निकाह के समय शर्मिला टैगोर के सामने भी आई थी धर्म की आंच

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By Sharad Rai
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निकाह के समय शर्मिला टैगोर के सामने भी आई थी धर्म की आंच

बॉलीवुड सितारे बहुत आज़ाद ख्याल होते हैं और वे धर्म कर्म की बातों पर ध्यान नहीं देते. फिल्मी सितारों को लेकर अमूमन हमारा यही ख्याल रहता है. लेकिन ऐसा नही है, जब वे कोशिश करते हैं धर्म तोड़ू विवाह में तो उन्हें भी वैसी ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जैसे आम जीवन के आदमी को.

शर्मिला टैगोर अपने समय की बहुत डिमांड वाली एक्ट्रेस स्टार रही हैं और मंसूर अली खान पटौदी भी अपने समय के बड़े स्टार क्रिकेटर हुआ करते थे. शर्मिला जी हिन्दू परिवार से थी जबकि टाइगर पटौदी मुस्लिम परिवार से थे, नवाब थे. सोचिए, जब इनकी शादी हुई होगी तब क्या फेस किया होगा इनदोनो ने?

शर्मिला टैगोर ने  इनदिनों शुरू हुए हिन्दू - मुस्लिम विवाह के विवादों को लेकर आए दिनों की  चर्चाओं पर अपने विचार व्यक्त किया है. "जब हमने रिश्ता स्वीकार किया था (1968 में) तब इस शहर में बहुत नार्मल थी ये बातें. क्योंकि हम दोनों बड़े परिवार के थे. मेरा  परिवार भी बड़ा था. हमने अपने अपने पेरेंट्स को बताया कि हम विवाह कर रहे हैं. कोई बहुत तकरीर नही  हुई थी." शर्मिला टैगोर  याद करती हुई उन दिनों की बातों को कहती हैं कि "लेकिन, तब भी बातें तो हुई ही थी. उनके बॉम्बे (मुम्बई) घर मे और कलकत्ता (कोलकाता) घर में लोगों ने हमसे  छुपे तौर पर विवाह/निकाह को लेकर बातें किया था. कोलकता के मेरे घर पर  कुछ धमकियां भी आई थी. लेकिन हम  दोनों अपने अपने फील्ड के स्टार थे. किसी ने हमारे आमने सामने आकर बोलने की कोशिश नही किया था. "हमारी वेडिंग नार्मल हालात में ही हुई थी."

शर्मिला टैगोर ने बताया कि बाद में उनको प्रोटेक्शन देने  के लिए दिल्ली से कोई आए थे, बोले- आपको सुरक्षा दिए जाने की जरूरत है, हम आपको सुरक्षा देने के लिए आए हैं. हमे जरूरत ही नही थी. हमने कहा था हम एकदम ठीक हैं, बॉम्बे में हमारे लिए कोई दिक्कत नही है. हमारी शादी बहुत शालीनता और शांति से हुई थी कोई दिक्कत नहीं आयी थी. हालांकि मन मे डर था कि कहीं कुछ गड़बड़ ना हो . शर्मिला टैगोर मानती हैं कि दो व्यक्ति समझदारी के साथ अपने रिश्तों का निर्वाह करें तो कहीं कोई दिक्कत नही है.धर्म एक व्यवस्था है जो जोड़ता है, जीवन जीना सिखाता है.

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