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लता मंगेशकर के भतीजे, हृदयनाथ मंगेशकर के बेटे और संगीतकार बैजू मंगेशकर के लिए संगीत का मतलब ताल और राग से कहीं ज्यादा है। संगीत न सिर्फ उनकी आत्मा में वास करता है, बल्कि उन्हें विरासत में मिला है। तभी तो वह एक अलहदा किस्म के कलाकार हैं, जिनका करियर संगीत और दृश्य कला का अद्भुत समागम है। दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं।
‘विदिन यू‘ बैजू का नवीतम और सबसे अनूठा सूफी एल्बम है, जो एक गायक और संगीतकार के तौर पर उनका पहला सोलो एल्बम भी है। इसे टाइम्स म्यूजिक द्वारा रिलीज किया जा रहा है और इसी के साथ तीन म्यूजिक वीडियो भी पेश किए जाएंगें।
बैजू की गायिकी का अंदाज बेहद निराला है। उनकी आवाज सबसे जुदा है और उनके संगीतबद्ध किए गीत बेहद जज्बाती होने के साथ- साथ लोगों पर अपना जादू छोड़े बिना नहीं रहते हैं। ‘विदिन यू‘ में न सिर्फ बैजू की गायिकी का ऐसा ही कमाल देखने को मिलेगा, बल्कि उनके संगीतबद्ध किए गीत श्रोताओं को एक अलग ही दुनिया में ले जाएंगे।
‘‘विदिन यू’’ के बाजार में आने के अवसर पर बैजू मंगेशकर कहते हैं-‘‘सूफी कलाम लोगों को एक आम इंसान होने से हटकर अलौकिकता, बिना शर्त मोहब्बत और शांति का अद्भुत एहसास कराने का काम करते है। सूफी संगीत कालजयी होने के साथ-साथ लोगों को गहरे तक प्रभावित करने की क्षमता भी रखता है। वर्तमन समय में बढ़ती नाइंसाफी, हिंसा और हालिया कोरोना महामारी के दौर में यह बेहद प्रासंगिक सूफी कलाम हैं।ऐसी मुश्किल घड़ी में सूफी कलाम रूह को मरहम सी तसल्ली पहुंचाते हैं।‘‘
एल्बम ‘विदिन यू‘ में 6 विविध व मधुर सूफी कलामों का समागम है। इस एल्बम की शैली समसामयिक है, जिसमें विश्व संगीत का प्रतिबिंब दिखाई देगा. इसमें 16वीं शताब्दी के जाने-माने भारतीय सूफी शायरों - हजरत शाह हुसैन, बाबा बुले शाह और ख्वाजा गुलाम फरीद द्वारा लिखे और दिलों के छूने वाले सूफी कलामों को भारतीय शास्त्रीय संगीत में पिरोया गया है। इस एल्बम में दो आधुनिक व समकालीन गीतों को भी शामिल किया गया है, जिन्हें उभरती हुई शायरा अमृता ने लिखा है। इस एल्बम के संगीत को भारतीय संगीत जगत के प्रतिष्ठित शख्सियत जतिन शर्मा ने अरेंज किया है। इनके अलावा कई और प्रतिभाशाली संगीतकारों ने भी इस एल्बम को सुमधुर बनाने में अपना अहम योगदान दिया है।
इस एल्बम की एक और बड़ी खासियत यह है कि इस एल्बम के संगीत के अरेंजमेंट में अमरीका के मशहूर जैज हार्प वादक सुजान मेजर और वुडविंड्स व सेक्साफोन में महारत रखने वाले डलास स्मिथ ने भी अपना अहम योगदान दिया है। जैज संगीत की दुनिया में दोनों की अपनी एक अलग पहचान है और वे फ्रेंक सिनात्रा, अहमद जमाल, जॉनी मैथीस और आर. डी. बर्मन जैसे दिग्गजों के साथ भी साझेदारी कर चुके हैं। दोनों के योगदान और अनूठी शैली ने इस एलबम और सूफी संगीत की दुनिया को एक नया आयाम प्रदान किया हैं।
