सुप्रीम कोर्ट ने हिंदी फिल्म 'आर्टिकल 15' को चुनौती देने वाली ब्राम्हण समाज आफ इंडिया की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह फिल्म पर अपनी आपत्तियां उचित फ़ोरम में रखें। याचिका में मौलिक अधिकार का उल्लंघन और वैमनस्य फैलने की आशंका बताई गई थी।
बता दें कि आयुष्मान खुराना की फिल्म आर्टिकल 15 घरेलू बॉक्स ऑफिस पर अभी तक अच्छा कलेक्शन कर रही है। लेकिन फिल्म ने सिनेमाघरों में शाहिद कपूर की कबीर सिंह के होते हुए भी अच्छा परफॉर्म किया है। रिलीज से 8वें दिन यानि शुक्रवार को फिल्म ने करीब 5 करोड़ और अपने कलेक्शन में जोड़ लिए हैं।
गौरतलब है कि अनुभव सिन्हा निर्देशित आर्टिकल 15 एक संजीदा फ़िल्म है, जो उत्तर प्रदेश में हुई दुष्कर्म की एक जघन्य घटना से प्रेरित है। फ़िल्म के ज़रिए समाज में जातिगत भेदभाव के मुद्दे को रेखांकित करती फ़िल्म में इस सिस्टम पर कड़ा प्रहार किया गया है। आर्टिकल 15 में आयुष्मान खुराना आईपीएस अफ़सर की भूमिका में हैं। फ़िल्म में ईशा तलवार, शायोनी गुप्ता और कुमुद मिश्रा ने अहम भूमिकाएं निभायी हैं।
ब्राह्मण समाज ऑफ इंडिया संस्था की ओर से नेमिनाथ चतुर्वेदी ने याचिका दाखिल कर फिल्म का विरोध करते हुए कहा है कि फिल्म के जाति आधारित संवाद समाज में नफरत फैला सकते हैं। सच्ची आपराधिक घटना की पृष्ठभूमि बताते हुए फिल्म में झूठी, गलत और तोड़-मरोड़ कर कहानी पेश की गई है जिसके जाति आधारित संवाद आपत्तिजनक, अफवाह फैलाने वाले और समाज में नफरत पैदा करने वाले हैं।
याचिका में फिल्म के शीर्षक 'आर्टिकल 15' पर आपत्ति उठाते हुए कहा गया है कि इससे संविधान के आर्टिकल 15 के प्रति लोगों में गलत अवधारणा बनेगी। भारत सरकार की इजाजत के बगैर फिल्म का नाम 'आर्टिकल 15' नहीं रखा जा सकता। याचिका में मांग की गई है कि फिल्म प्रमाणन बोर्ड को निर्देश दिया जाए कि वह फिल्म के प्रदर्शन का जारी प्रमाणपत्र निरस्त करें।