(आशा नेगी) अपना मॉलर्बन, ओस्ट्रेलिया से अपना ग्रेजुएशन कम्पलीट कर चुकी है। इसलिए इंडिया वापस जाने से पहले अपने दोस्त दीक्षित(मृणाल दत्त) और मेघा (मांसी मोघे) के साथ एक रोड ट्रीप पर पर्थ जाती है। रास्ते में एक स्ट्रेंजर आकाश(तुषार शर्मा) जो बाद में उनका बहुत अच्छा दोस्त बन जाता है, उससे इनकी मुलाकात होती है।
सभी के लाइफ में कोई न कोई लो पांइट होते हैं जिसे वो एक दूसरे से शेयर करते हैं और उसे ओवरकम करने की कोशिश करते हैं। ये पूरी ट्रीप जिंदगी को थोड़ा इजी बनाने के लिए है।
दीक्षित अपने अमीर बाप की कंपनी का एकलोता वारिस होता है। पांच ऑफिस का मालिक बनने वाला है लेकिन रियल लाइफ में उतना ही डारपोक होता है। ये ट्रीप उसे अपने डर से ओवरकम कराती है।
मेघा के बचपन का सपना शादी करना रहता है। वो अरेंज मेरेज करने से पहले इस ट्रीप पर जाती है और अपने दोस्तों के और करीब आ जाती है।
बिंदया तो कभी बड़ी होना ही नहीं चाहती। उसे इंडिया जाकर अपने घर की जिम्मेदारी उठानी है। और वो बहुत डरी हुई है कि वो ये सब कर पाएगी या नहीं। लेकिन ये ट्रीप उसे हिम्मत देती है, सबकुछ हेंडल करने की।
और आकाश- एक राइटर, ट्रेवलर है अपने पापा के अधूरे काम को पूरा करने के लिए निकलता है। लेकिन इन तीनों का साथ मिलने के बाद नए एक्सपीरियंस करता है।
एक्टिंग बहुत बेहतरीन तो नहीं लेकिन अच्छा कह सकते हैं। सीरीज में कुछ डायलॉग्स अच्छे हैं जैसे 'हम खुलेंगे नहीं तो घुलेंगे कैसे।'
गाना और म्यूजिक लाइट और स्वीट है। सीरीज केअनुसार गाने अच्छे थे।
डायरेक्शन तपस्वी मेहता का है जो काफी अच्छा था। लेकिन राइटिंग में कमी थी हर एपिसोड अधुरा लगा। और सीरीज को भी जल्दी खत्म कर दिया गया। ऐसा लगा जैसे सीरीज जल्दबाजी में पूरी की गई जिससे वो कम्पलीट नहीं लगी। किरदारों से भी कनेक्शन नहीं बन पाया। इस वजह से कहानी अच्छी होने के बाद भी कनेक्ट नहीं कर पाई।