इस एल्बम के कुछ गाने आपके जेहन को रोमांटिक गाने होने का एहसास कराएंगे,मगर यह गाने असल में ‘इश्क -ए-मजाजी‘ और ‘इश्क-ए-हकीकी‘ का अक्स हैं।देश और विदेश में रिलीज हुए एलबम ‘विदिन यू‘ ने पारंपरिक संगीत के साथ आधुनिक संगीत के मिश्रण के लिए युवा श्रोताओं से खूब वाहवाही पाई।
खुद बैजू मंगेशकर कहते हैं-‘‘सूफी कलामों और उर्दू शायरी में दो तरह के प्रेम का उल्लेख किया गया है - ‘इश्क- ए-मजाजी‘ और ‘इश्क-ए- हकीकी‘। ‘इश्क -ए-मजाजी‘ में कोई शख्स किसी और शख्स के लिए मोहब्बत और चाहतों का एहसास करता है।यह अल्प समय के लिए होता है और यह जिस्मानी या फिर जज्बाती जरूरत का अक्स होता है। जबकि ‘इश्क-ए-हकीकी‘ में इसका उलट होता है। सूफी कलामों के जरिये ‘इश्क-ए-हकीकी‘ को विस्तार में समझाया गया है कि कैसे किसी शख्स के दिल में जगत के रचयिता और परवरदिगार के लिए अथाह मोहब्बत होती हैं। बस इसी तरह का इश्क और रोमांस मेरी इस एल्बम की भी थीम है।‘‘
अगर बैजू की प्रतिभा की बात की जाए तो यहां इस बात का उल्लेख किया जाना जरूरी है कि उन्होंने 10 साल की छोटी सी उम्र में ईएमआई इंडिया के साथ एक एलबम पेश किया था। इसके बाद एक वयस्क गायक के तौर पर उन्होंने एक मराठी फिल्म के जरिए अपना डेब्यू किया था,जिसका संगीत उनके पिता व दिग्गज संगीतकार हृदयनाथ मंगेशकर ने दिया था।
गौर करने वाली बात है कि 2014 में रिलीज हुए एल्बम ‘या रब्बा‘ (सारेगामा इंडिया) के जरिए बैजू ने अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाबी पाई थी। यह एक ऐसा सूफी एल्बम था, जिसके लिए उन्होंने महान सूफी संत हजरत शाह हुसैन के कलामों को न सिर्फ संगीतबद्ध किया था, बल्कि उसे अपनी मधुर आवाज से सजाया भी था। इस एल्बम में उन्होंने समसामयिक संगीत दिया था और अपनी बुआ लता मंगेशकर की मधुर आवाज की खूबियों का भी इस्तेमाल किया था।
पंडित जसराज, बेगम फरीदा खान्नुम और सूफी क्वीन के तौर पर जानी जाने वाली आबिदा परवीन ने बैजू की आवाज और उनके संगीतबद्ध किये गीतों की तारीफ करते हुए कहा था कि उनकी गायिकी और संगीत दिलों को छू जाता है। कहना न होगा कि ऐसे दिग्गजों से मिली इस तरह की सराहना अपने आप में किसी बड़े सम्मान से कम नहीं है।बैजू मंगेषकर ने कुछ मराठी फिल्मों और एक टीवी सीरियल के लिए भी गीत गाए हैं। इसके अलावा, हाल ही में उन्होंने कुछ मौलिक सिंगल्स व कुछ कवर वर्जन भी पेश किए हैं।
मंगेशकर परिवार की छत्रछाया में पले-बढ़े बैजू मंगेशकर के लिए राग और ताल से नाता और संगीत को लेकर उनकी समझ बेहद स्वाभाविक थी। उन्होंने पंडित तुलसीदास शर्मा, पंडित रमेश झूले और पंडित अजय पोहणकर के मातहत शास्त्रीय संगीत की शिक्षा हासिल की। इस गहन शिक्षा के अलावा बैजू को अपने संगीतकार पिता हृदय मंगेशकर और स्वर साम्राज्ञी के नाम से जाने जानी वाली व बैजू की बुआ लता मंगेशकर का हमेशा से ही मार्गदर्शन मिलता रहा। बैजू ने उनके साथ देश-विदेश में होनेवाले कई स्टेज शोज में भी अपनी काबिलियत का मुजाहिरा किया।
- शान्तिस्वरुप त्रिपाठी